चकाई में जंगलों की हो रही अवैध कटाई
चकाई : प्रखंड में अवैध रूप से वनों की कटाई का काम निर्बाध गति से जारी है. फलस्वरूप यहां के जंगल सपाट मैदान में परिवर्तित होते जा रहे है. प्रखंड के जंगली इलाकों में वन माफियाओं का एक बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है. पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए एक तरफ जहां वर्तमान […]
चकाई : प्रखंड में अवैध रूप से वनों की कटाई का काम निर्बाध गति से जारी है. फलस्वरूप यहां के जंगल सपाट मैदान में परिवर्तित होते जा रहे है. प्रखंड के जंगली इलाकों में वन माफियाओं का एक बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है. पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए एक तरफ जहां वर्तमान सरकार करोड़ों रूपये खर्च कर पौधरोपन अभियान जैसे अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रम चला रही है.
वही दूसरी ओर प्रखंड क्षेत्र स्थित मधुवा, मनिहारी, धरवा, गंगटी, छोटकीटांड, मोहनीडीह, जमुनी, नोढिया के जंगल से प्रतिदिन लकड़ी तस्करों द्वारा कीमती लकड़ियो की कटाई से उक्त जंगलों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है. जानकार सूत्रों के मुताबिक प्रखंड वन क्षेत्र कार्यालय से पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित मनिहारी जंगल से प्रतिदिन लकड़ी तस्करों द्वारा कीमती खैर, शीशम, अकशिया सहित अन्य किस्मों के पेड़ों को दिनदहाड़े काट कर झारख्ांड के गिरीडीह, जसीडीह जैसे शहरों में बेचा जा रहा है.
लोगों के अनुसार वर्ष 2001-2002 में वन विभाग द्वारा लगभग 50 हेक्टेयर वन भूमि में बरजो जंगल में पौधरोपन अभियान के तहत खैर शीशम, अकशिया, अजरुन प्रजाति के पेड़ों को लगाया गया था. मगर विभागीय पदाधिकारी की लापरवाही के कारण आधे से अधिक पेड़ों की लकड़ी माफियाओं द्वारा काट लिये जाने से बरजो जंगल वीरान दिखायी पड़ने लगा है. इस संबंध में पूछे जाने पर चकाई रेंजर नरेश साह ने बताया कि इसकी जानकारी मुङो नहीं है. अगर ऐसी बात हैं तो ऐसे तत्वों से कड़ाई से निबटेगी.