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आदिवासी व वनवासियों की चकाई क्षेत्र के नहीं बदली तकदीर

चंद्रमंडीह : चकाई प्रखंड के आदिवासियों और वनवासियों की तकदीर आजादी के 68 साल बीत जाने के बाद भी नही सुधार पायी़ आदिवासी और वनवासी महिलाएं प्रतिदिन रोजी-रोटी की तलाश में जंगलों की खाक छानते है. और जंगलों से लकड़ी काट कर लाते और दुसरे दिन लकड़ियों को बाजार में लेजाकर बेचते है उसी पैसे […]

चंद्रमंडीह : चकाई प्रखंड के आदिवासियों और वनवासियों की तकदीर आजादी के 68 साल बीत जाने के बाद भी नही सुधार पायी़ आदिवासी और वनवासी महिलाएं प्रतिदिन रोजी-रोटी की तलाश में जंगलों की खाक छानते है. और जंगलों से लकड़ी काट कर लाते और दुसरे दिन लकड़ियों को बाजार में लेजाकर बेचते है उसी पैसे से उनका चूल्हा जलता है़

इसी तरह इनकी परिजनों की परवरिश सदियों से होती आ रही है. मगर इन निरीह आदिवासियों और वनवासियों की सुधि लेने वाला कोई नही है़ आदिवासियों और वनवासियों के उत्थान के लिए सरकार द्वारा कई कल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर लाया गया लेकिन यह योजना धरातल पर नहीं आकर कागजी खानापूर्ति कर इस राशि का बंदरबांट सदियों से किया जाता रहा है़ आदिवासियों की तकदीर और ततवीर बदलने के उद्देश्य से सरकार माड़ा योजना का शुरुआत वर्षों पूर्व किया था.

आज तक इसी योजना मद में चकाई प्रखंड को करोड़ों की राशि प्राप्त हुई मगर कहीं-कहीं धरातल पर कुछ-कुछ काम कराकर बिचौलिये पदाधिकारी और ठिकेदार इस राशि से मालोमाल हो गये मगर आदिवासियों और वनवासियों की दशा और दिशा में आजतक कोई बदलाव नही आया़ इस बाबत प्रखंड विकास पदाधिकारी राजीव रंजन से पुछे जाने पर बताया कि हम हाल फिलहाल में चकाई प्रखंड का पदभार ग्रहण किया हूं माडा योजना कहां चलया गया है. इसकी जानकारी मुझे नहीं है लेकिन इस दिशा में शिघ्र पहल कर बताया जायेगा़

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