Loading election data...

बेली ब्रिज के क्षतिग्रस्त होने से तय करनी पड़ रही 10-15 किमी की अधिक दूरी

लगातार बारिश और नदी में पानी के तेज बहाव से बरनार नदी पर क्षतिग्रस्त हुए बेली ब्रिज से होकर चार पहिया वाहनों के आवागमन पर रोक के बाद लोगों की परेशानी बढ़ गई है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 19, 2024 8:51 PM

सोनो. लगातार बारिश और नदी में पानी के तेज बहाव से बरनार नदी पर क्षतिग्रस्त हुए बेली ब्रिज से होकर चार पहिया वाहनों के आवागमन पर रोक के बाद लोगों की परेशानी बढ़ गई है. अब चार पहिया वाहन को या तो केवाली बलथर बिजुआही होकर या फिर बुझायत होकर बरनार नदी को पार करना पड़ रहा है जिससे कम से कम 10 से 15 किलोमीटर की दूरी अधिक तय करनी पड़ रही है. चुरहेत मोड़ से केवाली होकर गुजरने वाला रास्ता बेहद टूटा हुआ है. रास्ता गड्ढा में तब्दील है जिससे इस सड़क पर यात्रा खतरे से भरा हुआ है. लेकिन सोनो चुरहेत के बीच बेली पुल के क्षतिग्रस्त होने और प्रशासन द्वारा चार पहिया वाहनों के आवागमन पर रोक के बाद चार पहिया वाहन के चालक व सवार को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. भागलपुर से आए पुल निर्माण निगम के इंजीनियर की टीम द्वारा जांच के बाद प्रशासन ने एहतियातन चार पहिया वाहन के आवाजाही पर रोक लगायी है. क्षतिग्रस्त पिलर की मरम्मत एक सप्ताह के भीतर किए जाने की बात प्रशासन की ओर से कही जा रही है. मरम्मत के बाद चार पांच दिन ढलाई के सेट होने के छोड़ा जायेगा. इस तरह लगभग एक पखवारे के बाद चार पहिया वाहनों का आवागमन सुचारू हो सकेगा. हालांकि इस पुल से होकर दो पहिया वाहन और पैदल यात्रियों की आवाजाही हो रही है.

सोनो-चुरहेत के बीच बरनार पर बना पुल का है विशेष महत्व

बरनार नदी के सोनो चुरहेत के बीच बना पुल कई मायनों में बेहद महत्वपूर्ण है. प्रखंड की आधी आबादी नदी के उस पार बसती है. यूं तो वर्तमान सरकार ने नदी के उस ओर जाने के लिए नदी पर कई जगह पुल बनाए है जिससे लोगों का आवागमन हो रहा है परंतु प्रखंड मुख्यालय से नदी पार के दस पंचायतों को जोड़ने वाला रास्ता सोनो से चुरहेत होकर ही सरल और नजदीक है. इस रोड पर वाहनों की सर्वाधिक गतिशीलता रहती है. चुरहेत, फरका, मडरो, अमेठियाडीह, बिजुआही, कुहिला जैसे नजदीकी गांव के अलावे चरकापत्थर, महेश्वरी, विशनपुर व अगहरा के समीप के दर्जनों गांव का यह मुख्य पथ है जो प्रखंड मुख्यालय को जोड़ती है. इस पुल होकर प्रतिदिन सैकड़ों वाहनो की आवाजाही होती है. चरकापत्थर थाना व एसएसबी कैंप के मुख्य सड़क भी यही है. किसी भी नक्सली हमला या नक्सल गतिविधि के दौरान सुगमता से और जल्द से जल्द पुलिस की मदद भी इसी रास्ते संभव है. भविष्य में सोना का खदान भी इसी सड़क के किनारे करमटिया में बनेगा. इसलिए तो प्रखंड के पश्चिमी इलाके में रहने वाले लोगों के लिए इस बेहद महत्वपूर्ण सड़क का यह पुल लाइफ लाइन कहा जाता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version