नागी पक्षी महोत्सव -2024: पखेरुओं की परवाज का फिर साक्षी बनेगा जमुई, आज से शुरू होगा महोत्सव

वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग सरकार द्वारा तीन दिवसीय महोत्सव को लेकर कई तरह के कार्यक्रम का आयोजन किया गया है.

By RajeshKumar Ojha | February 17, 2024 6:55 AM

ऋतांबर कुमार सिंह, झाझा (जमुई)

नागी पक्षी आश्रयणी में होने वाले तीन दिवसीय नागी पक्षी महोत्सव-2024 की तैयारी पूरी हो गयी है. शनिवार को इसका उद्घाटन होगा. पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग सरकार द्वारा तीन दिवसीय महोत्सव को लेकर कई तरह के कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. इसके लिए मुख्य अतिथि के उद्बोधन के अलावा परिसर में पौधरोपण, सम्मानित अतिथियों द्वारा नौका विहार का भी कार्यक्रम किया गया है.

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इसके अलावा जागरूकता अभियान के दौरान हुए कार्यक्रम जैसे क्रिकेट, मैराथन, फुटबॉल, स्कूली छात्र-छात्राओं के बीच हुई प्रतियोगिता के सफल विजेताओं को पुरस्कृत किया जायेगा. जिला प्रमंडल पदाधिकारी तेजस जायसवाल ने बताया कि तीन दिवसीय पक्षी महोत्सव में जीविका दीदी, कलमगार, अर्जुन मंडल, विज्ञान एवं प्रावैधिकी विभाग समेत कई संगठनों द्वारा कई तरह के प्रदर्शनी भी लगायी जायेगी. इस पक्षी महोत्सव के आकर्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई तरह के कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया है. उन्होंने बताया कि पक्षी महोत्सव के दौरान पक्षी प्रेमियों के लिए क्विज, सेमिनार, सांस्कृतिक कार्यक्रम, पक्षी रेस समेत कई तरह के आयोजन किये जायेंगे, जो आगामी 18 व 19 फरवरी को होगी.

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उन्होंने बताया कि महोत्सव के दौरान पक्षियों के संरक्षण और संवर्धन को बढ़ावा देने के लिए पक्षी विशेषज्ञों द्वारा कार्यशाला कभी आयोजन किया जा रहा है. इसमें जैव विविधता में पक्षियों के महत्व के साथ-साथ उसकी विशेषता के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा की जायेगी. डीएफओ ने बताया कि द्वितीय पक्षी महोत्सव की सफलता को लेकर कई तरह के अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गयी है, ताकि इसे यादगार बनाया जा सके.

उन्होंने कहा कि महोत्सव के दूसरे और तीसरे दिन यानी 18 और 19 फरवरी को कबड्डी, खो-खो प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जायेगा. सभी तरह के आयोजन का मुख्य उद्देश्य नागी पक्षी आश्रयणी को बढ़ावा देने का है, ताकि यहां रहने वाले पक्षियों को सुविधा मिल सके. डीएफओ ने आमलोगों से अपील करते कहा कि होने वाले तीन दिवसीय पश्चिम महोत्सव की सफलता को लेकर सहयोग करें, ताकि उसे और बेहतर ढंग से किया जा सके.

सैलानी पक्षियों से गुलजार हुआ नागी अभयारण्य

ठंड शुरू होते ही नागी पक्षी अभयारण्य में सैलानी पक्षियों का कलरव मन मोहने लगा है. अपने जिले, राज्य के अलावा दूसरे राज्यों के लोग आकर भी इन पंछियों का दीदार कर रहे हैं. इलाके में 10 साल के अंदर आमूलचूल परिवर्तन हुआ है. नक्सलियों और अपराधियों का खौफ खत्म हुआ है, तो लोग आने लगे हैं. 510 एकड़ में फैली इसकी सुंदरता ना सिर्फ सैलानियों को आकर्षित कर रही है, बल्कि पर्यावरणविद व रिसर्चर भी आ रहे हैं.

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तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, महाराष्ट्र विश्वविद्यालय, कोलकाता यूनिवर्सिटी, पुणे यूनिवर्सिटी के अलावा कई उच्चस्तरीय संस्थान के शोधार्थी यहां आकर पक्षियों व नागी की नैसर्गिक सुंदरता का अध्ययन कर रहे हैं. जल, मृदा, आश्रयणी के अंदर वनस्पति व पहाड़ी क्षेत्रों का लगातार अध्ययन किया जा रहा है. चट्टान विशेषज्ञ बताते हैं कि नागी के उत्तरी भाग में जो पहाड़ी चट्टान है, यह विरले ही दिखाई पड़ता है. पूरे भारत में यह तमिलनाडु के बाद यहीं है.

