बिहार में खुद के अपहरण की कहानी बता रहा संतोष, ना खाना ना पानी, जानिए कैसे टॉर्चर करते रहे किडनैपर
बिहार में एक अपहरण कांड ने जमुई पुलिस के पसीने छुड़ा दिए. 26 वर्षीय संतोष साव सकुशल अपने घर वापस आ गया है लेकिन उसने अपने अपहरण की जो कहानी बताई है वो लोगों के होश उड़ाने वाली है. उसने बताया कि कैसे टॉर्चर करते थे किडनैपर..
Bihar Kidnapping News, बीते सोमवार की रात्रि जमुई जिले के जोकटिया अंतर्गत कुदरुमा जोर के समीप से अगवा जोकटिया निवासी 26 वर्षीय संतोष साव की बरामदगी गुरुवार तड़के सुबह हुई. पुलिस ने दावा किया कि उसकी दबिश के कारण ही संतोष को छोड़ दिया गया. परंतु सूत्र की मानें तो उसकी रिहाई फिरौती की राशि देने के बाद ही संभव हुई. जो भी हो लेकिन संतोष की बरामदगी के बाद घर वाले और पुलिस दोनों ने राहत की सांस ली. प्रभात खबर प्रतिनिधि से खास बातचीत में संतोष ने अपहरण से लेकर उसे छोड़ने तक की सारी आपबीती बतायी.
संतोष का ऐसे किया अपहरण…
संतोष ने बताया कि हर शाम की तरह वह अपने दुकान को बंद कर मोटरसाइकिल से घर के लिए प्रस्थान किया. रास्ते में गड्ढे की वजह से उसे उतरना पड़ा. अचानक पीछे से बदमाश आ गये और गले पर तलवार रख दी. तीनों के चेहरे ढंके हुए थे. उनलोगों के पास पिस्तौल भी थी. वे लोग धकेलते हुए जोरिया के ऊपर एक गड्ढानुमा खेत की ओर यह कहते हुए ले जाने लगे कि तुमने किसी लड़की से बदतमीजी की है उससे क्षमा मांग लो, फिर खाना खाकर वापस चले जाना. जबकि किसी लड़की से कोई बदतमीजी की ही नहीं थी. यह बस सड़क से दूर खेत की ओर ले जाने का बहाना था. गहराई वाले खेत में पहुंचते ही उनलोगों ने आंख पर गमछा बांधकर हाथ को भी पीछे से बांध दिया और मुंह में कपड़ा ठूंस दिया और मारपीट करने लगे. उस जगह पर तीनों ने मिलकर बेरहमी से पीटा. उसके बाद चादर से ढंक कर एक बाइक पर बीच में बैठाकर लगभग एक से डेढ़ घंटे तक बाइक से चलता रहा.
बिना खाना और पानी के उसे बंद करके रखा, पिटाई भी की
बाइक से जब उतारा तब ईख के खेत में ले गया और पेट के बल लिटा दिया. देर रात बाद उसे खेत से निकालकर समीप के एक घर के कमरे में लाकर बंद कर दिया. दूसरे दिन मंगलवार को दिन भर उसी कमरे में उसे बंद करके रखा. आंख पर पट्टी, हाथ बंधा हुआ और मुंह में कपड़ा. इसी स्थिति में बिना खाना और पानी के उसे बंद करके रखा गया.संतोष ने बताया कि उसे अपहरणकर्ताओं ने बड़ी यातनाएं दी थीं. तीन रातें और दो दिनों तक उसे न तो खाना दिया और न ही पानी. इतना ही नहीं इस बीच उसके साथ मारपीट भी की जाती रही.
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पिता से बात करवाकर राशि भिजवाने को कहलवाया
संतोष ने बताया कि मंगलवार की रात्रि उसे उस घर से निकालकर चादर में ढंक कर पुनः बाइक से कुछ दूर ले गये. कुछ समय बाद बाइक से उतारकर पैदल चलाया. पैर के नीचे बालू से अनुमान लगाया कि शायद नदी में हैं. वहां मुंह से कपड़ा निकालकर मोबाइल से उसके पिता से बात करायी और फिरौती की राशि देने को कहा. जब मां से बात करने की इच्छा जाहिर की तब वे लोग पीटने लगे.
हालांकि अपहरणकर्ता ने मंगलवार को कई बार मोबाइल से बात कर पिता से फिरौती की राशि मांगी थी. पिता से बात करवाने के उपरांत वे लोग पुनः ईख के खेत में ले गये. जहां मंगलवार की रात से लेकर बुधवार की रात तक लगभग वैसे ही स्थिति में रहा. इस बीच खाना पीना नसीब नहीं हुआ. बुधवार की आधी रात बाद ईख के खेत से निकालकर उसे बाइक पर बैठाकर दूर मुख्य सड़क के आसपास लाये और बताया कि उसे छोड़ रहे हैं.
जिस गांव में रखा था, वहां किसी के घर उस रात थी शादी
सोमवार की देर रात संतोष को जब ईंख के खेत से लाकर एक घर के कमरे में बंद किया गया, तब संतोष ने अनुमान लगाया कि वह किसी गांव के किसी घर में बने एसबेसट्स के कमरे में बंद है. रात्रि में बाजा और बैंड की आवाज सुनाई दे रही थी. जिससे उसे अंदाजा लगा कि गांव के किसी घर में शादी थी. मंगलवार की सुबह उसके कमरे के आसपास से बच्चों की भी आवाज आती थी. उसने बताया कि वह घर संभवतः अपहरणकर्ताओं में से किसी एक का होगा. उनलोगों की भाषा जमुई क्षेत्र की ही भाषा थी.
टिफिन में लाये खाना को खुद खाता था, संतोष को रखता था भूखा
अपहरणकर्ताओं के चंगुल में रहने के दौरान उनलोगों द्वारा दी गयी यातना का जिक्र करते हुए संतोष बताता है कि वो लोग खाना तो दूर पानी भी नहीं देते थे. शायद शारीरिक रूप से इतना कमजोर कर देना चाहते थे ताकि भागने का मौका मिलने पर भी भाग नहीं सकें. टिफिन में खाना लाकर खुद खाते थे, लेकिन संतोष को खाना नहीं देते थे. उसके द्वारा खाना मांगने पर लात घूंसे से पिटाई कर देते थे. खाना पानी बंद रखने के अलावा संतोष को सोने भी नहीं देते थे. खाना-पानी व नींद के बिना धीरे-धीरे संतोष की स्थिति बेहद खराब हो गयी थी. घर के बाहर जब वह यातना की कहानी बयां कर रहा था, तब लोगों की आंखें भर आयी थी.
Posted By: Thakur Shaktilochan