गया में इनरव्हील ने वृद्धाश्रम में बुजुगों के संग मनाई दीपावली, मिठाई-कंबल का किया गया वितरण

Gaya Diwali News: बोधगया स्थित वेदा वृद्ध आश्रम में दिवाली के अवसर पर इनरव्हील क्लब से जुड़ी महिलाओ ने बुजुर्ग महिलाओं के साथ दिवाली मनाई. मौके पर क्लब की सदस्यों ने आश्रम में रहने वाली महिलाओं के बीच कंबल, पटाखा, कैंडल और मिठाई का वितरण भी किया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 24, 2022 11:41 PM

गया: जिले के बोधगया स्थित वेदा वृद्ध आश्रम में दिवाली के अवसर पर इनरव्हील क्लब से जुड़ी महिलाओ ने बुजुर्ग महिलाओं के साथ दिवाली मनाई. मौके पर क्लब की सदस्यों ने आश्रम में रहने वाली महिलाओं के बीच कंबल, पटाखा, कैंडल और मिठाई का वितरण भी किया. बता दें कि वेदा वृद्ध आश्रम में वैसी महिलायें रहती है, जिन्हें अपनों ने जीवन के इस बीच सफर में ही छोड़ दिया है या फिर जिन बुजुर्ग महिलाओं का अब इस दुनिया में कोई नहीं रहा.

आश्रम में रहने वाली महिलाओं ने सुनायी अपनी कहानी

वृद्ध आश्रम में रहने वाली शांति देवी ने कहा कि कुछ साल पहले उनके पति और बेटे की मौत हो गयी. इसके बाद परिवार के लोगों ने उनकी संपत्ति हड़प ली. कई वाहनों पर कब्जा कर लिया और उन्हें घर से बाहर निकाल दिया. वे किसी तरह से मोहल्ले में भीख मांग कर गुजारा कर रही थी. इसी बीच पड़ोसी को उनपर तरस आयी और पड़ोसी ने उन्हें आश्रम में पहुंचा दिया.आश्रम में आने के बाद ये यहीं की होकर रह गयी. शांति देवी ने बताया कि पर्व-त्योहार पर उन्हे अपनों की याद आती है. लेकिन क्या करें, यही भाग्य को मंजूर था.वहीं वृद्धा आश्रम में रहने वाली एक अन्य महिला ने बताया कि उसकी केवल एक ही बेटी थी, शादी के बाद बेटी ने उनकी सारी संपत्ति ले ली और उनको घर से बाहर निकाल दिया. जिसके बाद वो यहां पहुंच गयी.

बुजुर्गों का करें सम्मान

वहीं, इनरव्हील क्लब से जुड़ी दिपिशिखा ने बताया कि द्धाश्रम में रहने वाली वैसी महिलाएं है,जिनका अब इस दुनिया में कोई नहीं है. इसलिए दिवाली पर उनलोगों ने इनकी जिंदगी में रोशनी लाने की कोशिश की है. क्लब की महिलाओं ने बताया कि वे हमेशा पर्व-त्योहार इन्हीं बुजुर्ग महिलाओं के साथ मनाती है. इनके लिए खास मौके पर कुछ वे लोग मिलकर कुछ न कुछ उपहार लेकर जरूर आती है.

निजी खर्च से चला रहीं वृद्ध आश्रम

वहीं, वेदा वृद्ध आश्रम की संचालिका ने बताया कि वे करेल में नर्स थी. उनका बोधगया में किसी संस्था में ज्वाइनिंग हुई थी. गया पहुंचने के बाद उन्होंने देखा कि शहर में कई ऐसे वृद्ध महिला-पुरुष हैं जिनके अपनों ने उन्हें ठुकरा दिया है. इसके बाद उन्होंने वृद्ध आश्रम खोली. तब से लेकर आज तक वे निजी खर्च पर इस आश्रम को चला रही है. इस कार्य में कई समाजसेवी उनकी मदद करते हैं.

गया से पंकज की रिपोर्ट

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