मुसलिम भाइयों ने दूसरे जुमा की नमाज अदा की

रोजा सिर्फ भूखा रहने का नाम नहीं है, बल्कि तमाम बुराइयों से अपने आप को अलग रखने का भी नाम है. जमुई : मुसलिम समुदाय के लोगों ने रमजान के पाक महीने के दौरान मुख्यालय स्थित बड़ी मसजिद, महिसौड़ी मसजिद, गौसिया मसजिद, नीमारंग ,भछियार व हांसडीह मुहल्ला स्थित सभी मसजिदों में शुक्रवार को दूसरे जुम्मा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 18, 2016 3:56 AM

रोजा सिर्फ भूखा रहने का नाम नहीं है, बल्कि तमाम बुराइयों से अपने आप को अलग रखने का भी नाम है.

जमुई : मुसलिम समुदाय के लोगों ने रमजान के पाक महीने के दौरान मुख्यालय स्थित बड़ी मसजिद, महिसौड़ी मसजिद, गौसिया मसजिद, नीमारंग ,भछियार व हांसडीह मुहल्ला स्थित सभी मसजिदों में शुक्रवार को दूसरे जुम्मा की नमाज अदा की. इस दौरान उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए मसजिद के इमाम ने कहा कि रोजा सिर्फ भूखा रहने का नाम नहीं है, बल्कि तमाम बुराइयों से अपने आप को अलग रखने का भी नाम है.
नमाज के बाद रोजा अल्लाह की सबसे अहम इबादत है. दुनिया के सभी धर्म में बुराइयों से निजात पाने के लिए कुछ इबादत रखी गयी है और इसी तरह इसलाम ने भी अपने मानने वालों के लिए इबादत का एक अलग वसूल रखा है,जिससे इंसान अपने नब्ज को तमाम बुराइयों से अलग रख सके. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि रोजा में सुबह से शाम तक खाने,पानी पीने व औरत से अलग रहने के साथ साथ दूसरे तमाम बुराइयों से अलग रह कर अल्लाह ताला को लोग राजी करते हैं.
अल्लाह ताला ने इस पाक महीने में रोजा रखने को जरुरी करार दिया है.जैसा की कुरान में अल्लाह ने फरमाया है ऐ इमान वालों तुम पर रोजा फर्ज किया गया है,जैसा कि तुमसे पहले के लोगों पर फर्ज किया गया था. ताकि तुम अल्लाह के नेक बंदे बन जाओ और हजरत मुहम्मद ने फरमाया है कि जिस सख्श ने इमान और ऐहतेसाब के साथ रोजा रखा तो उसके पिछले गुनाह माफ कर दिये जायेगें.

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