आस्था का प्रतीक है अमरथ की मजार

जमुई: जिला मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर दूर सदर प्रखंड क्षेत्र के अमरथ गांव में सैयद अहमद खान गाजी जाजनेरी के मजार पर प्रत्येक वर्ष 21 फरवरी को कुरानखानी होती है और 22 फरवरी को उर्स का मेला लगता है. अपने मन की मुराद पूरी होने पर दूर-दराज से लोग गाजी जाजनेरी के मजार अमरथ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 19, 2015 10:17 AM

जमुई: जिला मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर दूर सदर प्रखंड क्षेत्र के अमरथ गांव में सैयद अहमद खान गाजी जाजनेरी के मजार पर प्रत्येक वर्ष 21 फरवरी को कुरानखानी होती है और 22 फरवरी को उर्स का मेला लगता है. अपने मन की मुराद पूरी होने पर दूर-दराज से लोग गाजी जाजनेरी के मजार अमरथ पहुंचकर उर्स के मेले के दौरान चादरपोशी करते हैं. मन्नत मांगने के लिए भी कई लोग यहां आते हैं.

आस-पास के लोगों की मानें तो उर्स के मेले के दौरान सबसे पहले चादरपोशी होती है और उसके बाद स्थानीय लोगों द्वारा क व्वाली का आयोजन किया जाता है.

इस अवसर पर भव्य मेला का भी आयोजन किया जाता है और यहां पर हजारों लोग जुटते हैं. इस बाबत पूछे जाने पर सैयद नौशाद आलम अमरथवी (मुंबई) बताते हैं कि सैयद अहमद खान गाजी जाजनेरी रहमतुल्लाह अलैह के मजार पर आकर जो भी सच्चे मन से मन्नत मांगता है उसकी मुराद अवश्य पूरी होती है. उनकी मानें तो इनकी कृपा से कई पागल यहां आकर ठीक हुए हैं और कई महिलाओं की सूनी गोद भर गयी है.

कई लोगों के शैतानी हरकत भी ठीक हुए हैं. इसके पीछे किवदंती यह है कि बहुत पहले यहां सैयद कमरुजमा रिजवी नाम के एक पुलिस पदाधिकारी थे जो इस मजार के समीप शिकार खेलने आये थे. उन्होंने मजार के समीप इमली के पेड़ पर बैठे एक पक्षी पर दो गालियां दागी. लेकिन उस पक्षी को गोली नहीं लगी. उन्होंने पक्षी पर जब तीसरी गोली चलायी तो वह गोली पीछे की ओर लौट गयी. तभी उन्हें महसूस हुआ कि इस जगह पर कोई अलौकिक शक्ति निवास करती है. इसके पश्चात उन्होंने उर्स मनाना और मिलाद शुरू करवाया. आज भी यह मजार लोगों के आस्था का प्रतीक बना हुआ है और लोग मजार के समीप लगे एक पेड़ में कपड़ा बांध कर मन्नत मांगते हैं और मन्नत पूरी होने पर चादरपोशी करने के लिए आते हैं.

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