पटना: जमालपुर-हावड़ा सुपर एक्सप्रेस ट्रेन में एस्कॉर्ट पार्टी के अन्य सिपाहियों के साथ यात्रियों से जबरन पैसे की वसूली करने के एक मामले में पटना हाइकोर्ट ने दोषी पुलिसकर्मी को किसी भी तरह का राहत देने से साफ इंकार करते हुए उनकी याचिका को ख़ारिज कर दिया.
न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा की एकलपीठ ने सिपाही अशोक शर्मा द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई के बाद उनकी याचिका खारिज कर दिया. याचिकाकर्ता सिपाही पर यह आरोप था कि उसने यात्रियों के साथ जबरन वसूली करने के दौरान हुए विवाद दो व्यक्तियों को गोली मार हत्या कर दी.
घटना को लेकर आवेदक सहित अन्य सिपाहियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई. 25 अगस्त, 2000 को उसके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया . पुलिस द्वारा अपने आप को बचाने के लिए यात्रियों के खिलाफ एक झूठी प्राथमिकी दर्ज की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि यात्रियों द्वारा इन लोगों का हथियार छीनने की कोशिश की गई.
कोर्ट को बताया गया कि विभागीय जांच में याचिकाकर्ता उपस्थित नहीं हुआ और न ही उसने अपना उत्तर दाखिल किया. विभागीय जांच के बाद आवेदक को छह सितंबर, 2000 को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया . याचिकाकर्ता द्वारा उसी बर्खास्तगी आदेश को हाइकोर्ट में चुनौती दी गयी . कोर्ट में सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद पाया की याचिकाकर्ता के खिलाफ जो भी आरोप लगाया गया है, वह सही है और उसका बर्खास्तगी आदेश भी सही है . ऐसी स्थिति में कोर्ट ने याचिकाकर्ता के रिट याचिका को खारिज करते हुए किसी भी तरह का राहत देने से इंकार कर दिया.