International Yoga Day 2021 : मन और काया को निरोग करने के लिए करें योग, जानिये कोरोना से बचाने के लिए बच्चों को कराएं कौन सा आसन

आज के तनावपूर्ण माहौल में गुणवत्ता पूर्ण जीवन के लिए योग अत्यंत अनिवार्य है. रिसोर्स पर्सन अनुराधा ने आज महिलाओं को ॐ नाद, ताड़ासन,धनुरासन, मकरासन, सिंहासन, चक्रासन इत्यादि का अभ्यास कराया.

By Prabhat Khabar News Desk | June 21, 2021 7:51 AM

मुजफ्फरपुर . गोला रोड स्थित राम भजन संकीर्तन आश्रम में चल रह योग शिविर के दूसरे दिन रविवार को लोगों को योग का प्रशिक्षण दिया गया. मौके पर सूर्य नमस्कार, विभिन्न योग व आसन के बारे में बताया गया. योग पर बोलते हुए पूर्व विधायक व समाजसेवी केदारनाथ प्रसाद ने कहा कि योग से मन और काया दोनों निरोग रहती है.

गुणवत्तापूर्ण जीवन के लिए योग जरूरी

आरबीबीएम कॉलेज में चल रहे योग कार्यशाला के दूसरे दिन रविवार को प्राचार्य प्रो ममता रानी ने कहा कि आज के तनावपूर्ण माहौल में गुणवत्ता पूर्ण जीवन के लिए योग अत्यंत अनिवार्य है. रिसोर्स पर्सन अनुराधा ने आज महिलाओं को ॐ नाद, ताड़ासन,धनुरासन, मकरासन, सिंहासन, चक्रासन इत्यादि का अभ्यास कराया.

इधर, बिहार योग विद्यालय, मुंगेर के योग प्रशिक्षक विक्रम कुमार ने कहा कि कोरोना से बच्चों को बचाने के लिए सूर्य नमस्कार, नाड़ी शोधन प्राणायाम व गायत्री मंत्र का उच्चारण जरूरी है. सूर्य नमस्कार के अभ्यास के लिए किसी योग प्रशिक्षक के दिशा निर्देश करना चाहिए्. इसमें 12 अभ्यास है, जिसमें आगे झुकने व पीछे झुकने का अभ्यास कराया जाता है.

शरीर के हर एक हिस्से पर इसका प्रभाव पड़ता है. इससे शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य प्राप्त होता है. दूसरे अभ्यास में नाड़ी शोधन प्राणायाम 10 चक्र दुहराना चाहिए. सुबह में नाड़ी शोधन, भ्रामरी प्राणायाम व ओम उच्चारण को 15 से 20 मिनट करते हैं तो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य ठीक रहता है.

नाड़ी शोधन प्राणायाम

सुखासन की स्थिति में बैठकर अपने दाहिने हाथ की पहली दो उंगली को भ्रुमध्य पर टिका कर अंगूठे से दाईं नासिका को बंद करके बाईं नासिका से श्वांस लेंगे, बाएं नासिका को अनामिका अंगुली से बंद कर लें. दाईं नासिका को खोल कर दाईं नासिका से श्वास बाहर छोड़ेंगे. फिर दाईं नासिका से श्वांस लेकर बाईं नासिका से छोड़ें. इस अभ्यास को 10 बार दुहराएं.

भ्रामरी प्राणायाम

दोनों हाथ की पहली अंगुली से कान और आंखों को बंद करके श्वांस लेंगे. फिर (म) उच्चारण के रूप में श्वांस को बाहर निकालें. यह क्रिया भी दस बार करें.

ओम उच्चारण

दोनों हाथ घुटनों पर रख कर गहरा श्वांस लेकर ओम उच्चारण दुहराएंगे. ऐसा 15 से 20 बार दुहराएं और कुछ क्षण के लिए बिल्कुल स्थिर बैठे रहें. मानसिक रूप से जो भी विचार उत्पन्न हो रहे हो, उसे होने दे. फिर धीरे से दोनों हथेली को आपस में रगड़ कर आंख बंद करें और धीरे से खोलें.

Posted by Ashish Jha

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