अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं का दिन होता है. महिलाओं की सफलता पर इस दिन जश्न मनाते है. इस मौके पर आज हम नमिता सिंह की बात करने जा रहे है, जिन्होंने बिहार में जुम्बा को एक नई दिशा दी. इन्हें शुरुआती दिनों में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था. आपको बता दें कि नमिता ने पूर्णियां जिले से बिहार में जुम्बा की शुरुआत की है. नमिता कहती है कि शुरूआती दिनों में पूर्णियां में जुम्बा के प्रति लोगों को जागरुक करना चुनौतियों से भरा था. लोगों को यह समझाना भी मुश्किल था कि जुम्बा डांस नहीं है, बल्कि यह फिटनेस से जुड़ी चिज है.
पूर्णियां की महिलाओं के अच्छे स्वास्थ्य के लिए नमिता ने पूर्णियां में जुम्बा की शुरुआत की. जानकारी के अनुसार कई महिलाओं ने नमिता की जुम्बा और योगा की ट्रेनिंग से अपने वजन को कम किया. जुम्बा से मनोरंजन के साथ वजन में कमी आती है. नमिता का कहना है कि जुम्बा से आत्मसम्मान में भी बढ़ोतरी होती है. वह बताती है कि उन्ही की ट्रनिंग से कई महिलाओं की किस्मत बदल गई. कई महिलाओं का जुम्बा की मदद से वजन कम हुआ.
महिलाएं अगर स्वस्थ्य है तो पूरा घर ही स्वस्थ्य होता है. आपको बता दें कि नमिता ने मुख्य रूप से महिलाओं की स्वास्थ्य पर ध्यान दिया है. उनका टारगेट महिलाएं ही है. वहीं योगा और जुम्बा के जरिए कई तरह की बिमारियों से बचा जा सकता है. साथ ही इससे मोटापा से भी मुक्ति मिलती है. जुम्बा इंस्टक्टर नमिता सिंह आगे कहती है कि पूर्णियां की साक्षी झा को उन्होंने ही जुम्बा की ट्रेनिंग दी थी. इसके बाद साक्षी झा ने मिस पनोरमा का खिताब जीता था. वहीं कई महिलाओं को योगा और जुम्बा का फायदा भी पहुंचा है.
जुम्बा और योगा के अलावा नमिता महिलाओं को मेडिटेशन भी सिखाती है. मेडिटेशन महिलाओं की मानसिक स्वास्थ्य के लिए काफी बढ़िया चिज है. मेडिटेशन से मानसिक शांति मिलती है. किसी को भी जीवन में आगे बढ़ने के लिए फोकस करना होता है. फोकस के बिना कोई भी जीवन में आगे नहीं बढ़ सकता है. मालूम हो कि मेडिटेशन फोकस बढ़ाने में काफी मददगार होता है. जुम्बा, योगा या मेडिटेशन हर किसी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.
Published By: Sakshi Shiva