स्मार्ट सिटी पटना परियोजना में उजागर हुई अनियमितता, टेंडर रद्द,जानिये पूरा मामला

स्मार्ट सिटी पटना परियोजना में गंभीर अनियमितता का मामला सामने आया है. इसकी जानकारी बुधवार को उपमुख्यमंत्री सह नगर आवास विकास विभाग के मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने विधान परिषद में प्रथम सत्र की कार्यवाही के दौरान संजीव श्याम सिंह के तारांकित प्रश्न के जवाब में दी.

By Prabhat Khabar News Desk | March 4, 2021 7:20 AM
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पटना. स्मार्ट सिटी पटना परियोजना में गंभीर अनियमितता का मामला सामने आया है. इसकी जानकारी बुधवार को उपमुख्यमंत्री सह नगर आवास विकास विभाग के मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने विधान परिषद में प्रथम सत्र की कार्यवाही के दौरान संजीव श्याम सिंह के तारांकित प्रश्न के जवाब में दी.

उन्होंने कहा कि पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड के तहत प्रस्तावित इंटीग्रेटेड कंट्रोल कमांड सेंटर की टेंडर प्रक्रिया में कई गंभीर अनियमितताएं पाये जाने के बाद इस टेंडर को रद्द कर दिया गया है. टेंडर प्रक्रिया की जांच विभागीय स्तर पर गठित कमेटी ने की है.

जांच में दोषी पाये गये लोगों पर कार्रवाई के लिए पटना के प्रमंडलीय आयुक्त को निर्देश दिया गया है. उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि पहले की व्यवस्था के अनुसार पटना स्मार्ट परियोजना के अध्यक्ष प्रमंडलीय आयुक्त होते थे. अब नयी व्यवस्था के अनुसार इसके अध्यक्ष नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव इसके अध्यक्ष बनाये गये हैं.

डिप्टी सीएम ने दी जानकारी

उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने बताया कि पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड का वर्तमान रैंक 37 है. यहां मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी और वित्त एवं प्रोक्योरमेंट प्रबंधक के पद पर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है. चयनित अभ्यर्थी 18 फरवरी तक ज्वाइन करेंगे. वहीं, भागलपुर और मुजफ्फरपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के लिए गठित एसपीवी के क्रियान्वयन के लिए विभाग द्वारा विभिन्न पदों पर नियोजन की प्रक्रिया पूरी की गयी है.

क्या है मामला

सूत्रों के अनुसार पटना स्मार्ट परियोजना लिमिटेड के तहत इंटीग्रेटेड कंट्रोल कमांड सेंटर के लिए टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड और एल एंड टी समेत पांच कंपनियों ने टेंडर डाले थे. आरोप था कि पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने प्रक्रिया में हेरफेर करते हुए टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को काम आवंटित कर दिया.

मामला प्रकाश में आने के बाद नगर विकास विभाग ने इसकी जांच करायी. जांच में पाया गया कि टेंडर के आमंत्रण और निष्पादन में गड़बड़ी हुई है. वहीं, इंटीग्रेटेड कंट्रोल कमांड सेंटर की डीपीआर 254.50 करोड़ रुपये की थी. टाटा प्रोजेक्ट्स को यह योजना 313.44 करोड़ रुपये में आवंटित की गयी.

बाद में जांच में पाया गया कि तकनीकी स्वीकृति टेंडर खुलने के बाद ली गयी. सूत्रों के अनुसार 20 दिसंबर, 2018 को वित्तीय बीड खोलने की अनुमति ली गयी है और 21 दिसंबर की तारीख तय की गयी, लेकिन 20 दिसंबर, 2018 को ही वित्तीय बिड खोलने की प्रक्रिया पर सबके हस्ताक्षर थे.

Posted by Ashish Jha

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