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पशुओं के प्रति संवेदनशील होना होगा, रुकनी चाहिए तस्करी

विश्व पशु दिवस के अवसर पर शुक्रवार को केकेएम कॉलेज में मानव और दुनिया के लिए पशुओं का महत्व विषय पर परिचर्चा की गयी.

जमुई. विश्व पशु दिवस के अवसर पर शुक्रवार को केकेएम कॉलेज में मानव और दुनिया के लिए पशुओं का महत्व विषय पर परिचर्चा की गयी. मौके पर डॉ गौरी शंकर पासवान ने कहा कि विश्व पशु दिवस का उद्देश्य पशुओं के प्रति जागरूकता फैलाना और उनके अधिकारों की सुरक्षा व कल्याण के लिए कार्य करना है. उन्होंने कहा कि पशुधन की आबादी के मामले में भारत शीर्ष स्थान पर है. 20 वीं पशु गणना वर्ष 2019 के अनुसार, भारत में पशुधन की संख्या 53.58 करोड़ है. इसमें गाय की संख्या 192.49 मिलियन, भैंस की संख्या 109.85 मिलियन, बकरियों की संख्या 148.88 मिलियन, भेड़ की संख्या 74.26 मिलियन हैं अर्थात बिहार में कुल पशुधन की आबादी 31.9 मिलियन है. विश्व का सबसे बड़ा पशु मेला बिहार के हरिहर क्षेत्र मेला है. आर्थिक दृष्टिकोण से पशुओं का खास महत्व है, पशु अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में महत्वपूर्ण हिस्सा है.

डॉ अजीत कुमार भारती

ने कहा कि अधिकांश पशु किसानों और गरीबों के आय स्रोत के रूप में आर्थिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. गाय की दूध अमृत तुल्य है तो बकरी गरीबों का एटीएम है. प्रत्येक साल लाखों पशुओं का शिकार और उसकी तस्करी होती है, इसपर रोक लगनी चाहिए.

डॉ अमोद कुमार सिंह

ने कहा कि पशुओं के संरक्षण के प्रति सरकार व एनजीओ को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है. उनके लिये एक ऐसी दुनिया बनानी होगी जहां स्वतंत्र और सुरक्षा के साथ सामान्य जीवन जी सके. पशुधन आबादी के मामले में टॉप 10 देशों में क्रमशः भारत, ब्राजील, चीन, इथोपिया, सूडान, नाइजीरिया, इंडोनेशिया, पाकिस्तान और बांग्लादेश हैं.

प्रो कैलाश

पंडित

ने कहा कि मनुष्य और प्रकृति के बीच गहरा संबंध है. पशुधन की स्थिति भारत में महत्वपूर्ण है. पशु कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का हिस्सा है. मौके पर प्रो डीके गोयल, कार्यालय सहायक रवीश कुमार सिंह, सुशील कुमार, कृष्णा गिरी, बटेश्वर यादव, शैलेश कुमार सिंह के साथ-साथ कई शिक्षकेत्तर कर्मचारी उपस्थित थे.

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