गौतम वेदपाणि, भागलपुर : भागलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के मैकेनिकल ब्रांच के असिस्टेंट प्रोफेसर देवनाथ कुमार ने एक ऐसे कृत्रिम हाथ का निर्माण किया जो शरीर के सिग्नल को समझता है. इलेक्ट्रोमियोग्राफ इएमजी तकनीक पर आधारित इस कृत्रिम हाथ को मनमाफिक तरीके से बंद या खोल सकते हैं. एक से दो किलो वजनी सामान उठा सकते हैं. इस कृत्रिम हाथ को लगाकर अखबार व किताब पढ़ा जा सकता है. वहीं पानी पीना, लिखना, साइकिल चलाना समेत कई काम आसानी से हो सकता है.
प्रो देवनाथ कुमार ने बताया कि फिलहाल आर्टिफिशियल या प्रोस्थेटिक दिखावटी हाथ का प्रोटोटाइप तैयार किया गया है. अगर सरकारी स्तर से मदद मिली तो वह पैर व शरीर के दूसरे अंग का निर्माण कर सकते हैं. वह इस फार्मूले से इंसानों जैसा समझ रखने वाला एक रोबोट भी बना सकते हैं. इस प्रोटोटाइप हाथ को बनाने में इंजीनियिरंग के विभिन्न तकनीक का सहारा लिया गया है. इसमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, इलेक्ट्रोनिक्स एंड कम्यूनिकेशन, मैकेनिकल फैब्रिकेशन, इलेक्ट्रिकल सिस्टम व शरीर का सिग्लन रिसीव करने वाली तकनीक बायो मैकेनिक्स को मिलाकर कंसेप्ट को डेवलप किया गया है. देवनाथ ने बताया कि इस प्रोटोटाइप डिवाइस की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी शरीर के संकेत को समझना है. यह सिस्टम बायो मैकेनिक्स से जुड़ा है.
प्रो देवनाथ कुमार ने बताया कि इस समय दिव्यांगों को ऐसे अंग लगाये जा रहे हैं जिनमें संवेदना या इमोशन नहीं है. जबकि मेरे द्वारा विकसित हाथ शरीर के संकेत को समझता है. उन्होंने बताया कि जैसे ही इस कृत्रिम हाथ को बाजू से लगाया जायेगा. यह शरीर के मसल्स के हरकत के बाद बॉडी मेम्ब्रेन के सिग्नल को अपने इलेक्ट्रोड से रिसीव कर एम्पलीफायर को भेजता है. उन्होंने बताया कि शरीर के सिग्लन की आवृत्ति बहुत कम मिली वोल्ट इकाई में उत्पन्न होता है. शरीर के मिले वोल्ट सिग्नल को कृत्रिम हाथ में लगा एम्पलीफायर इसे जीरो से पांच वोल्ट में बदल देता है. यह सिग्नल कृत्रिम हाथ में लगे सर्वो मोटर में जाता है. मोटर के घूमते ही कृत्रिम हाथ की अंगुलियां व हथेली भी बंद और खुलने लगती है.
प्रो देवनाथ कुमार ने बताया कि इसके निर्माण में काफी कम कीमत व कम वजन को ध्यान में रखा गया है. दिल्ली में आयोजित विज्ञान व तकनीक विषय पर इंटरनेशनल कांफ्रेंस में इस प्रोजेक्ट को काफी तारीफ मिली. प्रो देवनाथ ने बीटेक की डिग्री एमआइटी मुजफ्फरपुर से मैकेनिकल ब्रांच में, एमटेक, मेकाट्रॉनिक्स की डिग्री आइआइटी पटना से ली है. इस समय वह आइआइटी रोपड़ से पीएचडी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि प्रोटोटाइप हाथ को विकसित करने के लिए अबतक इसपर रिसर्च जारी है.
posted by ashish jha