शक्तिपूजा. बड़हिया में मां दुर्गा के प्रसिद्ध मंदिर में उमड़ रहे हैं श्रद्धालु
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त्रिपुर सुंदरी पूरी करती हैं मन्नत
शक्तिपूजा. बड़हिया में मां दुर्गा के प्रसिद्ध मंदिर में उमड़ रहे हैं श्रद्धालु 137 फीट ऊंचे संगमरमर के बुर्ज पर स्वर्ण कलश श्रद्धालुअों को आकर्षित करता है. बड़हिया की मां बाला त्रिपुर सुंदरी मनोकामना पूर्ण करनेवाली हैं. वैसे तो यहां सालों भर श्रद्धालुअों की भीड़ बनी रहती है, लेकिन नवरात्र में दूर-दराज के लोगों की […]
137 फीट ऊंचे संगमरमर के बुर्ज पर स्वर्ण कलश श्रद्धालुअों को आकर्षित करता है. बड़हिया की मां बाला त्रिपुर सुंदरी मनोकामना पूर्ण करनेवाली हैं. वैसे तो यहां सालों भर श्रद्धालुअों की भीड़ बनी रहती है, लेकिन नवरात्र में दूर-दराज के लोगों की आवाजाही भी बढ़ जाती है.
बड़हिया : हजारों वर्ष पूर्व स्थापित सिद्ध मंगला पीठ मां बाला त्रिपुर सुंदरी मंदिर में मंगलवार को नवरात्र पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने विशेष पूजा अर्चना की. श्रद्धालुओं की लगभग एक किलोमीटर लंबी लाइन मंदिर परिसर में अहले सुबह से लगी रही. मंदिर परिसर के सभी तल पर सैकड़ों की संख्या में उपासक बैठ कर दुर्गा सप्तशती का सस्वर पाठ करते रहे. दुर्गा सप्तशती का पाठ करने वाले भी चार-चार घंटे इंतजार करते रहे.
श्रीधर अोझा ने की थी पिंड की स्थापना
विदित हो कि कश्मीर स्थित मां वैष्णो देवी की स्थापना बड़हिया के मूल निवासी भक्त शिरोमणि श्रीधर ओझा ने की थी. मां वैष्णो देवी मंदिर की किताब में संस्थापक के रूप में भक्त शिरोमणि श्रीधर ओझा की कहानी अंकित है. बड़हिया चारों ओर से गंगा सहित दर्जनों नदी के पानी से घिरा जंगलों के बीच बसा था. बेहद जहरीले सांप रहते थे, जिसके काटने से बड़हिया संख्या में बड़हियावासी की मौत होती थी. गांव लौटने पर ग्रामीणों से श्रीधर ओझा से सर्पदंश से मर रहे ग्रामवासी को निजात दिलाने का आग्रह किया.
मां की आराधना के बाद मां बाला त्रिपुर सुंदरी के कहे अनुसार श्रीधर ओझा ने मां बाला त्रिपुर सुंदरी के पिंड की स्थापना की. परिसर में एक कुआं बनवाया. सर्पदंश पीड़ित व्यक्ति मंदिर परिसर उपचार के लिए आते हैं. मां का बाला स्वरूप होने के कारण मां बाला त्रिपुर सुंदरी मंदिर की पूजा में बतासा, कागज का झांप चढ़ाने की परंपरा है. दंत कथा के अनुसार मां का बाला स्वरूप दंतहीन है इसलिए मुंह में त्वरित गलने वाला बतासा ही प्रसाद के रूप में तथा कागज पर रंग से चितकारी किया आकर्षक झांप ही मां को प्रिय है.
पूरे देश से आते हैं श्रद्धालु, यहां पिंड की होती है पूजा
भव्य है बड़हिया का मां बाला त्रिपुर सुंदरी मंदिर.
पूजा को उमड़ रही है श्रद्धालुअों की भीड़.
श्रीधर सेवाश्रम में श्रद्धालुअों के ठहरने की है व्यवस्था
मां बाला त्रिपुर सुंदरी के भव्य मंदिर का निर्माण वर्ष 1992 में शुरू हुआ. यज्ञ में बची राशि से मंदिर का निर्माण ग्रामीण स्व अवधेश प्रसाद सिंह प्रधानाध्यापक, स्व बृजेश्वर बाबू, जयशंकर प्रसाद सिंह उर्फ भादो बाबू, स्व गोपाल खेमका सहित संपूर्ण ग्राम वासियों ने कर सेवा और धनदान से कराया. गंगा तट पर संपूर्ण भारत में सबसे ऊंचा सफेद संगमरमर का इकलौता मंदिर मां बाला त्रिपुर सुंदरी मंदिर बड़हिया में है. 137 फीट ऊंचे सफेद संगमरमर के बुर्ज पर स्वर्ण कलश लगा हुआ है,
जो आकर्षक का केंद्र है. करोड़ों की लागत से बनाया गया विशाल श्रीधर सेवाश्रम है जिसमें शिव मंदिर और भक्त शिरोमणि श्रीधर ओझा की आदमकद प्रतिमा है. उतरायण गंगा के तट पर अवस्थित मां बाला त्रिपुर सुंदरी मंदिर बड़हिया में देश के कोने-कोने से श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते है. शारदीय नवरात्र में विशेष पूजा की परंपरा है. बड़हिया के किसान प्रत्येक वर्ष फसल बुआई रबी से पहले पूजा करते हैं. मां मनोकामना पूर्ण करने वाली है.
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