10 डॉक्टरों के भरोसे 18 लाख लोग

जमुई : जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में चिकित्सक एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मी की कमी होने से अस्पताल की व्यवस्था चरमरा गयी है. खासकर प्रसव विभाग में मरीज एवं परिजन को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जानकारी के अनुसार वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की आबादी 18 लाख से ऊपर है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 26, 2019 6:27 AM

जमुई : जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में चिकित्सक एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मी की कमी होने से अस्पताल की व्यवस्था चरमरा गयी है. खासकर प्रसव विभाग में मरीज एवं परिजन को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जानकारी के अनुसार वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की आबादी 18 लाख से ऊपर है.

लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा को लेकर प्रत्येक जिला की तरह यहां भी एक सौ शैय्या वाले सदर अस्पताल बनाया गया है. जिसे लेकर विभाग के द्वारा आवश्यक संसाधन भी मुहैया कराया गया है. लेकिन इतनी बड़ी आबादी के लिए सदर अस्पताल में मात्र 10 चिकित्सक कार्यरत हैं.
जबकि अस्पताल में 12 चिकित्सकों का पद खाली है.अस्पताल में कुछ नियमित एवं कुछ संविदा पर कार्यरत कर्मी हैं. अस्पताल में कई रोग के विशेषज्ञ चिकित्सक भी नहीं है. सरकारी चिकित्सक अपना निजी क्लिनिक चलाने में मशगूल रहते हैं. शिकायत के बाद क्लिनिक पर छापा ही पड़ता है.
लेकिन लोगों की माने तो व्यवस्था पुनः धीरे-धीरे ठीक हो जाता है. हालांकि सदर अस्पताल प्रबंधन अपने कार्य का ढोल पीटते नजर आ रहा है. लेकिन मरीजों के साथ की गयी लापरवाही उक्त सारे दावे को खोखला साबित कर रहा है. लोगों ने बताया कि चिकित्सक की सेवानिवृत्ति हो रही है.
लेकिन इसके बदले नये चिकित्सक नहीं आ रहे हैं. प्रसव कक्ष का हाल तो और बुरा है. यहां आम मरीजों के साथ नाइंसाफी किया जाता है. जिससे कई प्रसव कराने आई महिला अकाल मौत की शिकार हो रही है. कई नवजात को अपनी मां का दूध भी नसीब नहीं हो पा रहा है. लोगों के द्वारा अस्पताल प्रबंधन से इसकी शिकायत भी किया जाता है.
लेकिन व्यवस्था जस की तस बनी है. मरीजों ने बताया कि पुराने पद्धति से प्रशिक्षित नर्स प्रसव कराने वाली महिला के साथ नयी तकनीक का इस्तेमाल नहीं करती है. जिससे भी मृत्यु दर बढ़ता है. सुरक्षित प्रसव को लेकर गर्भवती महिला को प्रत्येक माह की नौ तारीख को नजदीक के सरकारी अस्पताल में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना के तहत जांच कराना अनिवार्य है.
इस दौरान योग्य महिला चिकित्सक एवं स्वास्थ्य कर्मी के द्वारा आवश्यक जांचोपरांत आयरन की गोली एवं अन्य सलाह दिया जाता है. ताकि प्रसव के दौरान कोई परेशानी ना हो. लेकिन अस्पताल प्रबंधन की मानें तो अधिकतर महिला इस दौर से नहीं गुजरती है और बदनामी अस्पताल की होती है.
बेहोशी के चिकित्सक नहीं रहने से होती है परेशानी
चिकित्सक की मानें तो सुरक्षित प्रसव कराना एक जटिल प्रक्रिया है. जिसमें बेहोशी के चिकित्सक का महत्वपूर्ण योगदान है. लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं होने से कई बार परेशानी होती है. प्रसव कार्य की संपूर्ण व्यवस्था अस्पताल के सेवानिवृत्त ड्रेसर बुल्लू सिंह के द्वारा किया जा रहा है. जिससे हर समय अनहोनी की आशंका बनी रहती है.
कहते हैं अस्पताल अधीक्षक
इस बाबत पूछे जाने पर अस्पताल अधीक्षक डा सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि चिकित्सक की कमी को लेकर विभाग को लिखा गया है. अधीक्षक डा श्री सिंह ने बताया अस्पताल उपलब्ध संसाधन के आधार पर अपना बेहतर काम कर रहा है. उन्होंने बताया कि कुछ स्वास्थ्य कर्मी है. जो अस्पताल को बदनाम करने में लगे हैं. जिसके खिलाफ से कार्रवाई किया जायेगा.

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