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Exclusive Interview: जदयू के संजय झा बोले- चुनाव को लेकर महिला वोटरों में उत्साह, कम वोटिंग पर कही ये बात

जदयू के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद संजय कुमार झा की प्रभात खबर के राजनीतिक संपादक मिथिलेश से बातचीत के प्रमुख अंश.


लोकसभा चुनाव के तीन चरणों का चुनाव संपन्न हो चुका है. सोमवार को पांच और सीटों पर वोट डाले जायेंगे. जदयू के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद संजय कुमार झा ने बिहार के कई जिलों में घूम कर एनडीए प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार किया है. प्रभात खबर ने उनसे चुनाव के हाल जानने की कोशिश की है. संजय झा कहते हैं कि लोग तीसरी बार नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए उत्साहित हैं. खास कर महिलाओं में तो गजब का उत्साह है. उनके उत्साह को देख कर एनडीए के पक्ष में स्पष्ट लहर के संकेत मिल रहे हैं. प्रस्तुत है राजनीतिक संपादक मिथिलेश से उनकी बातचीत के प्रमुख अंश.

  • सवाल : लोकसभा चुनाव के तीन चरण संपन्न हो चुके हैं. इस दौरान आप बिहार के कई जिलों में घूमे. बिहार में क्या माहौल लग रहा है?
    • उत्तर : पूरे बिहार में लोग नरेंद्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने के लिए उत्साहित हैं. लोगों को अच्छी तरह पता है कि यह लोकसभा चुनाव है. देश का प्रधानमंत्री बनाने के लिए चुनाव है. जनता जानती है कि कौन सा गठबंधन देश को एक सशक्त और सक्षम सरकार दे सकता है. किनके नेतृत्व में देश में और किनके नेतृत्व में प्रदेश में लगातार विकास हुआ है और हो रहा है. बिहार की जनता को यकीन है कि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नये भारत के निर्माण का विजन और बिहार में विकास के पर्याय माने जाने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कुशल नेतृत्व और प्रशासनिक अनुभव मिलकर ही ”विकसित बिहार” का निर्माण हो सकता है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले 18 वर्षों में न केवल विकसित बिहार के निर्माण के लिए जरूरी बुनियादी ढांचे को दुरुस्त किया है, बल्कि महिलाओं और समाज के आखिरी पायदान पर खड़े वर्गों समुदायों को सशक्त बनाकर उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ा है.
  • सवाल : महिलाओं के जागरुकता होने में राज्य सरकार की कितनी भूमिका आप देखते हैं.
    • उत्तर : बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यकाल में पहली बार महिला वोटर का स्वतंत्र अस्तित्व देखा जाने लगा है. पहले यह माना जाता था कि महिलाएं परिवार के पुरुषों के कहने पर ही वोट डालती हैं. अब ऐसा इसलिए हो पाया है, क्योंकि नीतीश कुमार के कार्यकाल में महिलाओं की सुरक्षा और उनके सशक्तीकरण के लिए ऐतिहासिक काम हुए हैं. वह चाहे आधी आबादी को पंचायती राज और नगर निकायों में 50 प्रतिशत आरक्षण देना हो, सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत आरक्षण देना हो, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए जीविका की शुरुआत हो या उनकी सुरक्षा के मद्देनजर शराबबंदी लागू करना.
  • सवाल : बिहार के बारे में एक आम धारणा है कि यहां वोट अंततः जातीय समीकरण के आधार पर दिये जाते हैं. जदयू या एनडीए जातीय समीकरण में कितना फिट बैठ रहा है?
    • उत्तर: वह दिन गये, जब बिहार में जात-पात के नाम पर चुनाव लड़े जाते थे और लोगों से लाठी में तेल पिला कर एक पैर पर खड़े होने का आह्वान किया जाता था. बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा न्याय के साथ सभी इलाकों और सभी वर्गों-तबकों-समुदायों के विकास के लिए निष्पक्ष होकर कार्य किये हैं. उनके लिए पूरा बिहार अपना परिवार है और बिहार की सेवा की उनका एकमात्र लक्ष्य एवं उद्देश्य है. इसी तरह देश में पीएम मोदी ने सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास की नीति को आगे बढ़ाया है.
  • सवाल : विपक्ष के नेता दावा कर रहे हैं कि उनके 17 महीने के कार्यकाल में लाखों नौकरियां दी गयीं. इस पर आप क्या कहेंगे?
