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बांस की झोपड़ी में घुट रहा भविष्य

लापरहावी . शिक्षा की ऐसी उपेक्षा किसी अपराध से कम नहीं जमुई : जिले की शिक्षा व्यवस्था की हालत इनदिनों क्या है यह किसी से छिपी नहीं है. बेहतर शिक्षा की आस लगाये जिलावासियों को शिक्षा विभाग से मिल रही व्यवस्थाएं शिक्षण प्रणाली के बेहतर संचालन के लिए नाकाफी हैं. कुछ यही हाल जिले के […]

लापरहावी . शिक्षा की ऐसी उपेक्षा किसी अपराध से कम नहीं

जमुई : जिले की शिक्षा व्यवस्था की हालत इनदिनों क्या है यह किसी से छिपी नहीं है. बेहतर शिक्षा की आस लगाये जिलावासियों को शिक्षा विभाग से मिल रही व्यवस्थाएं शिक्षण प्रणाली के बेहतर संचालन के लिए नाकाफी हैं. कुछ यही हाल जिले के खैरा प्रखंड के गोंसायडीह नवीन प्राथमिक विद्यालय का है. यहां सर्व शिक्षा अभियान में आनन-फानन में विद्यालय की स्थापना तो कर दी, पर चार साल गुजर जाने के बाद भी इस विद्यालय को न तो अपना भवन है और न ही यहां पढ़ने वाले बच्चों को कभी मध्याह्न भोजन मिल सका. शिक्षा व्यवस्थाओं में किये जाने वाले सुधार के नाम पर फिसड्डी है.
इसमें दोष उन कर्मचारियों का नहीं जो व्यवस्था बनाने में जुटे हुए हैं. दोष तो उनका है जो इस व्यवस्था को बनने से रोक रहे हैं. प्रखंड क्षेत्र के गोसांयडीह गांव में एक विद्यालय ऐसा भी है जो बांस के पत्तो से बने झोपड़ी में संचालित होता है. विद्यालय को आज तक अपना भवन नसीब हो सका है. सर्दियों में बच्चे ठंड में ठिठुरते हैं तो गर्मियों में जला देने वाली धूप को बच्चे झेलते हैं. बरसात के मौसम में स्थिति सबसे दयनीय हो जाती है. खुला आसमान होने के कारण बरसात के मौसम में बच्चों को पास के काली मंदिर में ले जाकर पढ़ाया जाता है. पर शिक्षा विभाग की लापरवाही का आलम देखिये अधिकारियों को इन नौनिहालों के भविष्य की कोई परवाह ही नहीं है.
शिक्षा के नाम पर प्रतिवर्ष खर्च होता है करोडों
शिक्षा विभाग के एक आंकड़े के मुताबिक जिले में प्राथमिक से लेकर हॉयर सेकेण्डरी तक कुल 1704 स्कूल संचालित है. इसमें 4 लाख 8 हजार 2 सौ 45 बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं. लेकिन इनमें कई विद्यालयों के भवन स्वीकृत नहीं होने के चलते वे झोपडी व जुगाड़ के शेडो में संचालित हो रही है. हालांकि यहां की व्यवस्था कैसे होगी यह बयां करने की जरूरत तो नहीं है, लेकिन इन केंद्रों में भी पढ़ाई अभी जारी है. कहने को तो शिक्षा विभाग प्रतिवर्ष शिक्षा के नाम पर करोड़ो रूपये खर्च करता है. लेकिन,
उसका आंशिक असर भी धरातल पर देखने को नहीं मिलता है. सर्व शिक्षा अभियान के आंकड़े के हिसाब से देखा जाये तो इस इस वित्तीय वर्ष में शिक्षकों के मानदेय हेतु 5 करोड़ 45 लाख तथा विद्यालय भवन निर्माण को छोड़कर सिर्फ प्राथमिक विद्यालय और मध्य विद्यालय को विकास अनुदान हेतु इस वित्तीय वर्ष में 14 लाख 40 हजार एवं रखरखाव एवं मरम्मती अनुदान के रूप में कुल 19 लाख 35 हजार रूपये आवंटित किए गए हैं. परन्तु आज भी उक्त विद्यालय अपने भवन का रोना रो रहा है. अब ऐसे में शिक्षा व्यवस्था कैसे सुधरेगी यह यक्ष प्रश्न बनता जा रहा है. एक ओर माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत मोडल स्कुल खोले जाने की बात हो रही है तो दूसरे तरफ एक विद्यालय को अपना भवन भी नसीब नहीं है.
जिले के खैरा प्रखंड के गोंसायडीह नवीन प्राथमिक विद्यालय का हाल
छलक जाता है छात्र व शिक्षकों का दर्द
जब इस मामले की पड़ताल के लिए प्रभात खबर संवाददाता गोसांयडीह पहुंचे और विद्यालय में पढ़ रहे छात्र तथा कार्यरत शिक्षकों से बात किया तो उनका दर्द छलक उठा. विद्यालय प्रभारी संजय कुमार ने बताया कि हम लंबे अरसे से विद्यालय भवन हेतु प्रयत्नशील हैं. परंतु आज तक हमें विभाग से माकूल जबाब या आश्वाशन नहीं मिला है. ऐसे में हम निराश हो चुके हैं. वहीं विद्यालय की सहायक शिक्षिका रितु कुमारी बताती हैं कि विद्यालय को अपना भवन नहीं होने के कारण बच्चों को मौसम की मार झेलना झेलना पड़ता है. ऐसे में बच्चों की शिक्षा की जरूरतें कैसे पूरी होंगी यह कहा नहीं जा सकता.

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