जमुई. जिला मुख्यालय स्थित केकेएम कॉलेज के स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र विभाग के तत्वावधान में सोमवार को परिचर्चा का आयोजन किया गया. इस दौरान कचरा जलाने से उत्पन्न होने वाली समस्याओं के बारे में विमर्श किया गया. मौके पर स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ प्रो गौरी शंकर पासवान ने कहा कि कचरा को जलाना स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए बहुत ही खतरनाक है. क्योंकि कचरा जलाने पर कई हानिकारक रसायन निकलते हैं और प्रदूषण फैलता है, जो मनुष्य को कई प्रकार से हानि पहुंचता है. उन्होंने कहा कि कचरा भस्मीकरण विरोध दिवस जागरूकता का दिन है, जो कचरे को जलाने की मनाही करता है और उसके उचित प्रबंधन करने की गुहार लगाता है. राजनीतिक विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अजीत कुमार ने कहा कि कहा कि कचरा जलाना बंद होना चाहिए. इतिहास के विभागाध्यक्ष डॉ सत्यार्थ प्रकाश ने कहा कि कचरा को जलाने से अच्छा उसका री-साइक्लिंग करना होता है. अमेरिका में कूड़ा फेंकने पर अर्थदंड है. पार्क और सड़क पर कचरा फेंकने पर जुर्माना या 1 साल जेल का प्रावधान है. अर्थशास्त्र के असिस्टेंट प्रोफेसर सरदार राम ने कहा कि कूड़ा या अपशिष्ट को जलाने के बजाय जमीन के अंदर गड्ढा में गाड़ देना उचित होता है. क्योंकि कचरा जलाने से खतरनाक रसायन और गैस निकलती हैं, जो मनुष्य के लिए हानिकारक होता है. भारत को भी यत्र तत्र कचरा फैलाने और जलने वालों पर लगाम लगाना चाहिए और दंड का प्रावधान कड़ाई से लागू करना चाहिए. कार्यालय सहायक रविश कुमार सिंह एवं सुशील कुमार ने कहा कि अपशिष्टों को जलाना खतरनाक विकल्प है. पंजाब, हरियाणा में कूड़ा कचरा भस्मीकरण का खजियामा दिल्ली को आज भुगतना पड़ रहा है. अब समय आ चुका है कि भारत सहित पूरे विश्व को कचरा का भस्मीकरण बंद कर देना चाहिए. कचरे को गड्ढे बनाकर जमीन में गाड़ देना चाहिए, ताकि यह उपजाऊ खाद बनकर तैयार हो जाये. बायोमास से हम बायोगैस भी बना सकते हैं, जो ऊर्जा का एक साधन है. कचरा भस्मीकरण विरोध दिवस हमें इसका सही प्रबंधन सिखाता है, ताकि हमारा पर्यावरण स्वच्छ और शुद्ध बना रहे. मौके पर कई शिक्षक, कर्मचारी व छात्र उपस्थित थे.
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