136 प्रजातियों के पक्षी मिलते हैं यहां

डीएफओ पीयूष बरनवाल ने बताया कि राज्य स्तरीय बर्ड फेस्टिवल का आयोजन फरवरी माह के पहले सप्ताह में नागी पक्षी आश्रयणी में किया जाना है. इसके लिए हमलोगों ने तैयारी शुरू कर दी है. पटना में विश्वस्तरीय पक्षी और पर्यावरण विशेषज्ञ इस पर मंथन कर रहे हैं. नागी और नकटी के चयन की खास वजह यह है कि यहां हर साल बड़ी संख्या में विदेशी पक्षी आते हैं. इसके अलावा देसी पक्षियों की अलग-अलग प्रजातियां सालों भर देखने को मिलती हैं. घने जंगल, मोरम लैंड और अलग-अलग तरीके की प्राकृतिक संरचना पक्षियों को आकर्षित करती है.

नागी में जो परिदृश्य देखने को मिल रहा है, वह केवल कर्नाटक में ही देखने को मिलता है. उन्होंने बताया कि 136 प्रजातियों के पक्षी नागी, नकटी अभयारण्य में पाये जा रहे हैं. जहां यूरेशिया, मध्य एशिया, आर्कटिक सर्कल, रूस और उत्तरी चीन सहित देश के कई हिस्सों के पक्षी देखे गये हैं. उन्होंने बताया कि यहां 1600 के करीब बार हेडेड गूज यानी हंस, बड़ा हंस या सफेद हंस देखे गये हैं.  

प्रदूषणरहित है नागी व इसके आसपास का क्षेत्र
नागी पक्षी आश्रयणी व इसके आसपास के क्षेत्र में प्रदूषण न के बराबर है. नागी में सैर करने के दौरान जब सैलानी पानी के अंदर में लगे पौधे साफ देख सकते हैं. 4 – 5 फीट पानी के अंदर जाते ही जमीन के अंदर की चीजें साफ दिखायी पड़ती हैं. तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के वनस्पति विशेषज्ञ डॉ प्रो सुनील कुमार चौधरी बताते हैं कि इस इलाके के चारों तरफ औषधीय गुण से भरे पेड़-पेड़ पौधे हैं. इसका इस्तेमाल कई रोगों में किया जा सकता है. उन्होंने बिहार सरकार से इस क्षेत्र को वनस्पति विभाग के रिसर्च के रूप में डेवलप करने की मांग की है.

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ऐसे पहुंच सकते हैं नागी
नागी पक्षी आश्रयणी पहुंचने के लिए सिर्फ सड़क मार्ग का ही उपयोग किया जा सकता है. यह जिला मुख्यालय जमुई से 31 किलोमीटर, जबकि जमुई रेलवे स्टेशन से 28 किलोमीटर पूरब व झाझा बाजार व रेलवे स्टेशन से 12 किलोमीटर की दूरी पर है. बिहार के राजधानी पटना से लगभग 200 किलोमीटर, देवघर से 80 किलोमीटर, भागलपुर से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. झाझा आने से केशोपुर मोड़, काबर होते हुए नागी जाया जा सकता है. जमुई से आने के दौरान गिद्धौर, केशवपुर मोड़, काबर होते हुए नागी जाया जा सकता है. यह सबसे सुगम रास्ता है और प्रत्येक सड़क चौड़ी और चिकनी बनी हुई है. यहां से नागी तक पहुंचने में सैलानियों को आसानी होती है.

प्राकृतिक नजारा देख मुग्ध हो जाते हैं सैलानी
नागी पक्षी अभयारण्य में उत्तर भाग में पहाड़ी क्षेत्र पर सैलानियों का जमावड़ा रहता है. नागी पर बनी सड़क सैलानी के घूमने-टहलने व सेल्फी लेने की बेजोड़ जगह है. कई क्षेत्रीय फिल्मों का फिल्मांकन भी यहां किया गया है. दक्षिणी छोर पर बनी छतरी भी इसकी सुंदरता बढ़ाती है. उस जगह से खड़े होने पर नागी का पूरा नजारा दिखता है. बीच-बीच में बना डायवर्सन भी आकर्षित करता है. वन विभाग द्वारा सैलानियों के बैठने की भी व्यवस्था की गयी है. उत्तरी भाग के पहाड़ी पर एक टावर बना हुआ है. जिस पर सीढ़ी लगी है. यहांं से नागी का नजारा अद्भुत होता है. लगभग 25 फीट ऊंचे बना इस टावर से नागी का नैसर्गिक आनंद लिया जा सकता है. बाहरी व आसपास के क्षेत्रों को भी कैमरे में कैद कर सकते हैं.

नागी में मौजूद हैं विश्व में सबसे तेज उड़नेवाले पक्षी पेरिग्रीन फैलकॉन


विश्व में सबसे तेज उड़ने व झपट्टा मारने वाले पक्षी पेरेग्राइन फैलकॉन नागी पक्षी आश्रयणी में मौजूद हैं. इसे देखने के लिए पक्षी विशेषज्ञ लगातार नागी आ रहे हैं. नायाब साइबेरियन पक्षी के कारण ही नागी में दूसरी बार राजकीय पश्चिम महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. यह सर्वेक्षण पक्षी विशेषज्ञों द्वारा किया गया है.

