शराब बंदी स्वागत योग्य, पर महुआ संग्रह पर रोक अनुचित
कजरा : एक अप्रैल से बिहार सरकार द्वारा शराब बंदी व महुआ शराब के अवैध निर्माण पर रोक का माकूल असर दिखने लगा है. पर इसके साथ ही जहां ताड़ी के संग्रह व बिक्री को लेकर पेशेगत लोगों के द्वारा सरकार के विरुद्ध आवाज उठने लगी है. वहीं महुआ के भंडारण पर सख्ती से रोक […]
कजरा : एक अप्रैल से बिहार सरकार द्वारा शराब बंदी व महुआ शराब के अवैध निर्माण पर रोक का माकूल असर दिखने लगा है. पर इसके साथ ही जहां ताड़ी के संग्रह व बिक्री को लेकर पेशेगत लोगों के द्वारा सरकार के विरुद्ध आवाज उठने लगी है. वहीं महुआ के भंडारण पर सख्ती से रोक लगाने के निर्णय के विरोध में महुआ पेड़ के मालिक व क्षेत्र के आदिवासी सरकार के रोक को अनुचित ठहराते हुए इस पर पुन: विचार करने की मांग करने लगे हैं.
आदिवासी विकास समिति के अध्यक्ष नारायण कोड़ा व सामाजिक कार्यकर्ता महावीर कोड़ा ने बताया कि उड़ीसा, झारखंड व कमोवेश बिहार के निकटवर्ती राज्य में अंगूर से कई तरह के शराब बनायी जाती है, तो वहां की सरकार उक्त सामग्रियों के संग्रह पर रोक नहीं लगाती. फिर बिहार में मात्र 05 किलो महुआ का संग्रह व उससे ज्यादा संग्रह को गैर कानूनी करार देना कहां तक उचित है. इस पर सरकार को पुनर्विचार करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि शराब बंदी व महुआ से अवैध शराब का निर्माण पर रोक लगाने के सरकार के फैसला का वे स्वागत करते हैं, पर महुआ संग्रह पर रोक अनुचित है. इसका आदिवासी समुदाय विरोध करती है.