खैरा. थाना क्षेत्र के जीतझिंगोई गांव में डायरिया का प्रकोप में है. गांव में उल्टी और दस्त की शिकायत के बाद अब तक दो लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि आधा दर्जन लोग अब भी आक्रांत है. जिन्हें इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती करवाया गया है. दो लोगों के मौत की घटना के बाद अब सिविल सर्जन के नेतृत्व में मेडिकल टीम पूरे मामले की जांच कर रही है.
जानकारी के अनुसार, जीतझिंगोई गांव में कई लोगों को एक साथ उल्टी और दस्त की शिकायत सामने आने के बाद अब उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. बताया जाता है कि गांव निवासी बुचा मांझी को पिछले हफ्ते पिछले शुक्रवार को उल्टी और दस्त की शिकायत हुई थी. इसके बाद बुचा मांझी को शनिवार को इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया था. इसके बाद रविवार को वह अस्पताल से घर चला आया था. अस्पताल से घर लौटने के बाद रविवार देर शाम उसकी मौत हो गयी. वहीं दूसरी मौत इसके चार दिन बाद सामने आयी, जब डायरिया के कारण ही बुचा मांझी के छह वर्षीया नातिन मधुलि कुमारी की मौत हो गयी. बताया जाता है कि मधुलि कुमारी अपने नाना बुचा मांझी को देखने के लिए अपने नाना के घर आयी थी. इसके बाद उसकी भी तबियत बिगड़ गयी तथा उसे इलाज के लिए उसके घर मोकामा ले जाया गया जहां उसकी मौत हो गयी.आधा दर्जन के करीब लोग अभी हैं आक्रांत
बताते चले कि अभी भी गांव में आधा दर्जन के करीब लोग डायरिया से आक्रांत हैं. बीते गुरुवार देर शाम से गांव के कई लोग को दस्त और उल्टी की शिकायत सामने आ चुकी है तथा उनकी स्थिति बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. जानकारी के अनुसार मृतक बुचा मांझी की पत्नी सुगिया देवी, बुचा मांझी की बेटी संगीता कुमारी, इंदु कुमारी गांव निवासी प्रकाश मांझी का पुत्र राहुल कुमार तथा हरि मांझी के पोते को डायरिया की शिकायत के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इन सभी को एक समान रूप से उल्टी एवं दस्त की शिकायत सामने आई थी. फिलहाल सभी को इलाज के लिए भर्ती कर दिया गया है.पूरी रात डॉक्टर का इंतजार करते रहे गांव के लोग, चबूतरे पर हुआ इलाज
ग्रामीणों ने बताया कि बीते गुरुवार को उल्टी एवं दस्त की शिकायत आने के बाद इसकी सूचना स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में दी गयी थी. इसके बाद स्वास्थ्य केंद्र के द्वारा गांव में ओआरएस, दवाइयां तथा कुछ अन्य मेडिकल किट भेज दिया गया था. लेकिन वह दवाइयां किसे कैसे लेनी है या लोगों को इंजेक्शन किस तरीके से लगाया जाना है, न तो इसकी कोई जानकारी दी गयी और ना ही अस्पताल से कोई डॉक्टर या स्वास्थ्यकर्मी को भेजा गया. जिसके बाद गांव स्थित एक चबूतरे पर लोग पूरी रात बैठ कर इंतजार करते रहे. आधी रात के बाद जब कुछ लोगों की स्थिति खराब होने लगी तब वहां मौजूद एक ग्रामीण चिकित्सक के द्वारा लोगों का इलाज शुरू कराया गया. ग्रामीण चिकित्सक ने वही चबूतरे पर लोगों का इलाज शुरू किया तथा कई लोगों को स्लाइन लगाया, जिसके बाद लोग चबूतरे पर एक दूसरे को घेर कर रात बीतने का इंतजार करते रहे.शुक्रवार को मेडिकल टीम लेकर पहुंचे सिविल सर्जन
जीतझिंगोई गांव में डायरिया आक्रांत लोगों की सूचना पाकर शुक्रवार को सिविल सर्जन डॉ. कुमार महेंद्र प्रताप मेडिकल टीम लेकर गांव पहुंचे. इसके बाद वहां से लोगों को एंबुलेंस के जरिए अस्पताल लाकर भर्ती कराया गया. सिविल सर्जन ने कहा कि गांव के लोगों को उल्टी एवं दस्त की शिकायत हुई है तथा उन्हें फिलहाल इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि हम गांव पर पूरी तरीके से नजर रखेंगे. इस दौरान स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के द्वारा चिकित्सक नहीं भेजे जाने को लेकर काफी नाराज भी नजर आए. उल्टी और दस्त की शिकायत के बाद गांव में टीम भेजी गयी है. मैंने खुद इस गांव का निरीक्षण किया है. गांव में जो भी व्यवस्था की आवश्यकता होगी उससे मैं व्यक्तिगत रूप से देख रहा हूं. अगर किसी की तबीयत ज्यादा खराब होती है तो उसे सदर अस्पताल ले जाया जाचेगा. डॉ. कुमार महेंद्र प्रताप, सिविल सर्जनडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है