Bihar Cyber Crime: ठगी की रकम बांटने आपस में भिड़े साइबर अपराधी, पुलिस ने 4 को किया गिरफ्तार
जमुई में पुलिस ने साइबर क्राइम करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है. इस गैंग के लोगों को पुलिस ने तब गिरफ्तार किया जब उन्हें दो गुटों के बीच झगड़े की सूचना मिली. पुलिस ने जब झगड़े की जांच की तो पता चला मारपीट करने वाले लोग साइबर फ्रॉड हैं.
Bihar Cyber Crime: जमुई में साइबर अपराध के जरिये लोगों को ठगी का शिकार बनाने वाले एक गिरोह के सदस्यों के बीच पैसों के बंटवारे को लेकर मारपीट हो गयी. इसके बाद पुलिस ने मामले में कार्रवाई करते हुए जब उन सभी लोगों को गिरफ्तार किया तो साइबर अपराध के बड़े गिरोह का भांडा फूट गया. पुलिस की जांच में यह सामने आया कि पुलिस ने जिन लोगों को गिरफ्तार किया है वे साइबर अपराध (Cyber Crime) में संलिप्त होकर पैसे की उगाही करते थे. विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में स्कॉलर बैठाकर लोगों को पास कराना, लोगों को साइबर अपराध के जरिये ठगी का शिकार बनाते थे.
पुलिस को दो गुटों के बीच मारपीट की मिली थी सूचना
दरअसल पुलिस को यह सूचना मिली कि सदर थाना क्षेत्र के बरुअट्टा में दो गुटों में मारपीट की घटना हुई है. इसके बाद मामले में पुलिस जांच करने पहुंची. जांच में यह सामने आया कि साइबर अपराध के जरिये पैसों की उगाही कर उक्त सभी लोग आपस में पैसों का बंटवारा कर रहे थे. उसी के हिस्सेदारी को लेकर विवाद में इन लोगों के बीच मारपीट हुई है.
इन लोगों को किया गिरफ्तार
पुलिस ने मामले में कार्रवाई करते हुए सदर थाना क्षेत्र के बरूअट्टा निवासी रवि कुमार पिता अशोक सिंह, लक्ष्मीपुर थाना क्षेत्र के गोबरदाहा निवासी सुभाष कुमार पिता हरिलाल दास, लक्ष्मीपुर थाना क्षेत्र के बधमा निवासी उत्तम कुमार पिता नंदकिशोर दास तथा मलयपुर थाना क्षेत्र के कोदवा पिंगाही निवासी पवन कुमार पिता सुरेश दास को गिरफ्तार किया है.
मोबाइल खंगालने के बाद Cyber Crime का हुआ खुलासा
अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सतीश सुमन ने बताया कि इन लोगों को गिरफ्तार करने के बाद जब इनके मोबाइल को खंगाला गया तब इस बात की पुष्टि हुई कि ये लोग साइबर अपराध में संलिप्त थे. इसके बाद साइबर थाना में आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर इन सभी को हिरासत में ले लिया गया. इनकी निशानदेही पर विभिन्न स्थानों पर जब छापेमारी की गयी तब बहुत सारे कैश डिपॉजिट रिसिप्ट जब्त किये गये.
कैसे करते थे ठगी
पुलिस की पूछताछ में यह सामने आया है कि ये लोग विभिन्न व्यक्तियों से बैंक में खाता खुलवाते थे और इसके लिए इन्हें या तो कमीशन देते थे फिर या फिर एकमुश्त 10 से15 हजार रुपया प्रत्येक खाते पर देते थे. गिरफ्तार रवि इस गैंग का लीडर था और वही फ्रॉड का सारा काम देखता था. जैसे ही फ्रॉड का पैसा उनके खाते में आता था, उसे नजदीकी एटीएम में ले जाकर यह लोग निकाल लेते थे. फिर इस पैसे को कैश डिपॉजिट मशीन द्वारा करंट अकाउंट में जमा कर देते थे.
अनुसंधान के क्रम में यह भी सामने आया है कि रवि कुमार द्वारा तीन करंट अकाउंट में पैसा कैश डिपॉजिट मशीन द्वारा भेजा जाता था. इतना ही नहीं पवन कुमार विभिन्न परीक्षा जैसे बी-बॉस ओपन परीक्षा में स्कॉलर बैठाकर लोगों को पास करता था. पुलिस ने इन सभी अपराधियों के पास से पांच मोबाइल फोन तथा कैश रिसिप्ट का बंडल बरामद किया है. गिरफ्तार साइबर अपराधियों से पुलिस पूछताछ कर रही है. उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा जा रहा है.