Durga Puja: जब गुजरात के कारोबारी के सपने में आयीं मां भगवती, बिहार में बनवाया यह दुर्गा मंदिर…
Durga Puja: बिहार के इस दुर्गा मंदिर का इतिहास करीब 200 साल पुराना है. मान्यता है कि गुजरात के कारोबारी के सपने में मां भगवती आयी थीं. जानिए क्या है इस मंदिर का इतिहास...
Durga Puja: बिहार के जमुई जिले में चकाई प्रखंड में एक प्राचीन दुर्गा मंदिर है जहां हर साल नवरात्रि में भक्तों की भीड़ जमा होती है. चकाई के गोला दुर्गा मंदिर में इस साल भी मां की अराधना बेहद भव्य तरीके से हो रही है. मान्यता है कि जो भी भक्त यहां अपनी फरियाद लेकर आते हैं, मां उनकी मन्नत जरूर पूरा करती हैं. मंदिर का इतिहास करीब 200 साल पुराना बताया जाता है और मंदिर समिति के संयोजक बताते हैं कि गुजरात के व्यवसाइयों से जुड़ी इस मंदिर कहानी है.
करीब 200 साल पुराना है मंदिर का इतिहास
चकाई के गोला दुर्गा मंदिर वाली माता के दरबार में सामान्य दिनों में भी भक्त दूर-दराज से आते हैं. कहते हैं यहां से कोई खाली हाथ नहीं गया. मां अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं. जिसके कारण भक्तों का तांता इस मंदिर में लगा रहता है. गोला दुर्गा मंदिर पूजा समिति के संयोजक लक्ष्मीकांत पांडेय बताते हैं कि मंदिर का इतिहास करीब 200 साल पुराना है. 1821 ई में अंग्रेज शासन काल के दौरान गुजरात के कुछ कारोबारी यहां आए थे. यहां वो गल्ला और किराना का कारोबार आकर करने लगे. एक दिन एक कारोबारी के सपने में मां दुर्गा आयीं. उन्होंने कारोबारी को कहा कि तुम लोग यहां मेरा मंदिर बनवाओ और मूर्ति स्थापित करके पूजा करो. सबका कल्याण होगा.
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मंदिर का करवाया गया निर्माण…
संयोजक लक्ष्मीकांत पांडेय बताते हैं कि स्थानीय ग्रामीणों को भी गुजरात के कारोबारी ने मां के आदेश को बताया. जिसके बाद ग्रामीणों के सहयोग से यहां मां दुर्गा का मंदिर बनाया गया. शारदीय नवरात्र के मौके पर प्रतिमा स्थापित की गयी और पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना शुरू की गयी. मंदिर का नाम गोला दुर्गा मंदिर रखा गया. तब मंदिर कच्ची का था. आगे चलकर अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर चकाई निवासी तथा बोसी महराजा के दीवान बिष्णु प्रसाद ने मां के मंदिर को पक्की का बनवाया. चकाई के तत्कालीन राजा टिकेट चंडी प्रसाद सिंह के पास आगे चलकर मंदिर के रख-रखाव का जिम्मा आया. अब कमेटी इस मंदिर में पूजा-अर्चना कराती है.
नवरात्र पर लगता है भव्य मेला
मां गोला वाली दुर्गा की तांत्रिक विधि विधान के साथ पूजा अर्चना हर नवरात्रि पर होती है. सप्तमी, अष्टमी एवं नवमी को तीन बकरे एवं एक भेड़ा की बलि सरकारी पूजा के तहत चढ़ती है. इसके बाद निशा बलि एवं नवमी को भक्तों के द्वारा बलि प्रदान की जाती है. यहां नवरात्रि पर चार दिनों तक भव्य मेला का आयोजन होता है.