14 वर्ष बाद रामदेव का वनवास हुआ खत्म
बिभांशु, बांका : बात फरवरी 2005 की है, जब सूबे में नीतीश कुमार की अगुवाई में पूरी ताकत के साथ भाजपा व जदयू चुनाव लड़ रही थी. राजद की स्थिति काफी खराब हो गयी थी. बावजूद इस चुनाव में भी रामदेव यादव ने जदयू उम्मीदवार जनार्दन मांझी को पराजित कर दिया. वह लगातार तीन बार […]
बिभांशु, बांका : बात फरवरी 2005 की है, जब सूबे में नीतीश कुमार की अगुवाई में पूरी ताकत के साथ भाजपा व जदयू चुनाव लड़ रही थी. राजद की स्थिति काफी खराब हो गयी थी. बावजूद इस चुनाव में भी रामदेव यादव ने जदयू उम्मीदवार जनार्दन मांझी को पराजित कर दिया. वह लगातार तीन बार इस क्षेत्र से जीत दर्ज करने वाले पहले विधायक बन गये.
किसी दल को बहुमत नहीं मिलने के बाद राष्ट्रपति शासन लगा और कुछ माह बाद 2005 में ही पुन: चुनाव हुए, परंतु इस चुनाव में रामदेव यादव की हार हो गयी. मसलन, 2005 से रामदेव यादव विधायक की कुर्सी या कहें बेलहर की सत्ता से दूर वनवास झेल रहे थे.
ठीक 14 वर्ष बाद रामदेव यादव ने अपनी कुर्सी को दोबारा पाने में सफलता पायी. समर्थकों का कहना है कि उनका वनवास राम की तरह ही 14 वर्ष बाद समाप्त हो गया है. छात्र नेता के तौर पर राजनीति में सक्रिय रामदेव यादव का बेलहर की जनता में काफी अच्छी पकड़ मानी जाती है.
वे जेपी आंदोलन में भी सक्रिय थे. कहा जाता है कि युवा अवस्था से ही रामदेव यादव भाषण देने व भीड़ जुटाने में माहिर थे. उनकी पकड़ मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर जैसे बड़े नेताओं से था. जेपी व लोहिया के विचार को आत्मसात करते हुए आगे वे जनता दल से जुड़े. उन्होंने लालू यादव से अपने संबंध में मजबूत बना लिया.
उसी का नतीजा है कि अबकी बार भी उनके टिकट पर किसी प्रकार का कोई संदेह नहीं था. वे पहली बार 1995 में जनता दल के टिकट पर बेलहर का चुनाव जीते. साथ ही लंबे समय से कांग्रेस के एकक्षत्र राज विधायक ललन सिंह को पराजित कर समाप्त कर दिया. 1995 के बाद वे 2000 में भी चुनाव जीते. दो बार वे पांच-पांच वर्ष तक बेलहर के विधायक बने. तीसरी बार वे फरवरी 2005 में निर्वाचित हुए.
जबकि चौथी जीत 24 अक्टूबर 2019 को हुई. इस जीत से अब 2020 के लिए भी उनका टिकट राजद से लगभग पक्का हो गया है. इस चुनाव में रामदेव यादव की कमायी हुई राजनीति पूंजी नजर आयी. खास बात यह है कि उन्होंने एनडीए से नाराज चल रहे वोटर को राजद में कन्वर्ट कर दिया.
सांसद का चुनाव हार चुके राजद के लिए यह जीत संजीवनी जैसी : बेलहर विधानसभा का यह चुनाव कई मायने में खास था. पूर्व सांसद जयप्रकाश नारायण यादव की करारी हार के बाद एक तरह से राजद कार्यकर्ता काफी मायूस हो गये थे.
लेकिन रामदेव यादव के बेलहर का चुनाव जीतने के बाद एक तरह से राजद कार्यकर्ताओं को संजीवनी मिली है. साथ ही जीत का जश्न मनाने का मौका भी. यही बात थी कि जिले भर के राजद नेता रिजल्ट को सुनने मुख्यालय पहुंच गये थे. सोशल मीडिया में भी उनकी खुशी दिखी.
2005 में विधायक का चुनाव हारने के बाद बेलहर की सत्ता से अलग थे रामदेव
14 वर्ष के लगातार परिश्रम का फल मिला उपचुनाव में जीत से
पहली बार 1995 में बने से विधायक
छात्र नेता से ही राजनीतिक में हैं सक्रिय
एनडीए से नाराज वोटर को अपनी ओर कन्वर्ट करने में सफल रहे