बिहार में जल- जीवन- हरियाली अभियान के तहत एक बार फिर अधिकारियों को नया टास्क दिया गया है, ताकि सभी अधिकारी पंचायत स्तर पर जल स्रोत की खोज कर सकें. इस खोज में पहली बार अधिकारी नक्शा छोड़ कर गांव वालों का सहयोग लेंगे और उनके जवाब के आधार पर रिपोर्ट तैयार करेंगे. इससे अतिक्रमित तालाब, कुएं एवं अन्य पानी के स्रोत की पहचान तुरंत हो सके.
यह हो रही है परेशानी
जल- जीवन- हरियाली अभियान के दौरान देखा गया है कि तालाबों की संख्या कम हुई है. वहीं, जहां तालाब हैं , उनका भी कुछ विशेष काम नहीं है. पानी का ठहराव नहीं होने के कारण बारिश के पानी को भी उन तालाबों में रोकना बेहद मुश्किल हो रहा है. इसका कारण यह भी है कि तालाबों के चारों ओर अतिक्रमण होने से तालाब का आकार काफी छोटा हो गया है. ऐसे सभी तालाबों को चिह्नित कर उसे दोबारा से दुरुस्त किया जायेगा.
शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में दोबारा से होगी अतिक्रमित कुएं व तालाब की खोज
पीएचइडी अधिकारियों के मुताबिक शहरी क्षेत्रों में तालाब, कुएं एवं जल स्रोत की कमी हो गयी है. उन तलाबों को खोजने के लिए संबंधित जिले के डीएम से सहयोग लिया जायेगा. विशेष कर शहरी क्षेत्रों में तेजी से जल स्रोतों को बंद किया जा रहा है. वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकारियों की टीम जिला प्रशासन के सहयोग से इस दिशा में काम करेगी, ताकि भू जल के स्तर में और बढ़ोतरी हो सके.
अभी तक इतना हुआ है काम
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तालाब, पोखर, आहर व पाइन : 44822
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सार्वजनिक कुएं : 32312
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सार्वजनिक कुएं व चापाकल के किनारे सोखता एवं अन्य जगहों पर जल संचय का निर्माण : 151785
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छोटी नदियां नाला व चेक डैम : 8560
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नये जल स्रोतो का सृजन : 24736 सहित कई कार्य किये गये हैं.