जमुई में भी गंगा का पानी पहुंच जाये, तो जिले के खेतों में लहलहा उठेगी फसल
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सात फरवरी को प्रगति यात्रा के क्रम में जमुई आ रहे हैं. इस दौरान वह गरही डैम जा सकते हैं. गरही डैम यहां के स्थानीय किसानों के लिए किसी जीवनदायिनी से कम नहीं है.
खैरा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सात फरवरी को प्रगति यात्रा के क्रम में जमुई आ रहे हैं. इस दौरान वह गरही डैम जा सकते हैं. गरही डैम यहां के स्थानीय किसानों के लिए किसी जीवनदायिनी से कम नहीं है. गरही डैम से इलाके के हजारों हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होती है,और इसी के सहारे इलाके के किसान अपना जीवनयापन करते हैं. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में गरही डैम की स्थिति में थोड़ा बदलाव देखने को मिला है. इसके सभी कैनाल की स्थिति जर्जर हो गयी है, तो वहीं गरही डैम में गाद जमा होने के कारण इसके भंडारण क्षमता में भी अंतर आ गया है. ऐसे में स्थानीय किसानों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उम्मीद है कि जिस तरह बांका के कुढ़नी डैम सहित अन्य जिलों में उन्होंने गंगा का पानी पहुंचाने की घोषणा की है, ठीक उसी तरह जमुई जिले के इस अति महत्वपूर्ण कहे जाने वाले गरही डैम में भी सीएम गंगा के पानी को पहुंचाने की घोषणा कर सकते हैं. लोगों का मानना है कि अगर ऐसा हो गया तो आने वाले समय में इलाके के किसानों को खेती के लिए किसी भी प्रकार से किसी अन्य चीज पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा.
1977 में किया गया था डैम का शिलान्यास
वर्ष 1977-78 में जब केंद्र और राज्य में जनता पार्टी की सरकार थी, उसी वक्त अपर किऊल जलाशय योजना के अंतर्गत पड़ने वाले गरही जलाशय व गिद्धेश्वर बीयर का शिलान्यास किया गया था. इस डैम की कनाल जिले के मुख्यत: खैरा, सिकंदरा और जमुई प्रखंड में है व इससे 30 हजार 463 एकड़ अथवा 12.33 हजार हेक्टेयर भूमि में खरीफ फसल की सिंचाई की जाती थी. इतना ही नहीं इस डैम में अधिकतम जल संग्रह लेवल 555 तथा न्यूनतम जल संग्रह लेवल 518 है. इस डैम से खरीफ फसल के लिए अगस्त महीने में व नवंबर महीने में भी पानी छोड़ दिया जाता था और किसान धान की फसल को सींच कर अपने खेतों को लहलहा लेते थे. लेकिन इलाके के सभी खेतों की सिंचाई नहीं हो पा रही है.
सभी कनाल जर्जर स्थिति में
गौरतलब है कि गरही डैम के दो मुख्य केनाल हैं और इसके स्लीपवे की कुल लंबाई 137.03 मीटर यानी 410.05 फूट है. इसका स्पष्ट जल मार्ग 103.5 मीटर है, जबकि स्पैन की संख्या 12 है. इसके दो बैरल हैं. प्रत्येक बैरल का अधिकतम जलस्राव 25.49 घनमीटर प्रति सेकंड है. वर्तमान में इसके दोनों मुख्य कैनाल तथा उससे निकलने वाले सभी ब्रांच की स्थिति काफी जर्जर है. नहर के बीच में झाड़ियां उग आयी हैं. कई जगहों पर नहर टूटी हुई है. इस कारण किसान के खेतों तक पानी पहुंचाना असंभव हो गया है. गरही डैम के आउटलेट का रबर सील बरसों से खराब है, इसे बदला नहीं गया है. इसके परिणाम स्वरूप प्रतिदिन 30 से 40 घन फुट पानी बेकार बर्बाद होता रहता है.
गरही डैम एक नजर में
जल ग्रहण क्षेत्र: 284.90 वर्ग किलोमीटर (11 लाख मी)
रूपांकित जलस्राव : 3400 घन मीटर/ रोटेवरमृत भंडारण क्षमता: 1357.4 0 हेक्टेयर मीटर
जीवित भंडारण क्षमता: 8452.90 हेक्टेयर मीटरपूर्ण जल स्तर पर सकल भंडारण क्षमता: 9810 हेक्टेयर मीटर
बांध की कुल लंबाई स्लीपवे सहित: 3773 मीटरमृत भंडारण स्तर: 157.88 मीटर (518 फुट)
पूर्ण/अधिकतम जलस्तर: 169.20 मीटर (555 फुट)बांध का शिखर स्तर: 171.5 मीटर (563)
फुट बांध की अधिकतम ऊंचाई : 30.48 मीटर (100 फुट)पूर्ण जलाशय स्तर पर डूबा क्षेत्र: 1230.80 हेक्टेयर (3040 एकड़)
स्लीपवे एक नजर में
स्लीपवे की कुल लंबाई: 137.03 मीटर (410.5 फुट)
क्रेस्ट स्रोत: 162.72 मीटर (533.75 फुट)स्पष्ट जल मार्ग: 103.55 मीटर (339.69 फुट)
स्पैन की संख्या: 12स्पष्ट स्पैन: 8.63 मीटर (28.30 फुट)
स्लीपवे गेट की ऊंचाई: 6.65 मीटर (21.80 फुट)अधिकतम जल स्राव: 3400 घनमीटर/ सेकंड
आउटलेट लोकेशन डैम के : 3.17 किलोमीटर परबैरल की संख्या: 2
बैरल का आकार: 2.44 मी × 2.44 मी (8×8 फुट)प्रत्येक बैरल से अधिकतम जल स्राव: 25.49 घन मीटर/सेकंड
डैम में गंगा का पानी मिलाने से सिंचाई समस्या का हो सकता है हल
जदयू प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य ई. शंभू शरण ने कहा कि अगर गरही डैम में गंगा का पानी लाया जाता है तो इससे किसानों की परेशानियां मिट सकती हैं. उन्होंने कहा कि इसे लेकर पूर्व में भी पत्राचार के जरिए मुख्यमंत्री को इसकी जानकारी दी गई है. प्रगति यात्रा के दौरान भी वह सीएम से इस बारे में मांग पत्र सौंपने वाले हैं, इसकी तैयारी की जा रही है. उन्होंने कहा कि गरही डैम इस पूरे इलाके के लोगों के लिए लाइफ लाइन के समान है. अगर इसमें गंगा का पानी आता है तो सालों भर पानी उपलब्ध रह सकेगा और खरीफ के साथ-साथ रबी और गरमा फसल की भी खेती किसान कर सकेंगे.
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