बिहार में खेल-कूद की पुरानी परंपरा रही है. भले ही यहां संसाधन सीमित हों, पर खिलाड़ी अपने दम पर मेहनत और जुनून की बदौलत आज राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कर रहे हैं. कई खिलाड़ी तो ऐसे हैं, जो आर्थिक रूप से संपन्न न होने के बावजूद भी किक बॉक्सिंग, वेट लिफ्टिंग, पावर लिफ्टिंग, कबड्डी और वुशू सहित कई खेलों में लगातार पदक जीत रहे हैं. स्थानीय कोच और मेंटोर का भी इसमें भरपूर सहयोग मिल रहा है. सरकार की ओर से स्थानीय स्तर पर अभ्यास की भले ही सुविधाएं न के बराबर हों पर गांव की मिट्टी में ही अभ्यास कर कई प्रतिस्पर्धा में अपना जलवा बिखेर रहे हैं और देश और दुनिया में बिहार का नाम रोशन कर रहे हैं.
गांव के माहौल में रहकर स्थानीय स्तर पर कोचिंग लेने के बाद दिघवारा प्रखंड के आमी की रहने वाली प्रियंका ने वर्ष 2016 में इटली में हुए किक बॉक्सिंग इवेंट में ब्रॉज मेडल जीता था. प्रखंड के राम जंगल सिंह कॉलेज में चलने वाले किक बॉक्सिंग ट्रेनिंग कैंप में प्रियंका ने अपने कोच धीरज कांत के नेतृत्व में हुनर को तराश. 2016 में कॉलेज में शुरू हुए इस छोटे से ट्रेनिंग संस्थान के माध्यम से गांव की कई लड़कियां आज राष्ट्रीय स्तर पर किक बॉक्सिंग व वुशु जैसे इवेंट में अपनी प्रतिभा का परिचय दे चुकी हैं. प्रियंका पिछले चार साल से लगातार नेशनल किक बॉक्सिंग इवेंट में हिस्सा ले रही हैं. जहां वह अबतक चार पदक भी प्राप्त कर चुकी है. बिहार सरकार ने प्रियंका को खेल सम्मान से भी नवाजा है.
सारण के दिघवारा प्रखंड स्थित सैदपुर गांव की मुस्कान भी उन लड़कियों में शामिल है. जिन्होंने स्थानीय कोच धीरज कांत के नेतृत्व में शुरू हुए किक बॉक्सिंग व वुशु की ट्रेनिंग में हिस्सा लेना शुरू किया. कुछ दिनों के अभ्यास व आगे बढ़ने की ललक के बाद वूशु रिंग में मुस्कान अपनी प्रतिभा दिखाने लगी. पिछले चार स्टेट चैंपियनशिप में मुस्कान को तीन सिल्वर एक गोल्ड मेडल मिल चुका है. वहीं अब वह नेशनल चैंपियनशिप की तैयारी में जुटी हुई हैं. स्थानीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने के बाद मुस्कान व उनकी सहेलियां जो ट्रेनिंग कैंप में ट्रेनिंग ले रही हैं. वह सभी राष्ट्रीय स्तर पर मेडल लाने का ख्वाब देख रही हैं.
छपरा के डोरीगंज मानुपुर जहांगीर गांव के अमित कुमार सिंह ने वर्ष 2011 में ग्रामीण स्तर के दिव्यांग खेलकूद प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था. हालांकि तब उन्हें यह पता नहीं था कि उनकी प्रतिभा उन्हें नेशनल पैरा ओलंपिक खेलों तक पहुंचायेगी. गांव के कुछ साथी को अभ्यास करता देख अमित ने भी खेत-खलिहान में ही एथलेटिक्स का अभ्यास शुरू किया. 2011 में ही भोपाल में राष्ट्रीय स्तर के गोला फेंक प्रतियोगिता में प्रथम आये, जिसके बाद वर्ष 2013 में बेंगलौर में सीनियर नेशनल पैरा ओलंपिक एथलेटिक्स प्रतियोगिता में डिस्कस थ्रो के इवेंट में गोल्ड हासिल किया. इसके बाद सफर कभी रूका नहीं. 2017 व 2018 के नेशनल पैरा ओलंपिक में भी बेहतर प्रदर्शन किया. वहीं भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम का भी हिस्सा रहे और पाकिस्तान के खिलाफ हुए मैच में बढ़िया प्रदर्शन किया. हालांकि अमित ने किसी से अब तक प्रॉपर ट्रेनिंग नहीं लिये. गुरु के अभाव में संघर्षरत हैं. इनका सपना अंर्तराष्ट्रीय पैरा ओलंपिक खेलों में पदक जीतने का है.
