फागुन के रंग में रंगने को तैयार है शहर, होलिका दहन आज, होली कल
जमुई : एक मार्च की शाम को होलिका दहन और उसके अगले दिन शुक्रवार दो मार्च को रंगों का त्योहार होली मनायी जायेगी. शास्त्रों के अनुसार होली से पूर्व होलिका दहन मनाने की परंपरा रही है. विद्वान पंडित सिरोमणी जी महाराज बताते हैं कि होलिका दहन एक मार्च गुरुवार की शाम को मनाया जायेगा. होलिका […]
जमुई : एक मार्च की शाम को होलिका दहन और उसके अगले दिन शुक्रवार दो मार्च को रंगों का त्योहार होली मनायी जायेगी. शास्त्रों के अनुसार होली से पूर्व होलिका दहन मनाने की परंपरा रही है. विद्वान पंडित सिरोमणी जी महाराज बताते हैं कि होलिका दहन एक मार्च गुरुवार की शाम को मनाया जायेगा. होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा तिथि में भद्रा तिथि के समाप्त होने के बाद मनाया जाता है.
इस बार गुरुवार को पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होते ही धनु राशि की भद्रा शाम 6:58 बजे तक है. इसके बाद ही होलिका दहन होगा. प्रदोष काल में होलिका दहन करने का विधान है.
गुरुवार की शाम 7 से 8 बजे तक होलिका दहन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है. साथ ही उन्होंने कहा कि होली में शनि धनु राशि में रहेगा. शनि देवगुरु वृहस्पति की राशि है और होली पर पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र दस का स्वामी शुक्र है, जो मध्यमा और शुकराना संयोग बना रहा है. इस संयोग से होली के त्योहार का शुभ संकेत है. लोगों के स्वास्थ्य अनुकूल रहेगा संक्रामक बीमारियां कम होगी.
अनाज से हवन की है परंपरा
होली में जितना महत्व रंगो का है उतना ही महत्व होलिका दहन का है. यह दिन इच्छित कामनाओं की पूर्ति करने के लिए श्रेष्ठ माना गया है. मजबूत इच्छा शक्ति जो आपको सारी बुराइयों से बचा सके. विद्वानजनों के अनुसार होलिका शब्द संस्कृत से लिया गया है. इसका अर्थ होता है भूना हुआ अनाज. होलिका दहन में अनाज से हवन करने की परंपरा है. होलिका दहन की अग्नि के राख को माथे पर तिलक के रूप में लगाया जाता है ताकि दुष्ट साया से हमारी रक्षा हो सके.