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जिले में बिहार की सबसे समृद्ध पक्षी आश्रयणी नागी में बिहार के एशियाई मध्य शीतकालीन जल पक्षियों की गणना कार्यक्रम के तहत पक्षियों की गणना अरविंद मिश्रा के नेतृत्व में लगातार की जा रही है. उनके साथ भारतीय वन्यजीव संस्थान के पक्षी विशेषज्ञ के अलावा स्थानीय बर्ड गाइड भी शामिल हैं. इसके अलावा स्थानीय स्तर पर नागी पक्षी आश्रयणी में प्रशिक्षण प्राप्त बर्ड गाइड अवधेश कुमार आदर्श, संदीप कुमार आदि भी शामिल होकर कार्य करते रहे हैं. लगातार इन लोगों के प्रयास से जिले के खैरा प्रखंड क्षेत्र के गढ़ही डैम, सोनो प्रखंड के देवान आहार, बेलवाजन आहार के अलावा झाझा प्रखंड क्षेत्र में प्रदेश स्तर पर अपनी अमिट छाप बनाये नागी पक्षी आश्रयणी व नकटी पक्षी आश्रयणी में पक्षियों की लगातार गणना की गयी.

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नागी में मछली मारने पर पूर्ण पाबंदी से फायदा
पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा ने कहा कि नागी में वन विभाग के अथक प्रयास के बाद मछली मारने पर पूर्ण पाबंदी लगा दी गयी. इस कारण यहां पानी तो कम हो गया, लेकिन पक्षियों की संख्या बीते वर्ष से दोगुनी हो गयी, जो इस क्षेत्र और इस पक्षी आश्रयणी के लिए सबसे सुखद बात है. पक्षी विशेषक ने बताया कि आने वाले दिनों में यदि यहां मछुआरे मछली मारना बंद कर देंगे, तो लालसर, राजहंस, सरारकूट समेत कई ऐसे पक्षी हैं, जो इस जगह पर स्वच्छंद विचरण करते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार लगातार ऐसे जलाशयों पर ध्यान देते हुए पक्षियों पर रिसर्च भी करवा रही है. नागी ने प्रदेश स्तर से लेकर देश स्तर पर अपनी छाप छोड़ी.

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इसके कारण ही यहां आज पक्षियों में रिंग पहनाया जा रहा है, जिसकी गिनती हो रही है. उन्होंने बताया कि जिले के अन्य जलाशयों की तरह नागी पक्षी आश्रयणी में भी जल क्षेत्र में काफी कमी देखी गयी. परंतु पक्षियों की संख्या सामान्य वर्षों से अधिक देखी गयी. विशेष रूप से राजहंस (बार हेडेड गूज) और ग्रे लैग गूज की तो रिकॉर्ड संख्या यहां हजारों में दिखी. अरविंद मिश्रा ने बताया कि करीब तीस वर्षों के अध्ययन में ग्रे लैग गूज की इतनी संख्या हमने नागी में कभी नहीं देखी. इसकी संख्या 1200 से भी ज्यादा थी. हालांकि लालसर की संख्या जरूर कुछ कम दिखायी पड़ी. उन्होंने बताया कि भरपूर शक्तिशाली व दुनिया में सबसे तेज झपट्टा मारने वाले पक्षी पेरिग्रीन फैलकॉन जैसे शिकारी पक्षी भी नागी में दिखायी पड़े, जो 300 किलोमीटर प्रतिघंटे से भी ज्यादा तेज उड़ते हैं और इसी रफ्तार से अपने शिकार पर टूट पड़ते हैं.

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पक्षी विशेषज्ञ ने बताया कि यदि इस धरोहर को सहेजकर रखा जाएगा तो आने वाले दिनों में नागी अपनी विशिष्ट पहचान बनाएगा. स्थानीय सहयोगियों सहदेव यादव, वनपाल अनीश सिंह राठोर आदि के साथ नागी में मौजूद पक्षी विशेषज्ञ ने बताया कि पेरिग्रीन फैलकॉन, राजहंस (बार हेडेड गूज) और ग्रे लैग गूज, लालसर, कूट, कॉटन पिग्मी गूज, ब्लैक स्टोर्क, यूरेशियन वीजन, लिटिल रिंग प्लोवर, टेमिंक स्टिंट, व्हाइट आईबिस, ब्लैक आईबिस, कॉमन केट्रेल, टफ्टेड डक आदि पक्षी यहां बड़ी संख्या में दिखे. नागी की सुंदरता व विशेष पक्षियों के आगमन से जहां उसकी सुंदरता इसकी लगातार बढ़ रही है. वहीं झाझा वासियों ने इसे पर्यटन के क्षेत्र में और विकास करने की सरकार से मांग की है. ताकि इस क्षेत्र के स्थानीय लोगों को रोजगार के साथ स्वरोजगार का संसाधन मिल सके. इससे न सिर्फ इस क्षेत्र की रौनक बढ़ेगी, बल्कि बहुतायत रोजगार के मिलने से बेरोजगारी भी दूर होगी.

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