उपेक्षा का दंश झेल रहा जिले का पर्यटन स्थल, नहीं हो रहा विकास

प्राकृतिक छटा से भरपूर कई स्थल लुभा सकते हैं पर्यटकों को पंचपहड़ी, झूमराज मंदिर का पहाड़ी क्षेत्र, बरनार जलाशय निर्माण स्थल, बेरहवा नदी का मिनी झरना आदि हैं चिह्नित पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किये जाने पर क्षेत्र को होगा लाभ सोनो : प्रखंड क्षेत्र में कई ऐसे जगह है जो पर्यटक को अपनी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 3, 2017 5:17 AM

प्राकृतिक छटा से भरपूर कई स्थल लुभा सकते हैं पर्यटकों को

पंचपहड़ी, झूमराज मंदिर का पहाड़ी क्षेत्र, बरनार जलाशय निर्माण स्थल, बेरहवा नदी का मिनी झरना आदि हैं चिह्नित
पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किये जाने पर क्षेत्र को होगा लाभ
सोनो : प्रखंड क्षेत्र में कई ऐसे जगह है जो पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करने में सक्षम है परंतु ये स्थल उपेक्षा का दंश झेल रहा है.जानकारी के अनुसार इन जगहों पर प्राकृतिक सौंदर्यता को लेकर धार्मिक महत्व भी है. ऐसे जगहों को पर्यटक स्थल के तौर पर सजाया संवारा जाये तथा सुविधा से युक्त किया जाय तो पर्यटन की असीम संभावना बन सकती है . लेकिन इसके लिए न तो प्रशासनिक स्तर पर कभी इच्छा शक्ति दर्शायी गयी न ही राजनीतिक स्तर पर इसके लिए आवाज उठायी जा रही है. परिणामतः संभावना के बावजूद जंगल व पहाड़ो से घिरे यहां के खूबसूरत वादी व स्थल उपेक्षित हैं. परिणामतः अन्य जगहों से लोगो के यहां आने के बजाय यहां के लोग घूमने के लिए व पिकनिक मनाने के लिए दूसरे जगहों पर जाने को विवश होते हैं.
नववर्ष पर स्थानीय लोग पिकनिक के लिए इन स्थलों पर जाते भी है तो सुविधा नहीं रहने से लोगों को परेशानी होती है.बताते चलें कि कई बार स्थानीय लोगों और बुद्धिजीवियों द्वारा प्रशासन व नेता का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया गया है.
पंचपहड़ी पर पांच अजूबे पहाड़ी चट्टानों को देख लोग हो जाते हैं अचंभित
सोनो-झाझा मुख्य मार्ग के किनारे स्थित पंचपहड़ी पर पांच अजूबे पहाड़ी चट्टानों को देख लोग अचंभित हो जाते है. पहाड़ के ऊपर स्थित बेंगा पहाड़ दूर से ही एैसा प्रतीत होता है जैसे कोई विशाल मेढ़क पहाड़ पर बैठा हो. प्राकृतिक रूप से बने इस बेंगा पहाड़ के आलवे यहां का नावा पहाड़ भी आकर्षण का केंद्र है. नाव की आकार का एक विशाल शिलाखंड का बेहद कम भाग एक अन्य चट्टान पर इस तरह स्थित है कि कोई भी इसे आसानी से हिला सकता है. यहां आने वाले लोग इस नावा पहाड़ पर बैठ कर इस तरह हिचकोले खाते है जैसे सचमुच नाव चल रहा हो. पहाड़ पर चट्टानों के बीच बने भूल भुलैया वाली कुंज गली नामक बेहद संकरी गली लोगो को आकर्षित करता है. इस पहाड़ के ऊपर सैकड़ो वर्ष पूर्व बने कुंआ लोगो के लिए कौतुहल का विषय बना हुआ है.एैसी मान्यता है कि प्राचीन समय में यह पहाड़ ऋषियों की तपो स्थली था.इन ऋषियों द्वारा जिन गुफाओं में रहकर तपस्या किया जाता था वह आज भी पहाड़ पर मौजूद है. पहाड़ के ऊपर बने कई मंदिर भी लोगों को अचंभित करते है. नीचे बने कुंआ में दूधिया पानी का रहस्य आज तक अनसुलझा हुआ है. इस स्वादिष्ट दूधिया पानी को आने वाले लोग बड़े श्रद्धा से पीते है. पक्की मुख्य मार्ग से बेहद करीब चारो ओर पहाड़ व पेड़ पौधों से घिरे इस जगह तक चार पहिया वाहन भी आसानी से पहुंच जाता है.इसलिए सर्दी के दिनों में यह जगह पिकनिक मनाने वालो से गुलजार रहता है.इसके अलावे झुमराज मंदिर स्थित पहाड़ी क्षेत्र, बरनार जलाशय निर्माण स्थल, बेरहवा नदी का मिनी झरना को पर्यटक स्थल में विकसित करने की मांग क्षेत्र के लोग बरबस करने लगे हैं.

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