IRCTC घोटाला: लालू यादव समेत 16 लोगों के खिलाफ चार्ज फ्रेम करने पर दलीलें पूरी, अगली सुनवाई सात अगस्त को
दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में रेलवे होटल के टेंडर मामले में आज सुनवाई पूरी हो गई है. कोर्ट में चार्ज फ्रेम करने पर जो दलील की गयी वह पूरी हो गई. अब इस मामले में 7 अगस्त को सुनवाई की अगली तारीख निर्धारित की गयी.
पटना. आईआरसीटीसी घोटाला मामले में राऊज रिवेन्यू कोर्ट ने सोमवार को बड़ी सुनवाई की. राउज एवेन्यू कोर्ट में चार्ज फ्रेम करने पर दलील पूरी हो गयी है. इसके बाद अब कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 7 अगस्त को निर्धारित की है. दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में रेलवे होटल के टेंडर मामले में आज सुनवाई पूरी हो गई है. कोर्ट में चार्ज फ्रेम करने पर जो दलील की गयी वह पूरी हो गई. अब इस मामले में 7 अगस्त को सुनवाई की अगली तारीख निर्धारित की गयी.
सीबीआई के पास सबूतों का अभाव
सुनवाई के दौरान दलील पेश करते हुए लालू प्रसाद के वकील ने कहा कि सीबीआई ने ऐसा कोई भी सबूत नहीं पेश किया, जिससे यह साबित हो सके कि लालू प्रसाद यादव ने टेंडर दिलाने के मामले में किसी का पक्ष लिया है. लालू यादव के वकील ने कहा कि सीबीआई को हाई प्रोफाइल केस में सबूतों के साथ कोर्ट में आना चाहिए. सिर्फ हवा हवाई बातों पर चार्ज फ्रेम करने की मांग नहीं की जा सकती है.
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पॉलिसी बदलने में थी लालू प्रसाद यादव की दखलअंदाजी
वहीं, इस मामले में सीबीआई के वकील ने कहा कि पॉलिसी बदलने के मामले में लालू प्रसाद यादव की दखलअंदाजी थी. यह पूरा मामला उस समय का है जब देश के रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव हुआ करते थे. उस समय रेलवे बोर्ड ने देश के सभी होटलों और ट्रेनों में कैटरिंग सेवा आईआरसीटीसी को सौंप दिया था. इसी दौरान रांची और ओडिशा के होटलों के टेंडर में गड़बड़ी का मामला सामने आया था. जिसके बाद सीबीआई ने इस मामले में लालू प्रसाद समेत अन्य कई लोगों पर चार्जशीट दाखिल की है.
तीन एकड़ के वाणिज्यिक भूखंड रिश्वत के रूप में शामिल
साल 2004 से 2009 के बीच लालू यादव रेल मंत्री रहे थे. उस समय इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन के जरिए रांची और पुरी में चलाए जाने वाले दो होटलों की देख-रेख का काम अचानक सुजाता होटल्स नाम की कंपनी को दे दिया गया. विनय और विजय कोचर इस कंपनी के मालिक थे और सुजाता होटल्स ने इसके बदले में कथित तौर पर लालू यादव को पटना में तीन एकड़ जमीन दे दी, जो बेनामी संपत्ति थी. वहीं, 2006 में रांची और ओडिशा के पुरी में आईआरसीटीसी के दो होटलों के ठेके पटना में एक प्रमुख स्थान पर तीन एकड़ के वाणिज्यिक भूखंड के रूप में रिश्वत में शामिल एक निजी फर्म को आवंटित करने में कथित अनियमितताएं थीं. इसके बाद ईडी ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल की थी.
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कई बार हो चुकी है लालू यादव के पारिवारिक सदस्यों से पूछताछ
इस मामले में सीबीआई कई बार राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव से भी पूछताछ की थी. इसके बाद सीबीआई ने 2017 में सभी के खिलाफ एक आपराधिक मुकदमा दर्ज कर लिया था. 2018 में इस मामले में जमानत दे दी गई थी. दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में ईडी ने अगस्त 2018 पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव, बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, पीसी गुप्ता, सरला गुप्ता समेत कुल 16 लोंगो के खिलाफ आईआरसीटीसी घोटाले में चार्जशीट दायर की थी.
क्या है मामला
दरअसल मामला लालू यादव के साल 2004 से 2009 तक के रेल मंत्री के कार्यकाल का है. उस वक्त बगैर किसी विज्ञापन के कई लोगों को रेलवे में चतुर्थवर्गीय पद पर नौकरी दी गई. आरोप है कि नौकरी देने के बदले उनके या परिवार के सदस्यों से जमीन लिखवाई गई. ये जमीन राबड़ी देवी, मीसा भारती, हेमा यादव और दिल्ली की एके इंफोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के नाम पर 5 सेल डीड और 2 गिफ्ट डीड के जरिए ट्रांसफर की गई. जांच एजेंसियों का दावा है कि रेलवे में ग्रुप डी की नौकरियों के बदले में गरीब उम्मीदवारों और उनके माता-पिता से जमीनें ली गईं. कई रेलवे जोन में भर्ती किए गए उम्मीदवारों में से 50% से ज्यादा लोग लालू यादव के परिवार के विधानसभा क्षेत्रों से थे. लालू यादव के परिवार और उनके सहयोगियों की ओर से रियल एस्टेट समेत विभिन्न क्षेत्रों में निवेश का पता लगाने के लिए जांच चल रही है.