तीन वर्ष में मात्र 344 लोगों को गौ पालन योजना का लाभ

दो से दस गाय पालने के लिए मिलता है अनुदान पर ऋण सामान्य कोटि के लोगों को 50 प्रतिशत और अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों को 66.6 प्रतिशत अनुदान पर मिलता है ऋण जमुई : गव्य विकास विभाग के अधिकारियों और बैंक के आपसी खींचतान के कारण जिले में गव्य विकास विभाग द्वारा संचालित समग्र गव्य […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 22, 2018 5:23 AM

दो से दस गाय पालने के लिए मिलता है अनुदान पर ऋण

सामान्य कोटि के लोगों को 50 प्रतिशत और अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों को 66.6 प्रतिशत अनुदान पर मिलता है ऋण
जमुई : गव्य विकास विभाग के अधिकारियों और बैंक के आपसी खींचतान के कारण जिले में गव्य विकास विभाग द्वारा संचालित समग्र गव्य विकास योजना दम तोड़ती नजर आ रही है. सरकार द्वारा समग्र गव्य विकास योजना का शुरुआत वित्तीय वर्ष 2012-13 में किया गया था.विगत 3 वर्ष के आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में गव्य विकास के द्वारा चयनित लाभार्थियों की संख्या काफी कम है. वित्तीय वर्ष 2015-16 से लेकर वित्तीय वर्ष 2017-18 तक मात्र 344 लोगों का ही इस योजना के लिए चयन किया गया है.
इतने कम संख्या में विगत 3 वर्षों में लाभार्थियों का चयन होना कहीं ना कहीं विभाग के कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाने के लिए काफी है. जानकारी के अनुसार इस योजना की इतनी खस्ताहाल होने के पीछे कई वजह है सबसे पहली वजह यह यह है कि इस योजना में किसानों के द्वारा ऋण लेने के बाद अधिकांश किसानों के द्वारा इस ऋण को चुकता नहीं किया जाता है. कई बार तो लोगों के द्वारा गव्य विकास के लिए दिए गए राशि का दूसरी जगह इस्तेमाल कर दिया जाता है.
कितना मिलता है गौ पालन के लिए ऋण
सामान्य कोटि के लोगों को गौ पालन के लिए पचास प्रतिशत ऋण अनुदान और अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों को गौ पालन के लिए 66.6 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है. दो गौ पालन के लिए एक लाख छह हजार,चार गौ पालन के लिए दो लाख चालीस हजार रुपया, छह गौ पालन के लिए काऊ पालन के लिए तीन लाख साठ हजार रुपया और 10 गौ पालन के लिए छह लाख प्रदान किया जाता है. गाय की खरीद क्रय समिति के समक्ष लाभुक के द्वारा किया जाता है. इस क्रय समिति में लाभुक, संबंधित बैंक के शाखा प्रबंधक,गव्य विकास पदाधिकारी या उसके प्रतिनिधि और बीमा कंपनी के भी प्रतिनिधि शामिल होते हैं.
कहते हैं जिला गव्य विकास पदाधिकारी
इस बाबत पूछे जाने पर जिला गव्य विकास पदाधिकारी प्रमोद कुमार ने बताया कि गव्य विकास की योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक लोगों को देने के लिए विभाग द्वारा हर संभव प्रयास किया जा रहा है.इस वित्तीय वर्ष में आवेदकों की संख्या बढ़ाने को लेकर भी विभाग द्वारा व्यापक प्रचार प्रसार किया जा रहा है.
कैसे होता है इस योजना के लिए लाभार्थी का चयन
इस योजना के लाभार्थी को सबसे पहले दो प्रति में आवेदन भरकर उसके साथ अपना दो फोटो और आधार कार्ड तथा जमीन के रसीद की छाया प्रति संलग्न कर के आवेदन को जमा करना पड़ता है.उसके पश्चात आवेदन की जांच स्क्रीनिंग समिति के द्वारा की जाती है.स्क्रीनिग समिति के अध्यक्ष अग्रणी बैंक प्रबंधक होते हैं और सदस्य के रूप में जिला गव्य विकास पदाधिकारी, जिला महाप्रबंधक उद्योग केंद्र और जिला मत्स्य पालन पदाधिकारी होते हैं. उनके द्वारा सभी कागजातों की जांच के पश्चात इन आवेदनों को बैंक संबंधित क्षेत्र के बैंक को भेज दिया जाता है. बैंक द्वारा लोगों के प्रस्ताव के अनुसार उन्हें कोटिवार अलग-अलग तरह कार्य अनुदान प्रदान किया जाता है.

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