Bihar: भारत-नेपाल सीमा बना खाद तस्करों का सेफ जोन, हाथी दांत व हिरण के सींग की भी पकड़ी जा चुकी है तस्करी
बिहार के अररिया अंतर्गत सीमावर्ती क्षेत्र में तस्कर बेखौफ होकर अपने अवैध धंधे को पसार चुके हैं. खुली सीमा इनके लिए सुरक्षित जोन बनी हुई है. हाथी दांत व हिरण के सींग की भी तस्करी इस रूट पर पकड़ी जा चुकी है. अब खाद तस्करों के लिए ये रास्ता आसान बना हुआ है.
बिहार के अररिया अंतर्गत सीमावर्ती क्षेत्र में तस्कर बेहद सक्रिय रहते हैं और भारत-नेपाल खुली सीमा इन तस्करों के लिए अवैध धंधे की सबसे सुरक्षित जगह बनी हुई है. प्रशासन की सख्ती व एसएसबी की निगहबानी के बावजूद तस्करों के हौसले बुलंद हैं. सिर्फ नवंबर माह में अब तक चार घटनाओं में दर्ज़नों बोरी डीएपी यूरिया व पोटाश एसएसबी व सिकटी थाना पुलिस द्वारा छापामारी में जब्त कर तस्करों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है. इसके बावजूद भी सीमा पर तस्करी रुकने का नाम नहीं ले रहा है.
भारत-नेपाल खुली सीमा का लाभ उठाते हैं तस्कर
भारत-नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमा खुला होना व बिना किसी रोक-टोक के आवाजाही भी एक प्रमुख कारण हैं. नोमेंस लैंड पर साजिश के तहत किया गया अतिक्रमण व उनपर बने कच्ची घर भी प्रशासन के लिए परेशानी का कारण बना है. एसएसबी व प्रशासन की सख्ती बरतने पर तस्कर मुख्य रास्ते को छोड़कर पगडंडी की राह पकड़ कर तस्करी की घटना को अंजाम देते हैं .
स्थानीय लोगों की संलिप्तता भी एक कारण
प्रखंड क्षेत्र में अशिक्षा व व्याप्त गरीबी के कारण छोटी-छोटी राशि मिलने के लोभ में तस्करी में शामिल होते हैं. अंतरराष्ट्रीय सीमा के दोनों तरफ के लोग इस गोरखधंधे में शामिल हैं. सिर्फ भारतीय क्षेत्र से ही नेपाल में तस्करी नहीं होता बल्कि नेपाल से भी इस धंधे को अंजाम दिया जाता है. भारत से खाद्यान्न, उर्वरक व दूसरे सामान नेपाल भेजे जाते हैं. वहीं नेपाल से गांजा व मादक पदार्थों को तस्करी के माध्यम से भारतीय क्षेत्र में खपाया जाता है.
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स्थानीय लोग भी धंधे में शामिल
इस काम में खतरे तो बहुत है पर फिर भी ज्यादा लाभ कमाने के चक्कर मे स्थानीय लोग शामिल होते हैं. जिससे इनके परिवार का भरण-पोषण हो जाता है. 2022 के जुलाई के अंतिम सप्ताह में 750 बोरी यूरिया सहित ट्रक जब्त किया गया था. प्रशासन द्वारा 2022 के जुलाई माह से अबतक 950 बोरी यूरिया-डीएपी जब्त कर तस्करों के मंसूबों पर पानी फेर दिया गया है .
तस्करी के धंधे में सफेदपोश हैं शामिल
ऐसा नहीं है कि तस्करी के खेल में छोटे लोग ही शामिल हैं. ये लोग तो सिर्फ मोहरे की तरह इस्तेमाल किये जाते हैं. सीमा के दोनों तरफ बैठे धंधेबाज सफेदपोश के इशारे पर नाचने वाले लोग हैं. विगत 2015 से अब तक इस क्षेत्र में हाथी दांत, हिरण के सींग, स्मेक व दूसरे मादक पदार्थों की तस्करी को एसएसबी निगरानी में पकड़ा गया था. इतना ही नहीं इस क्षेत्र में शराब व गांजे की तस्करी में सिकटी व बरदाहा थाना पुलिस व एसएसबी के जवानों द्वारा सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा गया है.
Posted By: Thakur Shaktilochan