पटना. राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद ने प्रदेश के छह प्रमुख विश्वविद्यालयों को सख्त चेतावनी दी है कि वह आधारभूत संरचना विकास के लिए दी गयी 10-10 करोड़ की राशि का समय रहते उपयोग कर लें. अगर ऐसा नहीं होता है तो पटना विश्वविद्यालयों के अलावा समस्त विश्वविद्यालयों को नैक की चुनौती में खरा उतर पाना आसान नहीं होगा. पटना विश्वविद्यालय को चूंकि नैक हाल ही में मिला है, इसलिए अभी वह इस हिदायत से बाहर है.
तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय का भी नैक की समयावधि खत्म होने वाली है. आधिकारिक जानकारी के मुताबिक प्रदेश के चार विश्वविद्यालयों मसलन मगध विश्वविद्यालय, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय और केएसडी संस्कृत विश्वविद्यालय को नैक की समयावधि खत्म हो चुकी है. नैक पाने के लिए उन्हें नये सिरे से फिर प्रयास करने हैं.
इसलिए इन विश्वविद्यालयों को दी गयी दस-दस करोड़ की राशि खर्च करनी ही होगी. यह राशि रूसा की योजना के तहत विश्वविद्यालयों की आधारभूत संरचनाओं के निर्माण पर खर्च की जानी है. इन सभी विश्वविद्यालयों ने वह राशि अभी तक खर्च नहीं की है. हालांकि विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों ने पक्ष भी रखा.
राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद के सभागार में आयोजित इस मीटिंग की अध्यक्षता परिषद के उपाध्यक्ष डॉ कामेश्वर झा, शिक्षा विभाग के सचिव असंगबा चुबा आओ एवं अन्य अधिकारियों में शिवेश रंजन और योगेश चौधरी उपस्थित रहे.
मीटिंग के दौरान पटना ट्रेनिंग कॉलेज , जगजीवन राम कॉलेज गया, एस सिन्हा कॉलेज औरंगाबाद, सगौर कॉलेज, आरएलएस संस्कृत कॉलेज दरभंगा एवं अन्य कॉलेजों के आधारभूत संरचना के निर्माण के लिए प्रति कॉलेज एक से दो करोड़ की राशि दी गयी थी.
Posted by Ashish Jha