मोतिहारी: जिला आत्मा परियोजना में संविदा पर बहाल कर्मियों को इपीएफ का लाभ नहीं मिल रहा. परियोजना इपीएफ की राशि पर कुंडली मार ब्याज कमा रही है. बामेती से इपीएफ के लिए राशि उपलब्ध कराया गया है. बावजूद इसके कर्मियों की हकमारी हो रही है. इपीएफ के पैसे को बैक में रख, ब्याज कमाई का खेल चल रहा है. मामला संज्ञान में आने पर विभाग ने आत्मा परियोजना निदेशक से जवाब-तलब किया है. निदेशक पर राशि उपलब्ध होने के बाद भी इपीएफ जमा नहीं करने के आरोप है. हालांकि इस मामले में विभागीय स्पष्टीकरण पर निदेशक को जवाब नहीं सुझ रहा. मामले में निर्देशक की चुप्पी व जवाब अप्राप्त होने पर विभाग पुन: स्मार-पत्र भेजने की तैयारी में है. कयास लगाये जा रहे है कि संतोषजनक जवाब नहीं रहा तो अग्रतर कार्रवाई हो सकती है.
इसके पूर्व में संविदा कर्मियों के वेतन समय से नहीं मिलने की शिकायत भी सामने आयी थी. लेकिन अधिकारी हस्तक्षेप के बाद कर्मियों को वेतन मिलना तो शुरू हो गया है, लेकिन अबतक इपीएफ जमा नहीं की जा रही है. बताया जाता है कि इपीएफ नहीं मिलने से संविदा कर्मियो में आक्रोश है. परियोजना द्वारा ससमय इपीएफ राशि जमा नहीं होने से कर्मियों तो प्रतिमाह हजारों रूपये का नुकसान हो रहा है. एक तो ऐसे ही संविदा कर्मी अल्प मानदेय पाते है, उसमें में भी मिलने वाली इपीएफ का लाभ जिम्मेवार पदाधिकारी के लापरवाही से अबतक वंचित है. जो गंभीर मामला है, अगर समय रहते कर्मियो को मिलने वाली इपीएफ राशि का लाभ नहीं शुरू हुई, तो कर्मचारी इपीएफ लाभ को ले आंदोलन भी कर सकते है.
सरकार ने संविदा कर्मियों को 1 अप्रैल 2019 से इपीएफ लाभ की स्वीकृति दी है. इपीएफ राशि के एवज में कर्मियों को प्रतिमाह अपने वेतन से 12 प्रतिशत की राशि जमा करना है, वही सरकार कर्मियों को उनके वेतन का 13 प्रतिशत राशि इपीएफ मद्द में जमा करेगी. लेकिन करीब डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी कर्मी इपीएफ लाभ से वंचित है. यह अलग बात है कि परियोजना कर्मियों का इपीएफ राशि एक मुस्त जमा भी कर देता है. तो फिर इस कर्मियो को बीतने वाले डेढ़ साल में जमा इपीएफ राशि पर मिलने वाली ब्याज का लाभ तो नहीं मिल जायेगा.
आत्मा परियोजना के कार्यालय सहित प्रखंड स्तर पर करीब एक सौ के आसपास संविदा कर्मी कार्यरत है. इनमे डिप्टी पीडी के अलावें एटीएम, बीटीएम, एकाउंटेंट, आइटी असिस्टेंट, आदेशपाल आदि कर्मी शामिल है. जिन्हें इपीएफ का लाभ मिलना है. अगर यह मान भी लिया जाय कि वित्तीय तकनीकी के कारण इपीएफ शुरू नहीं हुई, फिर सवाल यह है कि इससे जुड़ी वित्तीय तकनीकी मामलें को समय रहते क्यों नहीं निपटाया गया.
posted by ashish jha