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चिंता ने अपने समर्पण से क्षेत्र को दी खुशहाली

जमुई : अब महिलाएं भी पर्यावरण की सुरक्षा और देखभाल के क्षेत्र में पुरुषों से किसी भी दृष्टिकोण से कम नहीं है और वे पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अपना सर्वस्व समर्पित किसी की परवाह किये बगैर अनवरत लगी हुई हैं. ऐसी ही एक अनोखी मिसाल जिले के खैरा प्रखंड अंतर्गत मंझियानी निवासी व मंझियानी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 28, 2016 4:12 AM

जमुई : अब महिलाएं भी पर्यावरण की सुरक्षा और देखभाल के क्षेत्र में पुरुषों से किसी भी दृष्टिकोण से कम नहीं है और वे पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अपना सर्वस्व समर्पित किसी की परवाह किये बगैर अनवरत लगी हुई हैं. ऐसी ही एक अनोखी मिसाल जिले के खैरा प्रखंड अंतर्गत मंझियानी निवासी व मंझियानी घियातरी वन समिति के तहत कार्यरत महिला गश्ती दल की अध्यक्ष चिंता देवी ने समाज के सामने पेश किया है.

चिंता देवी ने अपने मेहनत के बल बूते विगत 2004 से वन विभाग से जुड़ कर वृक्षों की रक्षा के लिए कार्य करना शुरू किया था और 2008 में वन समिति के तहत कार्यरत गश्ती दल से जुड़ कर लगभग 5-6 सौ हेक्टेयर में लगे पेड़-पौधों की सुरक्षा में अपना सर्वस्व समर्पित कर पर्यावरण के क्षेत्र में नयी मिसाल पेश कर रही है. चिंता देवी की मानें तो हमारे महिला गश्ती दल में लगभग 9 सदस्य है और हमलोग रात में भी वनों की कटाई को रोकने के लिए अपने क्षेत्र में भ्रमण करते हैं.

हमें अपना परिवार और घर से अधिक प्यारा जंगल ही लगता है और इन वनों से हमें इतना अधिक स्नेह है जितना कि अपने परिवार से भी नहीं. वनों की सुरक्षा बगैर किसी डर या भय के हर हमेशा करते है और हमें जंगल में रहने वाले जानवरों या लोगों से तनिक भी भय नहीं लगता है. लोगों द्वारा हरे-भरे वृक्ष की कटाई करने पर हमें बहुत दर्द होता है और पेड़-पौधों को काटने वालों को हमलोग डरा-धमका कर दुबारा ऐसा करने से रोकते हैं और जब वे नहीं मानते है तो हमलोग वन विभाग को इसकी सूचना देते हैं. वनों की सुरक्षा में हमें अपने घर परिवार के लोगों का भी पूर्ण स्नेह व सहयोग मिलता है. विगत आठ वर्षों से हमारे गश्ती दल की महिलाएं इस कार्य में लगी हुई है. चिंता देवी के नेतृत्व में मंझियानी घियातरी वन समिति को पूरे देश में एक नयी पहचान मिली है और इब्राड कोलकाता के द्वारा चिंता देवी को वनों की सुरक्षा में महिलाओं के योगदान के लिए विगत 21 फरवरी को राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार दिया गया है तथा इसके पूर्व भी तीन बार पुरस्कृत किया जा चुका है. चिंता देवी ने अपनी मेहनत के बलबूते जिले का नाम पूरे देश में ऊंचा करने का काम किया है.

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