गोपालगंज में जेलर ने दिखाया ‘पावर’, बिना जमानत ही कैदी को कर दिया रिहा, अब कोर्ट मांग रहा जवाब
जिला एवं सत्र न्यायाधीश विष्णुदेव उपाध्याय के कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान जब कैदी के बारे में पूछा गया तो पता चला कि उसे एक अक्तूबर को ही छोड़ दिया गया है. यही नहीं, 10 अक्तूबर को निचली अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान उस कैदी को उपस्थित भी करा दिया गया था.
सत्येंद्र पांडेय, गोपालगंज. गोपालगंज जेल में जेलर ने एक विचाराधीन कैदी को बिना जमानत के ही रिहा कर दिया. मामले का खुलासा शनिवार को उस समय हुआ जब उस कैदी की जमानत अर्जी पर सुनवाई चल रही थी. जिला एवं सत्र न्यायाधीश विष्णुदेव उपाध्याय के कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान जब कैदी के बारे में पूछा गया तो पता चला कि उसे एक अक्तूबर को ही छोड़ दिया गया है. यही नहीं, 10 अक्तूबर को निचली अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान उस कैदी को उपस्थित भी करा दिया गया था.
कोर्ट ने जवाब-तलब की प्रति डीएम और एसपी को भेजी
कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जेल अधीक्षक से जवाब-तलब किया है. कोर्ट ने पूछा कि किस स्थिति में कैदी को छोड़ा गया. उसे छोड़ देने के बाद निचली अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान कैसे उपस्थित करा दिया गया. कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए 21 अक्तूबर की तिथि निर्धारित की है. कोर्ट ने जवाब-तलब की प्रति डीएम और एसपी को भेजी है. सारण जिले के मशरख थाना क्षेत्र के सपही गांव के चंदन कुमार सिंह को प्रधान न्यायाधीश (परिवार न्यायालय) के द्वारा पत्नी को खोरिश (जीवन यापन भत्ता) देने का आदेश दिया गया था. चंदन ने कोर्ट का आदेश नहीं माना. जीवन यापन का 1.5 लाख रुपया बकाया हो गया.
12 अक्तूबर 2021 को चंदन के खिलाफ वारंट जारी हुआ
उधर, दहेज उत्पीड़न के केस में आठ अगस्त 2022 को चंदन ने सरेंडर किया. इसी दिन कोर्ट ने उसे जीवन यापन भत्ता के मामले में एक माह के लिए जेल भेज दिया. इससे पहले दहेज उत्पीड़न के इसी केस में प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी महेंद्र मिश्र के कोर्ट से 12 अक्तूबर 2021 को चंदन के खिलाफ वारंट जारी किया गया था. वारंट जारी होने के 10 माह के बाद चंदन ने हाइकोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी दी.
आठ अगस्त 2022 को सरेंडर किया था
वहां अर्जी खारिज होने के बाद बाद चंदन ने आठ अगस्त 2022 को सरेंडर किया और अगले दिन उसने जमानत याचिका दाखिल की, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया और जीवन यापन भत्ता मामले में उसे एक माह के लिए जेल भेज दिया. एक अक्तूबर को चंदन को जेल से बिना जमानत के छोड़ दिया गया. 10 अक्तूबर को दहेज उत्पीड़न मामले में निचली अदालत में सुनवाई की तिथि मुकर्र थी. इस दिन उसे वीसी के माध्यम से कोर्ट में उपस्थित कराया गया और कोर्ट का सर्टिफिकेट भी दे दिया गया.
दहेज में कार नहीं मिलने पर पत्नी को घर से निकाला था
बरौली थाना क्षेत्र के रतनसराय गांव के रहने वाले सूरज सिंह की बेटी आशा की शादी 21 मई 2014 को सारण जिले के मशरख थाना क्षेत्र के सपही गांव के चंदन कुमार सिंह के साथ हुई थी. आरोप है कि दहेज में आल्टो कार नहीं देने पर उसने 2017 को पत्नी को मारपीट कर घर से निकाल दिया. इस मामले में पीड़िता ने कोर्ट में मुकदमा दायर कर दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाया. इस मामले में पुलिस ने पति चंदन कुमार सिंह के अलावे ससुर प्रभात सिंह, सास सीमा देवी, देवर कुंदन कुमार सिंह, अभिनंदन कुमार सिंह, भोला सिंह, श्याम बहादुर सिंह व प्रताप सिंह को आरोपित किया गया था.
अधीक्षक से कोर्ट ने जवाब मांगा
जिला लोक अभियोजक देवबंश गिरि उर्फ भानू गिरि ने इस संबंध में बताया कि जेल की चूक सामने आयी है. कोर्ट में जमानत की अर्जी लंबित रहने के बाद भी कैदी को छोड़ा गया. कोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया है.
नहीं मिला शो-कॉज : जेल अधीक्षक
चनावे स्थित गोपालगंज जेल के प्रभारी जेल अधीक्षक राहुल कुमार ने बताया कि कोर्ट से कोई शो-कॉज अभी नहीं मिला है. दोषी कौन है, इसकी जांच हो रही है. कैदी को एक माह की सजा मिली थी. सजा पूरी होने पर उसे छोड़ा गया होगा.