गला घोंटने से छात्रा खुशबू की हुई थी मौत
सोनो : क्षेत्र का बहुचर्चित व दिल दहला देने वाले खुशबू हत्याकांड में हत्या के तरीके को लेकर पुलिस का दावा सच लगता प्रतीत होता है. खुशबू के शव का पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ चुकी है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार खुशबू का गला घोंटा गया था. स्पष्ट है कि गला घोंटने से सांस रुक गयी और […]
सोनो : क्षेत्र का बहुचर्चित व दिल दहला देने वाले खुशबू हत्याकांड में हत्या के तरीके को लेकर पुलिस का दावा सच लगता प्रतीत होता है. खुशबू के शव का पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ चुकी है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार खुशबू का गला घोंटा गया था. स्पष्ट है कि गला घोंटने से सांस रुक गयी और खुशबू की मौत हो गयी.
रिपोर्ट के अनुसार खुशबू के गला पर चारों ओर लगभग डेढ़ इंच चौड़ा निशान भी पाया गया था. इतना ही नहीं उसकी दोनों आंखें खुली थी. गले पर पड़े निशान से लगता है कि गला हाथ से नहीं दबाया गया था. शायद हत्यारा खुशबू के गले को दुपट्टा से लपेट कर उसे तब तक खींचता रहा था जब तक खुशबू की जान नहीं गयी या फिर उसके साथ मारपीट करने के उपरांत बेहोशी की अवस्था में उसके गले में दुपट्टा लपेट कर उसे छत से लटका दिया था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने से पूर्व पुलिस के बयान पर गौर करें, तो हत्या के तरीके को लेकर पुलिस की बात रिपोर्ट से मेल खाती नजर आती है. गोपाल की गिरफ्तारी व उससे पूछताछ के बाद झाझा एसडीपीओ भास्कर रंजन ने हत्या के बाबत उस वक्त बताया था कि मोबाइल से बात करने व दिन भर घर से बाहर रहने को लेकर गोपाल ने खुशबू की पिटाई की थी. इस दौरान जब खुशबू गिरकर बेहोश हो गयी तब गोपाल घबरा गया था और घटना को आत्महत्या का रूप देने के लिए बेहोश खुशबू को उसके ही दुपट्टा के सहारे छत से लटका दिया था ताकि वह लोगों को यह दिखा सके कि खुशबू ने आत्महत्या की है. अपने सहयोगियों को भी उसने आत्महत्या की ही बात बताकर शव को ठिकाने लगाने के लिए शव को नवनिर्मित शौचालय टंकी में डाल दिया था. हालांकि सख्ती से पूछताछ के बाद गोपाल ने पुलिस को आत्महत्या की कहानी बतायी थी, लेकिन लाख टके का सवाल यह था कि आत्महत्या की बात होती तो घरवाले तत्क्षण पड़ोसियों व पुलिस को बताता. खुशबू की मौत पर दहाड़े मारकर रोता. लेकिन इससे उलट खुशबू के भाई गोपाल ने अपनी ममेरी बहन का दाह संस्कार तक करना मुनासिब नहीं समझा और उसे शौचालय की टंकी में डालकर शव को ठिकाने लगाना चाहा था. इतना ही नहीं उसने व उसके परिजनों ने ग्रामीणों व पुलिस को लगातार कई दिनों तक गुमराह करते हुए उसके घर से भाग जाने की काल्पनिक कहानी सुनाता रहा. पुलिस के अनुसार यह सारी स्थिति यही बयां करती है कि गोपाल ने मारपीट के बाद अर्द्ध मूर्छित खुशबू को फांसी की तरह लटका दिया होगा जिससे उसकी मौत हो गयी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी हत्या का समय सात से नौ दिन पूर्व दर्शाया गया है. हालांकि रिपोर्ट आने से कई तरह की फैल रही अन्य अफवाहों पर विराम लग गया है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद पुलिस द्वारा आगे की कार्रवाई शुरू कर दी गयी है. थानाध्यक्ष उमेश प्रसाद ने बताया कि झाझा एसडीपीओ द्वारा सुपरविजन के उपरांत इस कांड के अनुसंधानकर्ता द्वारा सभी रिपोर्ट न्यायालय को समर्पित कर दी जायेगी.
ग्रामीणों की सजगता से हत्या का हुआ था पर्दाफाश
खुशबू के शव की बरामदगी व हत्यारों की गिरफ्तारी ग्रामीणों की सजगता का परिणाम था. अगर पड़ोसी सहित युवा ग्रामीण द्वारा सजगता नहीं दिखायी गयी होती, तो गोपाल अपनी साजिश में शायद सफल हो जाता. उसने खुशबू के भागने की जो कहानी बनायी और शौचालय की टंकी में नमक के साथ डालकर साक्ष्य मिटाने की योजना बनायी वह शायद उसकी सोच के अनुकूल हो भी जाता, लेकिन खुशबू के लिए सैकड़ों ग्रामीणों की भावनाएं और उसकी खोज में तत्परता दिखाना हत्यारा का सारा राज खुल गया. खुशबू के लगातार कई दिनों से नहीं दिखना पड़ोसियों को खलने लगा और 12 अप्रैल को ग्रामीणों को खुशबू की हत्या का शक होने लगा था.
छात्राओं ने खुशबू के लिए किया था आंदोलन
खुशबू के लापता होने व हत्या की आशंका के बीच न सिर्फ ग्रामीण आक्रोशित होने लगे थे बल्कि छात्राएं भी आक्रोशित हो गयी. 13 अप्रैल को छात्राओं ने थाना में प्रदर्शन की और ग्रामीणों के साथ मुख्य सड़क को जाम कर शीघ्र खुशबू को खोजने का दबाव पुलिस पर डाला गया था. गांव के युवा वाहिनी तब तक आंदोलनरत रहे जब तक खुशबू का शव बरामद नहीं हो गया. युवाओं व छात्राओं के आंदोलन के बाद सक्रिय हुई पुलिस दो दिन बाद ही गोपाल के निशानदेही पर खुशबू का शव बरामद कर लिया था.
सभी आरोपित हैं जेल में
इस चर्चित हत्याकांड के सभी सात आरोपित इस वक्त जमुई जेल में है. मृतक का फुफेरा भाई मुख्य आरोपित गोपाल तमोली के अलावे उसकी पत्नी कुंती देवी, उसकी पुत्री पूजा कुमारी, उसके दोनों पुत्र व गोपाल का सहयोगी पूर्व एसपीओ अशोक लहेरी को पुलिस द्वारा उसी दौरान गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया था जबकि एक अन्य सहयोगी रिंकू वर्णवाल ने बीते 24 अप्रैल को न्यायालय के समक्ष समर्पण किया था.
खुशबू के शवयात्रा में उमड़ा था जनसैलाब
शव बरामदगी के बाद जहां गोपाल के प्रति लोगों में जबरदस्त आक्रोश व घृणा हैं. वहीं खुशबू ने लोगों के दिल में जगह बना ली. ग्रामीणों ने खुशबू को भावभीनी श्रद्धांजलि दी . उसकी शवयात्रा में हजारों ग्रामीण शरीक हुए. लग रहा था जैसे भावनाओं का सैलाब उमड़ा गया हो.