सिंचाई व्यवस्था से महरूम हैं छतरपुर गांव के किसान
गिद्धौर : देश की सरकार किसानों की उन्नति व प्रगति के लिए कई कृषि समन्वित योजनाएं धरातल पर उतारकर क्षेत्र के गरीब कृषकों को समुन्नत बनाने का प्रयास कर रही है. तो वहीं इससे इतर किसानों की उपेक्षा भरी नीतियों के कारण प्रखंड के सैकड़ों कृषकों में सरकार के लघु जल संसाधन विभाग के खिलाफ […]
गिद्धौर : देश की सरकार किसानों की उन्नति व प्रगति के लिए कई कृषि समन्वित योजनाएं धरातल पर उतारकर क्षेत्र के गरीब कृषकों को समुन्नत बनाने का प्रयास कर रही है. तो वहीं इससे इतर किसानों की उपेक्षा भरी नीतियों के कारण प्रखंड के सैकड़ों कृषकों में सरकार के लघु जल संसाधन विभाग के खिलाफ काफी नाराजगी है. जिसके कारण क्षेत्र के कृषक दिन प्रतिदिन कृषि रोजगार से विमुक्त होते जा रहे हैं.
बतातें चलें कि इस प्रखंड में सिंचाई के लिए दर्जनों लिफ्ट एरिगेशन योजनाओं का निर्माण किया गया था. लेकिन सरकार के उदासीन रवैये के कारण पतसंडा पंचायत के छतरपुर गांव में वर्ष 1909-10 में निर्मित लिफ्ट एरिगेशन योजना यहां के कृषकों के खेतों को सिंचित करने में नकारा साबित हो रहा है.
जिससे लगभग क्षेत्र के कृषकों के लगभग सौ एकड़ से भी अधिक कृषि भूमि पटवन के अभाव में फसल उपजाने में विफल साबित हो रहा है. यह सिंचाई योजना विगत छह वर्ष से बंद पड़ा हुआ है. इस गांव के लोग कृषि व्यवस्था में पटवन से जुड़े :समस्या को झेलने की वजह से उनकी स्थिति दिन प्रतिदिन बदतर होती जा
रही है.
समस्या को लेकर कहते हैं किसान
इस समस्या को लेकर छतरपुर गांव के ग्रामीण उमेश यादव, मुरारी यादव, विश्वनाथ यादव, नरेश यादव, लक्ष्मण यादव, शंकर यादव, धनेश्वर यादव, सहदेव यादव सहित अन्य लोग बताते हैं कि यह इलाका पहाड़ और नदियों से घिरा हुआ है, लिफ्ट एरिगेशन योजना के अलावा इस इलाके में किसानों की भूमि सिंचित करने का कोई पर्याप्त साधन फिलहाल नहीं है.
उन्होनें कहा है कि लगभग छह वर्ष से यह योजना मृतप्राय है. उक्त योजना का निर्माण लघु सिंचाई विभाग झाझा के द्वारा करवाया गया था. लेकिन विभागीय पदाधिकारियों के कारण यह योजना खटाई में पड़ चुकी है.
वहीं सिंचाई योजना बंद पड़े रहने के बावजूद भी बिजली विभाग के द्वारा कृषकों को बिजली बिल भेजा जाना बदस्तूर जारी है. ग्रामीणों का कहना है कि अगर इस योजना को पुनः चालु नहीं किया जाएगा तो हमलोग इस लोकसभा चुनाव में सिंचाई नहीं तो वोट नहीं का फार्मूला अपनाने के लिए विवश हैं.