International Yoga Day: जीवन को स्वस्थ और खुशहाल बनने में आज योग की अहम भूमिका है. भारत के साथ-साथ आज पूरी दुनिया योग की ताकत को मानने लगी है. यह न सिर्फ किशोरावस्था में बल्कि उम्र के हर पड़ाव में काफी मददगार साबित हो रहा है. शहर में योग करने वाले लोगों ने बताया कि इससे आत्मबल और इच्छाशक्ति को बढ़ाया जा सकता है. आसन अच्छे विचार अपनाने और नकारात्मक गुणों से दूर रहने की प्रेरणा देते हैं. नियमित योगाभ्यास से मन, बुद्धि और इच्छाशक्ति को जागृत किया जा सकता है. इससे न केवल मानवता की सेवा में लोग खुद को एकजुट कर सकेंगे, साथ ही शिक्षा, कला, खेल, पेशेवर जीवन में भी सफलता मिलेगी.
शहर के योगाचार्य व योग प्रशिक्षिका का कहना है कि भारतीय धर्म और दर्शन में योग का अत्यधिक महत्व है. योग हमारे शरीर के साथ-साथ हमारे मन को भी स्वस्थ रखता है. योग से कई प्रकार की बीमारियों को दूर किया जा सकता है. यह देखा गया है और लोग इसके लाभ से भली भांति परिचित भी हैं. ऐसा माना जाता है कि जब से सभ्यता शुरू हुई है तभी से योग किया जा रहा है. आज दुनियाभर के लोग इसका लाभ लेते हैं और खुद को फिट और स्वस्थ रखने के लिए योग करते हैं.
शहर के योगाचार्य व योग प्रशिक्षिक का कहना है कि कई बार योग को धर्म से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन विद्वानों का मानना है कि यह किसी धर्म या जाति के बंधन में नहीं बांधा जा सकता है. क्योंकि यह संपूर्ण मानव जाति के लिए लाभ पहुंचाने वाला है. योग शब्द के दो अर्थ बताये गये हैं और दोनों ही अर्थ जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. पहला अर्थ है- जोड़ और दूसरा अर्थ है- ध्यान. जब तक हम अपने शरीर को योग कला से नहीं जोड़ते, ध्यान तक जाना असंभव हैं. योग हमारे शरीर, मन, भावना एवं ऊर्जा के स्तर पर काम करता है.
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करुणा : किसी के दुख में सहानुभूति जाहिर करना या दूसरे जरूरतमंद को देख उसे सहयोग करने की भावना जागृत होना.
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मैत्री : सभी के साथ परस्पर मेलजोल बनाये रखना.
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मुदिता : दूसरे के दुख में दुखी होना, सुख का साथी बनना और दूसरे के आनंद में खुशी जाहिर करना.
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अपेक्षा : कोई व्यक्ति किसी मनुष्य से आस लगाये बैठा हो और वह सुन नहीं रहा. अच्छा काम या बोलने पर भी अच्छी प्रतिक्रिया न दे रहा. ऐसे व्यक्ति से दूरी बनाकर उसके मंगल कामना की प्रार्थना करना है.
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16 वर्षीय अभिषेक स्कूली बच्चों को देते हैं ट्रेनिंग
16 वर्षीय अभिषेक कुमार कक्षा छह से ही योग में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं. स्कूल से ही उनमें योग के प्रति रुचि बढ़ी. इसके बाद उन्होंने योग इंस्ट्रक्टर से ट्रेनिंग प्राप्त कर योग में अपनी अलग पहचान बना ली. वे रीजनल लेवल पर आयोजित हुई योग प्रतियोगिता में दो बार गोल्ड मेडल प्राप्त कर चुके हैं. वे पिछले तीन साल से स्कूल के छोटे बच्चों को योग सिखाते हैं तथा उन्हें विभिन्न योगासन से होने वाले फायदों के बारे में भी बताते हैं.
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कक्षा सात से ही लोगों को कराती हैं योगाभ्यास
स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से आयोजित योग प्रतियोगिता में ब्लॉक लेवल पर गोल्ड मेडल और डिस्ट्रिक्ट लेवल पर कांस्य पदक जीतने वाली अनन्या कक्षा सात से ही न केवल योग सीख रही हैं, बल्कि परिवार व अन्य दूसरे लोगों को भी इसकी ट्रेनिंग देती हैं. 15 वर्षीय अनन्या कहती हैं, योग के जरिये निरोग रहने के लिए परिवार और आस-पास के छोटे बच्चों को भी मैं योग की ट्रेनिंग देती हूं.
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प्ले स्कूल में पढ़ने बच्चे वैष्णवी से सीखते हैं योग
17 वर्षीय वैष्णवी पिछले कई साल से योग सीख रही हैं. योग सीखने के साथ ही वे शहर के एक प्ले स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को प्रतिदिन योग सिखाती हैं. इसके साथ ही वे अपने अपार्टमेंट के लोगों को भी योग के प्रति जागरूक कर उन्हें भी ट्रेनिंग देती हैं. वैष्णवी ने बताया कि योग को जीवन में शामिल करने के बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है, मन शांत रहता है और दिमाग भी काफी एक्टिव रहता है. इससे पढ़ाई पर फोकस भी बढ़ जाता है.
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पिता से योग सिख पड़ोस के बच्चे को सिखाती हैं
बैंक ऑफ इंडिया कॉलोनी में रहने वाली नौ वर्षीय अनन्या चार वर्ष की उम्र से ही अपने पिता से योग सीख रही हैं. वे कहती हैं, पिता को देख योग में रुचि जगी. फिर मैंने योग क्लास ज्वाइन कर लिया. आलोक फिलहाल अपने परिवार के साथ मुंबई में हैं. उन्होंने बताया कि अनन्या प्रतिदिन घर के सदस्यों व पड़ोस के बच्चों को योग की ट्रेनिंग देती हैं. अनन्या की रुचि इंटरनेशनल लेवल पर योग में अपनी पहचान स्थापित करना है.