झाझा (जमुई). शहर के पुरानी बाजार स्थित चैती दुर्गा मंदिर परिसर में शुक्रवार को ब्राह्मण समाज द्वारा भगवान परशुराम की जयंती मनायी गयी. उपस्थित लोगों ने उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. उनके बताये रास्ते पर चलने का संकल्प लिया. कार्यक्रम में मौजूद नीरज झा, बिट्टू झा, राजू झा, टीपू झा, साहेब झा, सुमित झा समेत कई लोगों ने बताया कि हमलोग भगवान परशुराम के अनुयायी हैं. लोगों ने बताया कि परशुराम भारत की ऋषि परंपरा के महान वाहक थे. उनका शस्त्र और शास्त्र दोनों पर समान अधिकार था. वे भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं. उनका प्रभाव त्रेता युग से शुरू होकर द्वापर तक जाता है. उनका जीवन एक आदर्श पुरुष का जीवन था. भगवान परशुराम के पिता महर्षि जमदग्नि और माता रेणुका थीं. पौराणिक आख्यान के अनुसार, भगवान परशुराम का जन्म पुत्रेष्ठि यज्ञ के बाद देवराज इंद्र के वरदान के बाद हुआ था. परशुराम जी का जन्म वैशाख शुक्ल की तृतीया को हुआ. इसलिए अक्षय तृतीया के दिन ही उनकी जयंती मनायी जाती है. उनके पितामह भृगु ने उनका नाम अनन्तर राम रखा, जो शिव द्वारा दिये गये अस्त्र परशु को धारण करने की वजह से परशुराम हो गया. लोगों ने उनके आदर्शों को आत्मसात करते हुए उनके बताए रास्ते पर चलने का संकल्प लिया. मौके पर कई लोग मौजूद थे.
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