इंटरव्यू के समय प्रमाणपत्र पेश करना अनिवार्य नहीं, पटना हाइकोर्ट ने उम्मीदवारों को दी बड़ी राहत

पटना हाइकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि किसी भी की उम्मीदवारी इस आधार पर निरस्त नहीं की जा सकती कि इंटरव्यू के समय उसने विश्वविद्यालय की ओर से जारी प्रमाणपत्र सक्षम अधिकारी के समक्ष पेश नहीं किया है.

By Prabhat Khabar News Desk | August 21, 2021 6:57 AM

पटना. पटना हाइकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि किसी भी की उम्मीदवारी इस आधार पर निरस्त नहीं की जा सकती कि इंटरव्यू के समय उसने विश्वविद्यालय की ओर से जारी प्रमाणपत्र सक्षम अधिकारी के समक्ष पेश नहीं किया है. न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह के एकलपीठ ने अनामिका असाना व अन्य द्वारा दायर कई रिट याचिकाओं पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया है .

कोर्ट ने कहा कि ऐसी बात नही है कि इंटरव्यू के बाद संबंधित उम्मीदवार की उम्मीदवारी या नियुक्ति प्रमाणपत्र जमा नहीं करने की स्थिति में समाप्त नहीं की जा सकती है. संबंधित अधिकारियों को चाहिए कि समय पर प्रमाणपत्र जमा नहीं करने वाले व्यक्ति को प्रमाणपत्र जमा करने का एक मौका नियुक्ति के पहले तक दिया जाये.

मामला राज्य के विभिन्न विभागों में असस्टिेंट इंजीनियर (सिविल इंजीनियरिंग) के पद पर की जाने वाली नियुक्ति से संबंधित है. इंटरव्यू के समय प्रमाणपत्र प्रस्तुत नहीं करने पर बिहार लोक सेवा आयोग ने अर्हता प्राप्त उम्मीदवारों की उम्मीदवारी इस आधार पर रदद् कर दिया था कि उसने समय पर प्रमाणपत्र नहीं दिखाये.

पटना हाइकोर्ट ने कहा कि इनकी उम्मीदवारी इस आधार पर रद्द नहीं कि जा सकती है कि विवि द्वारा जारी प्रमाणपत्र को इंटरव्यू के समय पेश नहीं किया गया है. कोर्ट ने अपने आदेश में अन्य बातों के अलावा यह भी कहा है कि जैसा कि इंटरव्यू पत्र में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि इंटरव्यू के बाद भी यह निर्णय लेने का अधिकार आयोग के पास सुरक्षित है कि कोई उम्मीदवार अपेक्षित शैक्षणिक योग्यता रखता है या नहीं. ऐसी स्थिति में आयोग यह निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होगा की याचिकाकर्ता बीटेक (सिविल इंजीनियरिंग) की योग्यता आवेदन की अंतिम तिथि को रखते हैं या नहीं.

कोर्ट को याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता हर्ष सिंह ने बताया कि आयोग द्वारा जारी विज्ञापन संख्या – 02/ 2017 के आलोक में याचिकाकर्ताओं ने उक्त पद पर नियुक्ति को लेकर आवेदन किया था. तीनों उम्मीदवारों ने प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा को पास करने के बाद इंटरव्यू में भाग लिया, लेकिन आयोग ने यह कहते हुए इनकी उम्मीदवारी को रद्द कर दिया कि शैक्षणिक योग्यता को लेकर पेश किया गया बीटेक का प्रोविजनल सर्टिफिकेट बीआइटी, सिंदरी ने जारी किया है, न कि विनोबा भावे वश्विद्यिालय ने.

कोर्ट को याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि बीआइटी, सिंदरी विनोबा भावे विवि के अंतर्गत आता है. प्रोविजनल सर्टिफिकेट में यह स्पष्ट रूप से लिखा हुआ था कि विवि द्वारा अगले दीक्षांत समारोह में डिग्री जारी किया जायेगा. कोर्ट को बताया गया कि आयोग ने सफल उम्मीदवारों की भी उम्मीदवारी रद्द कर दी थी.

इसके पूर्व में आयोग द्वारा विज्ञापन संख्या – 02/2011 के आलोक में जारी असिस्टेंट इंजीनियर की नियुक्ति को लेकर आयोजित परीक्षा में विनोबा भावे विवि से एफिलिएटेड बीआइटी, सिंदरी समेत अन्य कॉलेजों द्वारा जारी प्रोविजनल सर्टिफिकेट कम-से-कम आठ-नौ उम्मीदवारों से स्वीकार किया गया था और आयोग द्वारा इन्हें सफल भी घोषित किया गया था.

याचिकाकर्ता का कहना था कि यह भी आश्चर्य की बात है की विनोबा भावे विवि से पास बहुत से अन्य उम्मीदवार, जिन्होंने सिर्फ प्रोविजनल सर्टिफिकेट प्रस्तुत किये थे, उन्हें इस विज्ञापन संख्या – 02/ 2017 में सफल घोषित किया गया था.

याचिकाकर्ता ने जब इस बात का जिक्र अपने रिट याचिका में किया तो बीपीएससी ने उन सभी सफल उम्मीदवारों की भी उम्मीदवारी रद्द कर दी थी. हाइकोर्ट ने ऐसे सभी उम्मीदवारों के संबंध में बीपीएससी के इस निर्णय को गलत करार देते हुए उम्मीदवारी रद्द करने संबंधी बीपीएससी के फैसले को कको निरस्त कर दिया.

बैठक के बाद निर्णय

बीपीएससी के परीक्षा नियंत्रक अमरेंद्र कुमार ने कहा कि पटना हाइकोर्ट ने आदेश को लेकर सोमवार को बैठक होगी. बैठक के बाद इस संबंध में निर्णय लिया जायेगा. कोर्ट के फैसले का अध्ययन भी किया जायेगा. अध्ययन के बाद आयोग निर्णय लेगा.

Posted by Ashish Jha

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