ओवरलोड वाहनों से छटपटा रहा कानून!

जमुई : सुरक्षित यातायात को लेकर बना कानून जमुई जिला में कागज के पन्नों में सिमटकर रह गया है. सड़क सुरक्षा को लेकर परिवहन विभाग व पथ निर्माण विभाग कितना गंभीर है इसका आकलन चंद मिनटों तक सड़क किनारे खड़ा होकर किया जा सकता है. ओवरलोड की बात करें तो इसे रोकने के लिए नियुक्त […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 30, 2017 5:52 AM
जमुई : सुरक्षित यातायात को लेकर बना कानून जमुई जिला में कागज के पन्नों में सिमटकर रह गया है. सड़क सुरक्षा को लेकर परिवहन विभाग व पथ निर्माण विभाग कितना गंभीर है इसका आकलन चंद मिनटों तक सड़क किनारे खड़ा होकर किया जा सकता है. ओवरलोड की बात करें तो इसे रोकने के लिए नियुक्त अधिकारियों का इससे कोई मतलब होना नहीं प्रतीत होता है.
माल वाहक वाहनों पर ओवरलोडिंग रोकने के लिए जिला ट्रक ऑनर्स एसोसिएशन ने जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर ओवरलोड रोकने की मांग की थी. एसोसिएशन की मांग पर एक पखवाड़ा तक तो ठीक-ठाक चला, लेकिन दूसरे पखवाड़े से ही ट्रकों पर ओवरलोड गिट्टी और बालू ढोया जाने लगा. वाहन के ओवरलोड के एवज में वसूली का नजरा हर कोई देख नजरअंदाज कर जाता है. इससे इतर राष्ट्रीय पथ निर्माण विभाग व राज्य पथ निर्माण विभाग भी निर्देशों की अवहेलना कर यात्रियों की जान को जोखिम डालने में कोई कसर नहीं छोड़ता है.
ओवरलोड से सड़क का नुकसान
ओवरलोड वाहनों खासकर मालवाहक वाहनों पर ओवरलोड से सड़क के टूटने का खतरा बना रहता है. सूत्रों की मानें तो झारखंड से गिट्टी और बालू लादकर आने वाले ट्रकों में क्षमता से दो गुणा सामग्री लादकर लाया जाता है. इसे रोकने की जिम्मेदारी जिन पर है वही ओवरलोड वाहनों को पास कराने में जुटे रहते हैं.
ओवरलोड वाहनों से होती है दुर्घटनाएं . ओवरलोड वाहनों से दुर्घटना की संभावनाएं अधिक होती है. जिसकी बानगी कुछ समय पहले जिले में दो बड़ी सड़क दुर्घटनाओं में भी देखने को मिली. पहली घटना चकाई-सोनो मार्ग पर तब घटी जब सड़क किनारे बैठे एक दर्जन कांवरिया यात्रियों को एक ओवरलोड ट्रक ने कुचल डाला था. दूसरी घटना जमुई-सिकन्दरा मार्ग पर नगर थाना क्षेत्र के अधीन खड़गौड़ मोड़ के समीप हुई थी जिसमें पांच दर्जन लोगों को लेकर मुंडन से वापस लौट रहा ट्रैक्टर मालवाहक वाहन से टकराया और आधा दर्जन से अधिक लोगों की जान चली गई. इसके अलावा और भी कई दुर्घटनाओं का कारण ओवर लोड बना है. इसके बावजूद ओवरलोड पर रोकथाम लगाने की दिशा में कोई पहल नहीं होते देख लोग आश्चर्यचकित हो रहे हैं.
सुरक्षित यातायात को लेकर बना कानून कागजों में सिमटा
ओवरलोड चलता है
यात्री वाहन भी
अधिकारियों का मौन स्वीकृति मिलने के कारण बड़े वाहनों की बात तो दूर छोटे वाहनों यथा ऑटो व मैजिक वाहन पर भी भेड़-बकरी की तरह क्षमता से अधिक यात्रियों को ढोया जाता है. थ्री सीटर ऑटो पर सात पैसेंजर तो सेवन सीटर ऑटो पर 21 पैसेंजर बैठाना वाहन चालकों के लिए आम बात बनकर रह गया है. मैजिक वाहन पर भी उपर नीचे पैसेंजर को लाद लिया जाता है.इस तरह की ओवरलोडिंग से लोगों की जान पर हमेशा खतरा बना रहा है, लेकिन चालकों को कोई फर्क नहीं पड़ता है.

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