Jamui News : आठ सूत्री मांगों को लेकर विश्वविद्यालय व महाविद्यालय कर्मचारी महासंघ ने की कलमबंद हड़ताल
आंदोलन के तीसरे दिन जताया विरोध
जमुई.
अपनी आठ सूत्री मांगों के समर्थन में बिहार राज्य विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय कर्मचारी महासंघ ने आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है. इस आंदोलन के तीसरे दिन सोमवार को बिहार राज्य विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय कर्मचारी महासंघ के बैनर तले जिला मुख्यालय स्थित केकेएम कॉलेज के कर्मचारियों ने कलमबंद हड़ताल कर विरोध जताया है. महासंघ के सदस्यों द्वारा बताया गया कि बीते 1 जून 2024 को अपनी आठ मांगों के समर्थन में एक ज्ञापन मुंगेर विश्वविद्यालय के कुलसचिव को सौंपा गया था. इसमें एक सप्ताह के अंदर सभी मांगों को पूरा करने का अनुरोध किया गया था. लेकिन कुलसचिव के नकारात्मक, गैर जिम्मेदाराना व असंवैधानिक रवैये के कारण एक माह बाद भी हमारी मांगों को पूरा नहीं किया गया है. इस कारण सभी कर्मियों को मानसिक एवं आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. हम लोग चरणबद्ध आंदोलन करने के लिए बाध्य हो गये हैं. मौके पर महासंघ के सदस्य रबीश कुमार सिंह, सुशील कुमार, अरविंद कुमार, नंद किशोर रावत, गौरी भारती, सौरभ कुमार सिंह, रतन कुमार झा, बटेश्वर यादव, कृपाल कुमार सिंह ,राजेंद्र मंडल, नरेश साह सहित अन्य सदस्य मौजूद थे.कर्मचारी महासंघ की प्रमुख मांगेंसीनेट चुनाव की विस्तारित तिथि को जुलाई माह में दें. अनुकंपा नियुक्ति की सूचना अविलंब प्रतिशत हो. वेतन सत्यापन पोषण को भेजने की प्रक्रिया की जाये. जिनका वेतन सत्यापन कोषांग से वेतन पर्ची निर्गत हुआ है लेकिन विश्वविद्यालय द्वारा एसीपी/एमएसपी का निर्धारण किया गया था, उन्हें वेतानांतर की राशि का भुगतान किया जाये. प्रोन्नत कर्मियों की अधिसूचना अविलंब सार्वजनिक की जाये. उनका वेतन निर्धारण कर वेतन सत्यापन कोषांग को भेजा जाये. सेवानिवृत्त कर्मियों व कार्यरत कर्मियों के साथ कुलसचिव ने आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया है, वे प्रक्षेत्रीय संघ के सामने माफी मांगें. अन्यथा कुर्सी त्याग दें. एसीपी-एमएसपी से वंचित कर्मियों को अविलंब अधिसूचना जारी कर वेतनमान का लाभ दिया जाये. आरडी और डीजे कॉलेज मुंगेर के कर्मियों को एसीपी/एमएसपी का अंतर की राशि का, जो तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश से प्राप्त हुआ था, विश्वविद्यालय के आदेश बिना प्रभारी प्रचार द्वारा कटौती कर ली गयी है उसे तुरंत रोका जाये. विश्वविद्यालय में प्रतिनियुक्ति महाविद्यालय कर्मियों को अपने पैतृक महाविद्यालय में भेजा जाये. संविदा कर्मियों को राज्य सरकार के नियमानुसार सुविधा प्रदान की जाये. विश्वविद्यालय में कार्यरत आउटसोर्सिंग कर्मियों का लंबित वेतन अविलंब भुगतान किया जाये.
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