भागलपुर में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग पटना से समय-समय पर निर्गत पत्र व आदेश की दाखिल-खारिज के मामले में अवहेलना की जा रही है. आवेदक का म्यूटेशन (दाखिल-खारिज) का आवेदन सीओ के स्तर से अस्वीकृत होने पर पुन: डीड नंबर बदल कर आवेदन कर दिया जा रहा है और सीओ उसे स्वीकृत भी कर दे रहे हैं, जबकि नियम के अनुसार एक बार अस्वीकृत हुए आवेदन के आवेदक को सक्षम पदाधिकारी डीसीएलआर के पास अपील करना है. लेकिन कई मामले में यह गड़बड़ी की जा रही है.
कानून को धोखे में रखकर काम करवाने का आरोप
यह आरोप जगदीशपुर अंचल पर लगा है. जगदीशपुर अंचल से कुछ बड़े नाम भी अपनी जमीन का म्यूटेशन इसी तरह कानून को धोखे में रख कर करवा लिया है, यह आरोप है. सूचना है कि इस मामले की जांच जिला प्रशासन के स्तर से की जा रही है. अगर समय रहते इस मामले की गहन जांच करते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई, तो भविष्य में भूमि से जुड़े विवाद थोक में सामने आयेंगे और फिर बड़ी समस्या खड़ी हो जायेगी.
भागलपुर निवासी ने पदाधिकारियों को भेजा नोटिस
इस मामले में तिलकामांझी के रहनेवाले मुकेश कुमार मधुकर ने जिला राजस्व शाखा के दो पदाधिकारी अपर समाहर्ता व वरीय पदाधिकारी को वकालतन नोटिस भेजी है. इसके साथ सात म्यूटेशन की संख्या भेजते हुए उसकी इंटरनेट कॉपी भी भेजी है. साथ ही डीएम को आवेदन भेजा है. इस संबंध में अपर समाहर्ता अजय कुमार सिंह से मोबाइल पर बात करने की कोशिश की गयी, पर उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया.
क्या है नियम
भूमि दाखिल-खारिज अधिनियम के तहत एक प्लॉट का दाखिल-खारिज आवेदन जिस किसी भी आवेदक का किसी भी अंचल अधिकारी के समक्ष रिजेक्ट (अस्वीकृत) हो जाता है, तो उस दाखिल-खारिज वाद की अपील संबंधित डीसीएलआर के समक्ष दायर करना होता है. वजह है कि किसी भी आवेदक का एक दस्तावेज नंबर या एक केवाला नंबर से एक अंचल में एक ही दाखिल-खारिज आवेदन हो सकता है. दोबारा दाखिल-खारिज आवेदन करने पर दस्तावेज नंबर बदलना पड़ेगा और वो दस्तावेज नंबर किसी अन्य का भी हो सकता है, जिससे भविष्य में कई प्रकार के न्यायिक विवाद उत्पन्न होने की संभावना हमेशा बनी रहेगी.