सम्राज्यवाद विरोधी और जल जंगल जमीन बचाने के प्रतीक थे बिरसा मुंडा : भाकपा माले
सम्राज्यवाद विरोधी महानायक बिरसा मुंडा के 150वीं जयंती के अवसर प्रधानमंत्री मोदी जमुई के धरती से उदगार दर्शन भगवान बिरसा मुंडा के प्रति सम्मान कम और राजनीतिक ड्रामा से ज्यादा कुछ भी नहीं.
जमुई. सम्राज्यवाद विरोधी महानायक बिरसा मुंडा के 150वीं जयंती के अवसर प्रधानमंत्री मोदी जमुई के धरती से उदगार दर्शन भगवान बिरसा मुंडा के प्रति सम्मान कम और राजनीतिक ड्रामा से ज्यादा कुछ भी नहीं. यह बातें भाकपा माले ने प्रेस रिलीज जारी कर कही. भाकपा माले नेता बाबू साहब सिंह ने कहा कि संघ परिवार से आये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भगवान बिरसा मुंडा के प्रति श्रद्धा अर्पित कर यह संदेश देना चाहते हैं कि हम साम्राज्यवाद के खिलाफ संघर्षों के प्रति श्रद्धावान हैं. मगर यह राजनीतिक चाल से ज्यादा कुछ नहीं है. ब्रिटिश साम्राज्यवाद के प्रति संघ परिवार की भक्ति भावना किसी से छुपी नहीं है और दलित आदिवासियों के प्रति उनकी भावना एक जानी-मानी हकीकत है जो समय-समय पर समाज व देश में अभिव्यक्त होते रही है. उन्होंने कहा कि आदिवासियों के लंबे संघर्ष के बाद जो वनाधिकार कानून 2008 के तहत जंगल में बसे आदिवासियों को उनकी जमीन का पर्चा मिलना था. मोदी सरकार वन संरक्षण काननू 2022 लेकर जंगल की जमीन से आदिवासियों को बेदखल करने पर आमादा है. हम प्रधानमंत्री के इस कार्रवाई को राजनीतिक ड्रामा के और झारखंड चुनाव में आदिवासियों को झूठा जुमला परोसने के अलावा कुछ नहीं समझते. यह सत्ता पैसे और ऐश्वर्या का प्रदर्शन मात्र है.
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