बिहार में आए दिन जहरीली शराब (Jahrili Sharab) से मौत के मामले सामने आते हैं. प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी लागू है लेकिन उसके बाद भी लोग चोरी-छिपे शराब का सेवन करना नहीं छोड़ते. ये शराब कई बार लोगों के लिए जानलेवा साबित हुई है. शराब का सेवन करने वाले लोगों को अपनी आंखों की रोशनी तक गंवानी पड़ जाती है. आखिर शराब का सेवन करने से क्यों मौतें हो रही है. आखों की रोशनी क्यों गायब हो जाती है. जानते हैं क्या कहते हैं एक्सपर्ट…
बिहार में जब शराबबंदी लागू किया गया तो शराब तस्करों ने चोरी छिपे शराब बनाना और बेचना शुरू कर दिये. सूबे में आए दिन कहीं न कहीं जहरीली शराब से तांडव मचा रहता है. हाल में ही दो हफ्ते के अंदर अलग-अलग घटनाओं में केवल सारण जिले में 24 लोगों की मौत हो गयी. होली के दिन भागलपुर और बांका में कोहराम मचा था. डेढ़ दर्जन से अधिक मौतें केवल भागलपुर जिले में हुई थी. आखिर ये शराब के सेवन से मौत क्यों होती है, ये बहुत लोगों के मन में पनपता सवाल है.
आए दिन दियारा क्षेत्र में छापेमारी के दौरान शराब की भट्ठियां पकड़ाती है. दरअसल एक तरफ जहां शराबबंदी है वहीं चोरी छिपे स्थानीय स्तर पर शराब बनाकर लोगों को बेचा जा रहा है. इसमें लापरवाही बरती जाती है जो शराब को जहर में बदल देता है. शराब बनाने के दौरान टेम्परेचर का कोई ख्याल नहीं रखा जाता है जिसकी वजह से इथाइल अल्कोहल के साथ-साथ मिथाइल अल्कोहल भी उसमें शामिल कर देता है
Also Read: जहरीली शराब मामला: बिहार के सारण जिले में 12 दिनों में 24 लोगों की गयी जान, नहीं थम रहा मौत का तांडव
इथाइल अल्कोहल से नुकसान नहीं होता है लेकिन मिथाइल अल्कोहल से फार्मिक एसिड निकलता है. जो शरीर के लिए बेहद खतरनाक है. जहरीली शराब में मिथाइल अल्कोहल यानी मेथेनॉल की मात्रा 90 प्रतिशत से अधिक होती है. जो शरीर के नर्वस सिस्टम को ब्रेक डाउन करता है. कई बार शराब को अधिक नशीला बनाने के चक्कर में इसमें यूरिया और ऑक्सिटोसिन मिला दिया जाता है, जो मौत का कारण बनती है.
जहरीली शराब में फार्मिक एसिड काफी अधिक होती है और इसी के कारण तमाम परेशानियां आती हैं. उदाहरण के लिए, एक चिंटी काटती है तो शरीर में बेहद कम मात्रा में फार्मिक एसिड छोड़ती है और हम उसे सहन नहीं कर पाते हैं. लेकिन जहरीली शराब से जब बेहद अधिक मात्रा में फार्मिक एसिड शरीर में प्रवेश करता है तो ये मौत का कारण बन जाता है.
भागलपुर में मौत के बाद डॉक्टर ने बताया था कि जहरीले पदार्थ के सेवन से मरीज कार्डियोमायोपैथी और आप्टिक न्यूरोपैथी का शिकार हो जाते है़ं. कार्डियोमापैथी में मरीज का हर्ट का साइज बड़ा हो जाता है़. जिससे हर्ट में खून का पंप बेहतर तरीके से नहीं करता है. इससे मरीज को हर्ट अटैक हो जाता है़.
डॉक्टर बताते हैं कि आप्टिक न्यूरोपैथी में आंख का नस सूख जाता है. जिसके बाद मरीज को दिखाई देना बंद हो जाता है़. अक्सर पुराने शराबी को ऐसा रोग होता है़. इसके अलावा जिस ने जहरीला खाद्य पदार्थ खा लिया है उसे भी यह रोग हो सकता है़. मरीज के भोजन में अगर टॉक्सिन ज्यादा हो तो उसे इसी तरह की परेशानी होगी. वहीं जहरीली शराब में मिथाइल अल्कोहल अधिक मात्रा में रहने के कारण सबसे पहला असर आखों पर देखने को ही मिलता है.
Published By: Thakur Shaktilochan