    • उत्तर: बिहार के लोग भूले नहीं हैं कि लालू प्रसाद के जंगलराज में खजाना खाली रहता था. जो लोग पहले से सरकारी नौकरी में थे, उन्हें वेतन के लिए महीनों इंतजार करना पड़ता था. कई बार तो पर्व-त्योहारों में भी सरकारी कर्मियों को वेतन नहीं मिलता था. जो नेता 17 महीनों की बात कर रहे हैं, उनसे पूछिए कि वे जिन विभागों के मंत्री थे, उनमें 17 महीनों में कितनी नियुक्तियां हुई थीं? मुख्यमंत्री नीतीश कुमारी ने अपने सात निश्चय-2 में ही ऐलान कर दिया था कि 10 लाख लोगों को नौकरी और 10 लाख लोगों को रोजगार देंगे. उन्होंने गांधी मैदान से भी यह ऐलान किया था.
  • सवाल : इस बार कुछ कम वोटिंग की क्या वजह है?
    • उत्तर : कम वोटिंग की वजह बिल्कुल स्पष्ट है. एक तरफ एनडीए समर्थकों में नरेंद्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने के लिए उत्साह है. दूसरी तरफ इंडी गठबंधन में किसी को पता ही नहीं है कि प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कौन है, इसलिए इंडी समर्थकों में कहीं कोई उत्साह नहीं दिख रहा है. बिहार की कई सीटों पर तो दूसरे स्थान पर रहने के लिए महागठबंधन के दो नेता आपस में ही लड़ रहे हैं.
  • सवाल: लेकिन, विपक्ष के नेता दावा कर रहे हैं कि बिहार में इंडी गठबंधन की एकतरफा जीत होगी?
    • उत्तर : विपक्ष के नेता तो 2019 के लोकसभा चुनाव और 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में भी एकतरफा जीत का ही दावा कर रहे थे. बिहार की जनता जागरूक है और जानती है कि जन-जन के सपने पूरे करने का जज्बा देश में मोदी और बिहार में नीतीश कुमार के पास है. ग्राउंड जीरो पर हमलोग देख रहे हैं कि लोग विकसित और सशक्त राष्ट्र के निर्माण के लिए मोदी जी को वोट देने के लिए संकल्पित हैं. जब चार जून को नतीजे आयेंगे, तो आप देखेंगे कि विपक्ष के नेता अपनी हताशा दूर करने के लिए पहले की तरह लंबी छुट्टी मनाने विदेश चले जायेंगे.
  • सवाल : मिथिला के विकास पर आपका विशेष ध्यान रहा है. उसके लिए राज्यसभा सांसद के रूप में क्या योजना है?
    • उत्तर : मिथिला की सबसे बड़ी समस्या है नेपाल से हर साल आने वाली भीषण बाढ़. बाढ़ का कोई दीर्घकालिक समाधान हो जाए, मिथिला में सिंचाई की अच्छी व्यवस्था हो जाए, तो मिथिला को भी तेजी से विकास करने से कोई नहीं रोक सकता. इसके लिए नेपाल में हाइडैम बने और सीमा पार से नियंत्रित पानी आए. मुझे विश्वास है, मोदी जी के तीसरे कार्यकाल में मिथिला सहित संपूर्ण उत्तर बिहार की बाढ़ के स्थाई समाधान के लिए या तो नेपाल में हाइडैम बनेगा या कोई-न-कोई ऐसा ठोस रास्ता निकाला जायेगा, जिसका उत्तर बिहार के करोड़ों लोगों के जीवन पर बड़ा इम्पैक्ट पड़ेगा.
  • सवाल : पीएम मोदी के पिछले दो कार्यकाल को आप किस प्रकार देखते हैं.
    • उत्तर : जैसे कोई मूवी हिट हो जाती है, तो लोग उसका सीक्वल देखना चाहते हैं. निर्माता पार्ट टू के हिट होने पर पार्ट थ्री और फोर भी बनाते हैं. उसी तरह जब कोई नेता सक्षम और ईमानदार हो, सबको साथ लेकर चलने वाला हो, तो लोग उसे बार-बार जिताना चाहते हैं. पीएम मोदी का पिछला दो कार्यकाल सुपरहिट रहा है. उनके तीसरे कार्यकाल का लोग एक नई उम्मीद के साथ बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर, 1990 से 2005 तक बिहार में जिस ‘हॉरर’ मूवी का निर्माण और निर्देशन महागठबंधन द्वारा किया गया था, उसका सीक्वल न तो 2005 में कोई देखना चाहता था और न ही 2024 में.
  • सवाल : बिहार में एनडीए को कितनी सीटें मिलेंगी.
    • उत्तर : हमलोग आश्वस्त हैं कि बिहार में एनडीए को इस बार 40 में से 40 सीटें मिलेंगी. हमें पूर्ण विश्वास है कि बिहार की जनता परिवारवाद और भ्रष्टाचार के गठबंधन को फिर नकार देगी. इस विश्वास की एक और बड़ी वजह है. मैं झंझारपुर स्थित अपने गांव के बूथ पर वोट करने गया था. वहां तीन लाइनें माताओं-बहनों की थीं, एक लाइन पुरुष मतदाताओं की थी. अन्य लोकसभा क्षेत्रों से भी ऐसी ही रिपोर्ट आ रही है कि महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर मतदान किया है. इससे एनडीए के पक्ष में लहर के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं.

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