इकलौता पुत्र की हत्या में पिता की संलिप्तता बना चर्चा का विषय
गोकुल कुमार, सिमुलतला : अपनी औलाद के लिए हर माता पिता की जिंदगी समर्पित रहती है, खुद पर चाहे जितनी भी परेशानियां हो दुखः हो माता पिता सहन करते है लेकिन अपने औलाद को एक खरोच तक नही आने देने का ख्वाहिश रखते है. लेकिन विगत दो दिनों से एक प्रश्न आम लोगों के जेहन […]
गोकुल कुमार, सिमुलतला : अपनी औलाद के लिए हर माता पिता की जिंदगी समर्पित रहती है, खुद पर चाहे जितनी भी परेशानियां हो दुखः हो माता पिता सहन करते है लेकिन अपने औलाद को एक खरोच तक नही आने देने का ख्वाहिश रखते है.
लेकिन विगत दो दिनों से एक प्रश्न आम लोगों के जेहन में बार बार खटक रही है और धीरे धीरे यह बात सिमुलतला के हर चौक चौराहों से लेकर चकाई प्रखंड क्षेत्र में भी चर्चा का विषय बना हुआ है कि आखिर ऐसी कौन सी बात थी जिसके कारण एक पिता को अपने एकलौता औलाद की हत्या का जिम्मेवार माना जाने लगा है. मामला है जिले के चंद्रमंडीह थाना क्षेत्र के तरवादिया गांव की, जहां एक युवक की हत्या का जिम्मेवार उसके पिता को ही माना जा रहा है.
इस घटना में मृतक की मां सचिया देवी के आवेदन पर पिता सहित परिवार के अन्य लोगों के विरुद्ध चंद्रमंडीह थाना कांड संख्यां 29/19 में एक प्राथमिकी दर्ज की गई है. जिसमे मृतक अरुण के पिता कुलदेव यादव, परिवार के दारो उर्फ दशरथ यादव, संजय यादव, लोको यादव, मनोज यादव, रोहित यादव, लालू यादव, रुकवा देवी, संजय यादव की पत्नी, बबलू यादव, मुन्नी देवी आदि को नामजद किया गया है.
अवैध संबंध बना हत्या का कारण : मृतक की मां सचिया देवी ने बताया कि मेरे पति का अवैध संबंध मेरी जेठानी के साथ था. इस कारण अपने भतीजे को ही वो अपना चुका था और हमलोगों को खुद से दूर कर दिया. अब मेरा बेटा बालिक हो चुका था वो सही गलत समझने लगा था. अपने पिता से घर मे बटवारे की बात करने लगा था. इसी कारण उसकी हत्या कर दी गई.
घटना के बाद फरार है नामजद : घटना के बाद सभी नामजद फरार है पुलिस की लगातार कोशिश के बाद एक भी नामजद पुलिस के हत्थे नही चढ़े है. अब देखने वाली बात होगी कि पिता एवं पुत्र के पावन रिश्ते को शर्मशार करने वाली इस सनसनीखेज मामला आगे चलकर किस तरफ रुख करती है.
कहते हैं एसपी: इस संदर्भ में जमुई पुलिस अधीक्षक जे रेड्डी ने बताया की अनुसंधान जारी है, नामजदों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस छापेमारी कर रही है, बहुत जल्द दोषियों पर कार्रवाई होगी और घटना के रहस्य से पर्दा उठेगा.
26 वर्ष पूर्व से चल रहा था मामला: अरुण के जन्म से पहले ही पति पत्नी में थी अनबन, 18 माह के अरुण को पिता ने दिया था जहर
सन 1995 की है जब सिमुलतला थाना क्षेत्र के तरौंन गांव निवासी किसुन महतों ने अपनी पुत्री की शादी चंद्रमंडीह थाना क्षेत्र के तरवादिया गांव निवासी महा महतो के पुत्र कुलदेव यादव के साथ हिन्दू रीति रिवाज से की थी. शादी के कुछ ही दिन बाद से दोनों के दाम्पत्य जीवन मे दूरिया बनने लगी, हलाकि इसी बीच लगभग दो वर्ष बाद अरुण का जन्म तरौंन गांव में हुआ.
उसके जन्म के लगभग अठारह माह बाद जब उसकी मां अरुण को दिन बनाने की रिवाज को लेकर अपने ससुराल गई तो उसके पिता ने बच्चे को जहर की तरह असर करने वाली भेलवा नाम के एक जंगली फल को चुरकर खिला दिया था उस समय काफी मशक्कत से उसकी जान बचायी जा सकी थी. उसके बाद अरुण को लेकर मां मायके में ही रहने लगी. अरुण पिछले वर्ष बीए की पढ़ाई पूरी कर चुका था.
कुछ दिनों से वो अपने पिता के घर जाकर अपनी हिस्सेदारी की बात करने लगा था. अबतक उसके हिस्से की जमीन पर उसके बड़े पिता के बेटे आदि का कब्जा था. पढ़ाई पूरी करने के बाद वो कोलकाता में किसी निजी कंपनी में नौकरी करता था.
उसके पिता भी कोलकाता में ही काम करते थे. लगभग चार माह से पिता पुत्र के संबंधों में मधुरता दिखने लगी थी. कोलकाता में पिता ने अरुण को तीस हजार रुपया यह कहकर दिया था कि घर बनाने के लिए पैसे एकत्रित करना है. विगत 14 मार्च को पिता ने अरुण को पैसे लेकर तरवादिया बुलाया, वो कुल पचास हजार रुपया लेकर तरवादिया गांव गया, और दो दिन बाद ही युवक का शव बरामद हुआ.