बंध्याकरण ऑपरेशन कराने के पांच वर्ष बाद गर्भवती हो गयी महिला, क्षतिपूर्ति के लिए दिया आवेदन, स्वास्थ्य विभाग के उड़े होश
गिद्धौर (जमुई) : गिद्धौर प्रखंड क्षेत्र के सेवा गांव निवासी सतीश रावत की पत्नी ललिता देवी ने परिवार नियोजन के उद्देश्य से बीते पांच वर्ष पहले बंध्याकरण का ऑपरेशन कराया था, पर उसे क्या पता था कि वह इसके बावजूद गर्भवती हो जायेगी. लेकिन, ऐसा मामाला सेवा गांव में प्रकाश में आया है, जिसके बाद […]
गिद्धौर (जमुई) : गिद्धौर प्रखंड क्षेत्र के सेवा गांव निवासी सतीश रावत की पत्नी ललिता देवी ने परिवार नियोजन के उद्देश्य से बीते पांच वर्ष पहले बंध्याकरण का ऑपरेशन कराया था, पर उसे क्या पता था कि वह इसके बावजूद गर्भवती हो जायेगी. लेकिन, ऐसा मामाला सेवा गांव में प्रकाश में आया है, जिसके बाद महिला ने क्षति-पूर्ति के लिए लिखित आवेदन भी दिया है. वहीं, उक्त महिला के द्वारा आवेदन दिये जाने के बाद स्वास्थ्य विभाग के होश फाख्ता हैं तथा बंध्याकरण के नाम स्वास्थ्य महकमा का खेल सबके सामने आ गया है.
इस बाबत महिला ललिता देवी न बताया कि मैंने वर्ष 2013 में बंध्याकरण का ऑपरेशन कराया था. लेकिन, उसके बाद भी 2019 में मैं गर्भवती हो गयी. ललिता देवी का कहना है कि अस्पताल की लापरवाही का खामियाजा उनके परिवार को उठाना पड़ रहा है. ललिता देवी ने आगे बताया कि वर्ष 2013 में पीएचसी गिद्धौर में परिवार नियोजन के अंतर्गत बंध्याकरण ऑपरेशन हुआ था. लेकिन, जब मुझे अगस्त माह में अहसास हुआ कि मैं पुन: गर्भवती हो गयी, तो मैंने अस्पताल में अपनी जांच करायी. इसके बाद मुझे पता चला कि मैं दो माह की गर्भवती हूं. इधर, गर्भावस्था की जानकारी होने के बाद दंपती परेशान हैं कि महिला ने परिवार नियोजन के तहत ऑपरेशन कराया था, वह असफल कैसे हो गया.
पीड़िता का कहना है कि उसने सरकारी मानदंड के अनुसार सरकारी अस्पताल में ऑपरेशन कराया था, लेकिन चिकित्सकों की लापरवाही के कारण वह पुन: गर्भवती हो गयी. इसके लिए वह अब अस्पताल प्रशासन से क्षतिपूर्ति मुआवजे की मांग कर रही है. इसके लिए स्वास्थ विभाग के अधिकारी को आवेदन दिया गया है. बताते चलें कि आबादी को थामने के लिए सरकार तरह तरह के उपाय कर रही है. मुफ्त बंध्याकरण ऑपरेशन के साथ मरीज को आर्थिक सहयोग देना भी ऐसा ही एक उपाय है. लेकिन, इसे लेकर अस्पतालों में बरती जा रही लापरवाही से स्थानीय लोग अस्पताल प्रबंधन पर कई तरह के सवाल उठा रहे हैं. सवाल उठा सकती है, सवाल यह भी है कि बंध्याकरण ऑपरेशन के दौरान हुई इस लापरवाही की जिम्मेदारी किसकी होगी और पीड़ित पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ की भरपाई कैसे होगी यह एक बड़ा सवाल है.