दानापुर के शाहपुर की रहने वाली खुशी कुमारी का लक्ष्य वेटलिफ्टिंग में ओलिंपिक पदक जीतना लक्ष्य है़ इसके लिए वह कड़ी मेहनत कर रही हैं. खुशी ने बताया कि घर की आर्थिक स्थित ठीक नहीं है. इसके बावजूद घर वाले मुझे काफी सपोर्ट करते हैं. खुशी लगातार राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत रही है़ं मार्च में बेंगलुरू में आयोजित खेलो इंडिया रैंकिंग में यूथ कैटेगरी में खुशी ने स्वर्ण पदक जीता था. जूनियर कैटेगरी में चौथे स्थान पर रही.
जहानाबाद के भोला सिंह वेटलिफ्टिंग में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनायी है़ वर्ष 2022 में भोला ने भुवनेश्वर में आयोजित नेशनल वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में नया रिकॉर्ड बनाते हुए स्वर्ण पदक जीता था़ इसके बाद वह लगातार पदक अपनी झोली में डालते गये़ भोला सिंह ने बताया कि हाल ही में कन्याकुमारी में आयोजित नेशनल वेटलिफ्टिंग में कांस्य पदक जीता़ उन्होंने बताया कि वह पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स कोच राजेंद्र प्रसाद की देख-रेख में प्रशिक्षण ले रहे है
सीवान की खुशी का फुटबॉल में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी है़ं 18 से 29 मार्च तक बांग्लादेश के ढाका में आयोजित सैफ महिला फुटबॉल चैंपियनशिप के लिए खुशी का चयन भारत की अंडर-17 फुटबॉल टीम में हुआ था़ गोलकीपर खुशी का लक्ष्य देश की सीनियर टीम में स्थान बनाना है़ बिहार फुटबॉल एसोसिएशन के सचिव सैयद इम्तियाज हुसैन ने बताया कि खुशी लगातार अपनी प्रतिभा को निखार रही है. आने वाले दिनों में वह फुटबॉल में देश और राज्य नाम रोशन करेगी. बिहार स्टेट एकलव्य सेंटर, सीवान में वह प्रैक्टिस करती है.
पटना जिले के बख्तियारपुर के रहने वाले सागर कुमार ने गांव से निकल कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कबड्डी में अपनी अलग पहचान बनायी. प्रभात खबर से बातचीत में सागर कुमार ने बताया कि काफी संघर्ष के बाद इस मुकाम पर पहुंचा है. ऑलराउंडर सागर प्रो कबड्डी में पटना पाइरेट्स की टीम से खेलते है़ं उन्होंने बताया कि प्रो कबड्डी में बेहतर प्रदर्शन के बल पर इस वर्ष ईरान में आयोजित जूनियर विश्व कप कबड्डी के लिए भारत की टीम में चयन हुआ़ भारत ने इस मैच में स्वर्ण पदक जीता.
पटना जिले के मोकामा के मरांची की सुरुचि कुमारी कबड्डी में बिहार की ओर से खेलते हुए कई पदक जीते़ सुरुचि के पिता श्याम सुंदर पांडेय बिजनेस करते है़ सुरुचि ने बताया कि बचपन से ही खेल के प्रति रूझान था. घर वालों का काफी सपोर्ट मिला. जिसके कारण वह कबड्डी में पहचान बना रही है. इस वर्ष इंदौर में आयोजित खेला इंडिया में कांस्य पदक जीतने वाली बिहार की टीम की सदस्य थी. इससे पहले भी वह वर्ष 2019 में असम में आयोजित खेलो इंडिया में बिहार की ओर से कांस्य पदक जीत चुकी हैं. सुरुचि का लक्ष्य भारत की टीम में खेलना है.
राजधानी के राजापुर पुल निवासी गोविंद कुमार पावर लिफ्टिंग में जलवा बिखेर रहे है़ं मार्च, 2023 में पटना में आयोजित इस्ट जोन पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में गोविंद कुमार स्ट्रांग मैन ऑफ बिहार का पुरस्कार जीता है़ गोविंद ने बताया कि वह साधारण परिवार से है लेकिन हौसला बुलंद है़ घर वालों की मदद से पावर लिफ्टिंग में करियर बना रहे हैं. उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने के लिए हर दिन जिम में पसीना बहा रहे है