चंद्रमंडीह.
एक गलती से पूरे परिवार की जिंदगी किस प्रकार उजड़ जाती है इसका उदाहरण शुक्रवार को देखने को मिला. जब संतोष यादव जेल से अपने पिता को मुखाग्नि देने संघरा गांव पहुंचा. संतोष के पिता मुरारी यादव की मौत सड़क दुर्घटना में बीते गुरुवार की अहले सुबह हो गयी थी. संतोष 22 अगस्त 2023 से जमुई जेल में बंद है. उसपर हत्या का आरोप है. वर्ष 2021 के 11 अगस्त को सरौन निवासी बसंत यादव की हत्या रंगनिया मोड़ के समीप गोली मार कर की गयी थी, जब वह अपनी बहन के घर जा रहा था. संतोष इस मामले में नामजद अभियुक्त है. बीते नौ माह से जमुई जेल में बंद है. इस बीच गुरुवार को इस मामले में जमुई कोर्ट में गवाही थी. पुत्र की रिहाई हो सके, इसके लिए पिता मुरारी यादव बाइक पर सवार होकर जमुई कोर्ट गवाही देने जा रहे थे. लेकिन चकाई-जमुई मुख्य मार्ग पर चंद्रमंडीह थाना क्षेत्र के पटना मोड़ के समीप एक तेज रफ्तार ट्रक उनकी बाइक पर ही पलट गया. मुरारी यादव की मौत घटनास्थल पर ही हो गयी थी. इधर पिता की मौत की खबर संतोष को जेल में ही मिली. परिजनों के आग्रह पर कड़ी सुरक्षा के बीच पिता को मुखाग्नि देने के लिए न्यायालय से अनुमति मिली. इस दौरान हाथ में हथकड़ी लगाए लगभग आधा दर्जन से अधिक पुलिसकर्मियों की सुरक्षा में उसे पिता के अंतिम संस्कार के लिए गांव लाया गया. पिता के शव को देखकर पुत्र संतोष दहाड़ मारकर रोने लगा. उसे इस बात का गम था कि अगर वह जेल में बंद नहीं होता, तो पिता को जमुई नहीं जाना पड़ता. ऐसे में यह हादसा नहीं होता. परिवार पर विपदा नहीं आती. वहीं हथकड़ी लगे पुत्र को पिता का अंतिम संस्कार करते देख वहां उपस्थित लोग भी अपने आंसु नहीं रोक पा रहे थे. लगभग दो घंटे तक ठहरने के बाद पुलिस पुनः उसे अपने साथ लेकर जमुई चली गयी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है