जमुई. फादर्स-डे के अवसर पर रविवार को केकेएम कॉलेज में बच्चों के जीवन में पिता की अहमियत विषय पर परिचय आयोजित की गयी. कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ गौरीशंकर पासवान ने कहा कि फादर्स डे प्रत्येक वर्ष जून माह के तीसरे रविवार को मनाया जाता है. फादर्स डे पिता को उनकी अहमियत का एहसास कराने और सम्मान देने का दिवस है. पिता बच्चों के असली रखवाले होते हैं, जो कदम-कदम पर उन्हें संभालते हैं. पिता परिवार की एक ऐसी हस्ती होते हैं, जिनके बिना परिवार ही अधूरा लगता है. यह दिवस हर वर्ष पिता को विचारवान बनने की भी गुहार लगाता है. संतान का सही पालन पोषण माता व पिता दोनों की जिम्मेवारी है. उन्हें दोनों के प्यार और निगरानी की जरूरत पड़ती है, तभी बच्चों का चौमुखी विकास होता है. उन्होंने कहा कि एक पिता की अपने बच्चों के जीवन में बहुत बड़ी अहमियत होती है. उनके समग्र विकास में पिता के योगदान को नकारा नहीं जा सकता है. कहते हैं कि माता बैरी पिता शत्रु यो बालो न पाठितः, न शोभंते सभा मध्ये हंस मध्यो बको यथा.
बच्चों के लिए माता-पिता दोनों आवश्यक:
अर्थशास्त्र की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ सरदार राम ने कहा कि पिता जन्मदाता के साथ-साथ घर के शासक होते हैं, बच्चों के भविष्य निर्माता होते हैं. मां के साथ-साथ बच्चों के लिए पिता भी आवश्यक होते हैं. क्योंकि माता और पिता गृहस्थी या जीवन रूपी रथ के दो पहिये होते हैं और दोनों में संतुलन रहने पर ही रथ का चलना संभव है. बच्चों के जीवन में जितना मां का महत्व है, उतना ही महत्व पिता का भी होता है. इसलिए बच्चों के लिए माता-पिता दोनों आवश्यक हैं.पिता परिवार रूपी न्यायालय के न्यायाधीश:
स्नातकोत्तर इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सत्यार्थ प्रकाश ने कहा कि पिता परिवार रूपी न्यायालय के न्यायाधीश होते हैं. अक्सर वे लड़के लड़कियों में अंतर नहीं करते हैं. बच्चों के लिए हमेशा न्यायोचित कार्य करते हैं. इसलिए बच्चों को भी पिता का आदेश को मानना चाहिये. कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि मां-पिता दोनों की बड़ी अहमियत बच्चों के जीवन में होती है. उनके बिना बच्चों का जीवन अधूरा होता है. फादर्स डे के दिन बच्चों को पिता का सम्मान करना चाहिये, उनके विचारों को महत्व देना चाहिये.माता-पिता का संतानों के भविष्य और जीवन निर्माण में बराबर का महत्व:
स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र की छात्रा दुर्गेश्वरी कुमारी ने कहा कि माता-पिता का हम संतानों के भविष्य और जीवन निर्माण के लिए बराबर का महत्व होता है. माता-पिता दोनों में कौन ज्यादा महत्वपूर्ण और कौन कम महत्वपूर्ण है. यह कहना बड़ा मुश्किल ही नहीं बल्कि अपराध जैसा है. को बड़ छोट कहत अपराधू जैसी बात लगने लगती है. हर परिवार और देश में माता-पिता को आदर सत्कार करने का कल्चर विकसित होना चाहिए. इससे बच्चों के जीवन में खुशहाली आती है.मौके पर राजनीतिक विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ देवेंद्र कुमार गोयल, कार्यालय सहायक रवीश कुमार सिंह, सहायक सुशील कुमार ने पिता के महत्व पर अपने अपने विचार व्यक्त करते हुए पिता को परिवार का निर्माणकर्ता और आन-बान शान करार दिया. इस दौरान दर्जनों छात्र-छात्रा उपस्थित थी.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है